पथरी का आयुर्वेदिक इलाज, वो भी घरेलु, आयुर्वेदिक और रामबाण इलाज, 100% गारंटेड इलाज, वो भी बिना किसी डॉक्टर की सहायता के/-

गुर्दे की पथरी का आयुर्वेदिक इलाज जानने के साथ, जाने यह होता क्यों है, कैसे होता है,
क्या आपने कभी सोचा है, यदि आपको किडनी में पथरी हो जाए, तो उसका क्या नुकसान हो सकता है? या पथरी होने के कारण क्या है? या पथरी होने की पुष्टि किस प्रकार करें? यदि हमें पथरी हो जाए तो उसका इलाज क्या करें? मैं जानता हूं जवाब आपका चाहे जो भी हो लेकिन आपके विचारों में गंभीरता आए हैं, स्टोन को लेकर,
आइए आज बात करते हैं, गुर्दे की पथरी के बारे में।
*गुर्दे की पथरी:-
गुर्दे की पथरी को नेफ्रोलिथियासिस (nephrolithiasis) के नाम से भी जाना जाता है, जो खनिजों और लवणों (Salt) से बनी होती है और जिसका निर्माण मुख्य रूप से किडनी में होता है। किडनी स्टोन की समस्या कई कारणों से हो सकती है, यदि समय से इसका इलाज न कराया जाए तो यह एक गंभीर समस्या का रूप ले लेती है, पथरी हमारे मूत्र मार्ग में जाकर मूत्र विसर्जन में अवरोध उत्पन्न करती है, जो धीरे-धीरे हमारी किडनी को खराब करने लगती हैं एवं शरीर के दूसरे भागों पर भी अपना असर करने लगती है। इसीलिए हम को चाहिए कि हमें सही समय पर सही ट्रीटमेंट चुनकर इस समस्या को खत्म करना चाहिए।
देखा गया है किडनी स्टोन चार प्रकार की होती है।
*1.कैल्शियम स्टोन्स-*
सर्वाधिक गुर्दे की पथरी कैल्शियम स्टोन होती हैं, जो कैल्शियम ऑक्सालेट (calcium oxalate) के रूप में होती है। ऑक्सालेट एक प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पदार्थ है, जो भोजन में पाया जाता है और इसके साथ इसका निर्माण लीवर द्वारा प्रतिदिन किया जाता है। कुछ फलों और सब्जियों इसके साथ में नट्स और चॉकलेट में भी उच्च मात्रा में ऑक्सलेट होता है।
*2.स्त्रावित स्टोन्स-*
स्त्रावित स्टोन (Struvite stones) किसी संक्रमण के कारण होते हैं, जो मुख्य रूप से मूत्र मार्ग में होता है। ये स्टोन बहुत जल्दी जल्दी बढ़ती हैं, और यह संख्या में भी अधिक हो जाती हैं।
*3.यूरिक एसिड स्टोन्स-*
यह स्टोन उन लोगों में अधिक होते हैं, जो उच्च प्रोटीन वाला भोजन करते हैं या पर्याप्त रूप में तरल पदार्थों का सेवन नहीं करते। यूरिक एसिड स्टोन (Uric Acid Stone) मूत्र में एसिड की मात्रा अधिक हो जाने के कारण यूरिक एसिड स्टोन बन जाते हैं, महिलाओ की तुलना में यह पुरूषों में अधिक होती है।
*4.सिस्टिने स्टोन्स-*
यह किडनी स्टोन मुख्यत है अनुवांशिकता के आधार पर होती है यह प्रायर बहुत कम देखने को मिलती है। देखा गया है कि इस प्रकार की पथरी छोटे बच्चे से लेकर बूढ़ों तक में बार-बार होती रहती हैं जो सिस्टिने नामक एसिड किडनी से यूरिन में लीक हो जाने के कारण होती है।
1.मूत्र विसर्जन में अत्यधिक दर्द होना गुर्दे की पथरी का मुख्य लक्षण है। यह दर्द मूत्र के समाप्त होते-होते अत्यधिक होता है।
2.बार-बार मूत्र आना- यदि आपको बार-बार पेशाब करने जाना पड़ता है, तो यह किडनी स्टोन हो सकता है। अत: व्यक्ति को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और और जितना जल्दी हो सके डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
3.कई बार देखा गया है कि पथरी रोग होने पर व्यक्ति को बार-बार उल्टी होती है। इस स्थिति में व्यक्ति को इसे गंभीरता से लेना चाहिए ताकि उसे किसी अन्य परेशानी का सामना न करना पड़े।
4. बार-बार रुक रुक के पेशाब आना भी पथरी का एक सामान्य लक्षण है क्योंकि यह इस समस्या के होने का संकेत देती है। इसी कारण किसी भी व्यक्ति को इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और बिना देर किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
5.मूत्र में खून का आना- पथरी रोग का अन्य लक्षण मूत्र में खून का आना भी होता है। अत: किसी भी व्यक्ति को इस स्थिति में कोई भी कदम बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं उठाना चाहिए।
गुर्दे की पथरी का आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज

1-नींबू :-
गुर्दे की पथरी निकालने के लिए नींबू सबसे सस्ता और सरल साधन है- *एक गिलास दूध गर्म करने के बाद गुनगुना ठंडा कर लीजिए।*एक बड़े नींबू का रस जो चीनी मिट्टी के कप में निकालना है। याद रहे कब धातु का न हो।
*सेवन विधि:-*
दूध में नींबू के रस को डालकर बिना किसी देरी के एकदम पीना है ( दूध में नींबू रस मिलने से दूध फट जाता है याद रहे दूध के फटने से पहले पहले नींबू रस मिला दूध में पी जाना है ताकि दूध हमारे पेट में जाकर फटे)। दूध नींबू का यह मिश्रण हमारे पेट में जाकर किडनी की पथरी को तोड़ता है और उसको मूत्रमार्ग से किडनी से बाहर निकाल देता है
इस औषधि की विशेषताएं:-
गुर्दे की पथरी के साथ-साथ यह औषधि बवासीर के लिए भी सर्वोत्तम औषधि है गुर्दे की पथरी हो या बवासीर इस औषधि का प्रयोग केवल 12 से 15 दिन ही करना है।
2-पत्थरचट्टा से गुर्दे की पथरी का इलाज:-*
पत्थरचट्टा का सेवन दो विधियों द्वारा कर सकते हैं-
1- पहली विधि के अनुसार पत्थरचट्टा के 2 पत्ते सुबह उठकर खाली पेट चबाने चाहिए पत्ते चबाकर एक कप गर्म पानी चाय की तरह चुस्की ले कर पीना चाहिए।
2- दूसरी विधि के अनुसार आधा किलो पत्थरचट्टा के पत्ते 1 किलो पानी में उबालना चाहिए उबलते हुए थे जब यह पानी आधा रह जाए तो इसको छानकर एक कांच की बोतल में रख लेना चाहिए।
*सेवन विधि:-*
आधा कप रोजाना सुबह-शाम खाली पेट पीना चाहिए( याद रहे इसे पीने के बाद 1 घंटे तक कुछ भी खाना या पीना नहीं है)।
*नोट :-* इसे लेने के बाद पेट में थोड़ा दर्द रह सकता है क्योंकि दवाई अपना काम करती है इससे डरना और घबराना नहीं, यह सहन करना पड़ेगा।
*गुड़हल के पुष्प द्वारा:-*
गुड़हल के तीन फूल रोजाना चबाकर खाने से दो से ढाई महीने में गुर्दे या पित्त की थैली की पथरी को जड़ से खत्म करती है। ताजे फूल के स्थान पर गुड़हल के फूल का पाउडर भी इस्तेमाल किया जा सकता है( पाउडर बनाने के लिए गुड़हल के फूलों को छाया में सुखा या जाना चाहिए)। इस औषधि का प्रयोग 2 से 2.5 महीने तक करना होता है। पथरी के लिए यह रामबाण औषधि है/
गुर्दे की पथरी के रोगियों को क्या नहीं खाना चाहिए
*इनमें चॉकलेट, नट्स, कार्बोनेटेड ड्रिक्स, दूध, पनीर, सोया पनीर, सोया दही, फास्ट फूड, रेस्टोरेंट फूड आदि आते हैं। – किडनी और पथरी की समस्या में चिकन, मांस आदि से परहेज करना चाहिए। इन पदार्थों में फैट तो ज्यादा है ही, प्रोटीन भी बहुत ज्यादा है। शाकाहारी लोगों को भी इस रोग में प्रोटीन कम ही लेना चाहिए।
1. गुर्दे की पथरी में रोगियों को क्या खाना चाहिए,:-
2. पथरी रोगी को खीरा, लौकी, प्याज, मूली एवं सभी हरी सब्जियां खानी चाहिए।
3. नींबू का प्रयोग विशेष तौर पर करें।
4. फलों में खट्टे फलों का उपयोग अत्याधिक होना चाहिए, जैसे अनानास संतरा मौसमी आदि।
5. ज्यादा से ज्यादा पानी पिए, नींबू की शिकंजी का उपयोग, छाछ का उपयोग प्रचुर मात्रा में होना चाहिए।