लिवर रोग का इलाज कैसे कर सकते है, और यह क्यों होता है, और इसके लक्षण क्या है! (Causes, Symptoms, and Home and Ayurvedic Cures of Liver Disease)

लिवर रोग का इलाज

लिवर रोग का इलाज जानने के साथ-साथ, जानिए यह क्या है, और कैसे होता है, जब हम लीवर की बात करते हैं, तो ध्यान में आता है, कि किसी भी वाहन को चलाने के लिए, उसका हर अंग महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जब उसके सबसे महत्वपूर्ण अंगों के बारे में बात करते हैं, तो यहां पर बात आती है, इंजन की, क्योंकि इंजन किसी भी वाहन का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है, जिसके आधार पर वाहन, अपना काम करता है, डीजल – पेट्रोल जो भी वाहन का खाद्य पदार्थ होता है, उसको पचाने और सही दिशा में ले जाने का काम इंजन करता है, 

ठीक उसी प्रकार, किसी भी जीव के शरीर का मुख्य इंजन जो होता है, वह यकृत अर्थात लीवर होता है, हम कुछ भी खाते हैं, उसे पचाने का काम लीवर करता है, यह शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है,  लीवर! या यूं कहें कि इससे लगातार स्रावित होने वाला पदार्थ, जो पित्त कहलाता है,  हमारे शरीर में पित्त बनता है, जो भोजन को पचाने का काम करता है, लेकिन यदि हमारा वही अंग संक्रमित होगा, तो भोजन ठीक से नहीं पच पाएगा, और हमें बहुत सारे रोग लग जाएंगे, हमारे शरीर में जो भी रोग लगते हैं !

उन सभी रोगों को ठीक या उनका उपचार करने के लिए, सबसे पहले लीवर का उपचार किया जाता है, क्योंकि यदि लीवर ठीक है, तो हमारा सारा शरीर ठीक है, लीवर ठीक नहीं है, तो फिर हमारा शरीर पूरी तरह से काम नहीं कर सकता, और सुचारू रूप से चल नहीं सकता,  हमारे शरीर में होने वाली बहुत सारी गतिविधियों को, लीवर ही कंट्रोल करता है, हमारे शरीर में जो टॉक्सिन बनते हैं, उनको बाहर निकालने का काम ले वही के द्वारा किया जाता है,  

यदि लीवर ठीक नहीं है, तो इंसान को बहुत सारी बीमारियां होने की संभावना प्रबल बनी रहती है, हेपेटाइटिस, जॉन्डिस, फैटी लिवर, लिवर सिरोसिस, एल्कोहॉलिक लिवर की बीमारियां या लिवर कैंसर जैसे:- अनेक खतरनाक रोगों का खतरा बहुत बढ़ जाता है। 

लिवर रोग का इलाज जानने के साथ जाने, इसके संक्रमण के लक्षण:-

तो आइए जानते है, यकृत संक्रमण के बारे में

जब किसी व्यक्ति का लीवर संक्रमित हो जाता है, तो बहुत सारे लक्षण हमें संकेत करते हैं, कि लीवर में कुछ संक्रमण हो चुका है, यदि समय रहते हम उन लक्षणों पर ध्यान दें, तो भविष्य में आने वाली बहुत सारी बड़ी समस्याओं का समाधान, हम समय रहते कर सकते हैं, लेकिन भागदौड़ भरी जिंदगी और, हमारी अधिक व्यस्तता के कारण, हम उन लक्षणों की तरफ ध्यान नहीं देते,

जिसके कारण धीरे-धीरे हमारे लिवर का संक्रमण, बढ़ता चला जाता है, और वह एक ऐसी स्थिति पर पहुंच जाता है, जब उसका उपचार भी लगभग असंभव हो जाता है, कुछ समय पहले जो समस्या थोड़े से प्रयासों से ही सुलझ सकती थी, वह समस्या इतनी जटिल हो जाती है, कि हमारी लाख कोशिशों के बावजूद, और बहुत सारा पैसा खर्च करने के बावजूद भी, हम उस समस्या से निजात नहीं पाते, जिसके जिम्मेदार  हम खुद होते हैं। आज यह बात करते हैं, लीवर में संक्रमण होने के

कारण जो लक्ष्मण हमारे शरीर द्वारा हमें दिखाए जाते हैं उन लक्षणों की पहचान कैसे करें :-

तो आइए जानते है, यकृत रोग के लक्षणो के बारे में

1- यदि किसी व्यक्ति का चेहरा पीला पड़ना लगे, तथा आंखों का रंग ज्यादा सफेद होने लगे,
तो यह समझने में देर नहीं करनी चाहिए, कि लीवर में कोई संक्रमण होने लगा है, या हो चुका है।

2- यदि किसी के पेट में लगातार दर्द रहता है, चेहरे या पेट के ऊपर सूजन आती है,
तो समझ जाइए कि हमारा लीवर संक्रमित हो चुका है। 

3- यदि किसी को बार बार उल्टी होती है, उल्टी करते समय गला बिलकुल कड़वा हो जाता है,
तो बिना देर किए लिवर का उपचार कराएं। 

4- लीवर के संक्रमण का एक लक्षण यह भी है, कि व्यक्ति का होम्योपैथ बिन लेवल बहुत कम हो जाता है। 

5- लगातार खुजली दाद या एलर्जी रहना भी लीवर संक्रमण का प्रमुख लक्षण है।
 
6- शरीर में सूजन का आ जाना विशेष तौर पर पैरों में, यह लीवर संक्रमण का महत्वपूर्ण लक्षण है।
 
7- कई बार देखने में आया है, कि पेट से सूजन आ जाती है, जिसे हम मोटापा समझ लेते हैं,
लेकिन यह लीवर के संक्रमण के कारण पेट का बढ़ जाना होता है, जिसके तरफ ध्यान न देने के कारण हमें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होते हैं।  अर्थात पेट पर आया हुआ वरम भी लीवर संक्रमण का एक लक्षणहो सकता है। 

8- यदि किसी व्यक्ति का लगातार मुंह कड़वा रहता है, या स्वाद खराब रहता है, बुखार ने होने पर भी बुखार जैसा प्रतीत होता रहता है, एवं खट्टी डकारे आती रहती हैं, यह भी यकृत रोग का एक विशेष लक्षण समझा जाता है। 

9- लीवर संक्रमित होने की स्थिति में, पेशाब का रंग गहरा पीला या लाल रंग का हो सकता है। 

10- यदि हमारा भोजन ठीक प्रकार से पच नहीं रहा है, बहुत ज्यादा गैस बन रही है, बहुत ज्यादा एसिडिटी बन रही है, विशेष तौर पर रात के समय में पेट में दर्द होकर बेचैनी हो जाती है तो यह सभी यकृत संक्रमण के बड़े लक्षण हैं।

लिवर रोग का इलाज जानने के साथ जाने, इसके खराब होने के कारण:-

लिवर रोग के इलाज के साथ जानिए, इसके कारण

लीवर खराब होने का कोई प्राकृतिक कारण नहीं होता, हमारी अपनी गलतियां एवं हमारे खाने पीने का तौर तरीका रहने सहने का तोड़ तरीका, हम अपने शरीर की अंदर से एवं बाहर से किस तरह से देखभाल करते हैं सब कुछ इसी के ऊपर निर्भर होता है, इंसान की फितरत होती है कि वह किसी वस्तु की अहमियत तभी समझ पाता है जब वह वस्तु उसके पास नहीं रहती या उससे दूर होने लगती है,

जब तक हमारे शरीर के अंग अच्छे से काम करते हैं तब तक हम उनका ध्यान नहीं रखते, लेकिन जब व्यंग संक्रमित होने लगते हैं उसके बाद हमारा ध्यान उनकी तरफ जाता है, यदि हम सही समय पर अपने शरीर के अंगो की देखभाल जिम्मेदारी और समझदारी के साथ करें तो हमें परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।  जब हम बात लीवर के संक्रमित होने की करते हैं तो हमें बहुत सारे कारण समझ में आते हैं जिन पर हम समय रहते ध्यान नहीं देते, आइए जानते हैं हमारे लीवर या यकृत के खराब होने के मुख्य कारणों के बारे में। 

* लीवर संबंधित बीमारियों का सबसे बड़ा कारण हमारी अवस्थित टेबल दिनचर्या है।
 
*आज की भागदौड़ भरी एवं प्रतियोगिता भरी जिंदगी में, हम मानसिक स्ट्रेस के दौर से गुजरते रहते
हैं,जो हमारे लिवर के संक्रमित हो जाने का भी कारण है। 

* शराब एवं मादक पदार्थों का सेवन भी इसका एक बहुत बड़ा कारण है। 

* डायबिटीज के रोगों का भी यकृत अक्सर खराब हो जाता है, क्योंकि हमारे शरीर में प्रॉपर इंसुलिन न बनने के कारण, यह प्रक्रिया नकारात्मक प्रभाव डालती है। 

* यदि किसी इंसान को लगातार कब्ज रहती है, कब्ज के चलते हमारी के पाचन क्रिया पर बहुत बुरा असर पड़ता है, जो हमारे यकृत को संक्रमित कर देती हैं। 

* लिवर की खराबी का एक कारण आनुवंशिकता दी है, यदि किसी के परिवार में माता-पिता या दादा को इसकी प्रॉब्लम हुई है, तो संभव है, कि यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चला जाए।

लिवर रोग का इलाज जानने के साथ जाने, इस रोग के बचाव:-

लिवर रोग के इलाज के साथ जानिए, इसके बचाव भी


* शराब बिल्कुल न पिए लेकिन यदि आदत हो चुकी है, तो धीरे-धीरे इस आदत को छोड़ दें।
 
* टीकाकरण खुद को भी और बच्चों का भी जरूर कराएं। 

* किसी भी प्रकार की दवाइयों का प्रयोग, बहुत सोच समझ कर करना चाहिए, खास तौर पर दर्द निवारक दवाइयों का और फूड सप्लीमेंट्स का। 

* वजन बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान न दें। 

* जंग एवं फास्ट फूड का प्रयोग न करें या कम से कम करें।
 
* स्ट्रेस न ले। 

* अपने शरीर और इसके अंगों से प्यार करें। 

Liver का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार :-

जाने सबसे अच्छे आयुर्वेदिक उपाय


1- आंवला:- 
यदि हम आंवले का उपयोग नियमित रूप से करते हैं, तो हमें जीवन भर यकृत संबंधी कोई समस्या होगी ही नहीं, लेकिन अगर किसी को यकृत संबंधी समस्या हो चुकी है, तो उसके लिए आंवले का प्रयोग एक विशेष विधि के द्वारा करना लाभप्रद है,  सौ ग्राम एलोवेरा में चार आंवला और एक आंवले के वजन के बराबर कच्ची हल्दी इन तीनों का जूस निकाल ले, यह जूस नियमित रूप से 30 दिन पीने पर यकृत संबंधित सभी समस्याएं दूर होती हैं। 

2- मकोय:- 
जिगर संबंधित सभी परेशानियों के लिए मकोय एक आदर्श एवं प्रमाणित औषधि है, मकोय का प्रयोग हम दो प्रकार से कर सकते हैं जो निम्न वर्णित है, 

i- मकोय का फल:- 50 ग्राम मकोय का फल दिन में किसी भी समय केवल 30 दिन सेवन करने से जिगर संबंधी सारी समस्याएं दूर हो जाती है। 

ii- मकोय का पेड़:- मकोय के पूरे पेड़ को काट लें, इस को छाया में सुखाकर पाउडर बना लीजिए, सुबह खाली पेट एक चम्मच पाउडर गुनगुने पानी के साथ खाली पेट लगातार 30 दिन पीने से लीवर संबंधित विकार दूर होते हैं।
 
3- पीपली:- 
एक पीपली और 10 मुनक्का एक गिलास दूध में उबालकर, नियमित रूप से 45 दिन पीने पर जिगर संबंधित सभी समस्याओं को दूर करता है। 

4- पपीता:- 
सभी को मालूम है, कि पका हुआ पपीता लीवर के लिए रामबाण औषधि का काम करता है, परंतु यह बात सबको नहीं पता है, कि पके हुए पपीते से भी ज्यादा कच्चा पपीता लिवर के लिए एक आदर्श औषधि के रूप में कार्य करता है।
  
प्रयोग विधि:- कच्चे पपीते के टुकड़े करके, सेब या गन्ने के सिरके में 15 दिन तक डूबे रहने दे, इसके बाद उसको खाने के साथ आचार के रूप में प्रयोग करें, लीवर संबंधित समस्याओं के लिए यह एक आदर्श औषधि के रूप में काम करता है। 

5- गोमूत्र:- 
सुबह खाली पेट एक कप गोमूत्र यदि नियमित रूप से पिया जाए, तो जीवन में कभी भी लिवर संबंधी कोई भी रोग नहीं हो सकता, यह एक प्रमाणिक औषधि है।  गोमूत्र शरीर में होने वाले लगभग 50 लोगों को जड़ से खत्म कर देते हैं, जिनमें, टीवी, कैंसर, अस्थमा, किडनी फैलियर और यकृत संबंधी गंभीर रोग शामिल हैं।
 
6- जौ का जवारा:- 
जौ का जवारा और कच्ची हल्दी 20 ग्राम का जूस निकालकर, खाली पेट नियमित रूप से 2 महीना पीने से लीवर संबंधित, कोई भी रोग शरीर में शेष नहीं रहता। 

7- दूध एवं हल्दी:- 
रात को सोते समय नियमित रूप से, एक गिलास दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर, पीने से लीवर संबंधित सभी समस्याएं दूर होती है। 

8- लहसुन:-
लहसुन की एक पूरी पोथी का इस्तेमाल, हर रोज करने से लीवर संबंधित परेशानियां नहीं होते हैं। 
लहसुन की दुर्गंध से बचने के लिए लहसुन को खाने की एक विशेष विधि :- बिना छिलका उतारे लहसुन की पूरी पोथी सब्जी छुपते समय उसी में डाल दें, और सब्जी पूरी पकने के बाद में इस पौधे को निकाल कर अलग रख लें, फिर इस पौधे को खाना खाने के साथ खाएं, लहसुन खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगेगा एवं इससे किसी प्रकार की कोई दुर्गंध भी नहीं आएगी। 

9- इसबगोल:- 
इसबगोल का प्रयोग लीवर संबंधित समस्याओं के लिए करना चाहिए, हम किसी भी तरीके से किसी भी रुप में इसबगोल का सेवन कर सकते हैं।  इसबगोल का सबसे अच्छा प्रयोग रात के समय बोले दूधिया गुनगुने पानी के साथ माना जाता है, तथा दिन में इसका प्रयोग दही के साथ करना चाहिए। 

10- मुलेठी:- 
मुलेठी का प्रयोग सुबह का समय खाली पेट या रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ करना चाहिए, लीवर संबंधित सभी समस्याओं के लिए यह अचूक औषधि है।