बच्चों का दिमाग तेज कैसे करें? देखे कुछ ही दिनों में असर, वो भी हिंदी में एक दम रामबाण इलाज?

बच्चों का दिमाग तेज कैसे करें?
बच्चों का दिमाग तेज कैसे करें? यह बहुत बड़ा सवाल है, माता- पिता के लिए “क्योंकि, जब बात बच्चों की आती है तो सबको फिक्र होती है, अपने बच्चों के स्वास्थ्य एवं अपने बच्चों के दिमाग के बारे में, कि अपने बच्चों को कैसे बुद्धिमान बनाएं कैसे अपने बच्चों का स्वास्थ्य ठीक रखें, हर मां बाप की इच्छा होती है, कि उनका बच्चा पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार हो बहुत एक्टिव हो, खेलने कूदने में, काम करने में, वह घूमने फिरने, चलने-फिरने दौड़ने उठने बैठने हर चीज में हमारा बच्चा एक्टिव हो, पूर्ण रूप से स्वस्थ बच्चा ही सब को अच्छा लगता है।
सभी की चाहत होती है, कि हमारा बच्चा ऑलराउंडर बने, लेकिन सही पोषण न मिलने के कारण और सही से देखभाल न होने के कारण हमारी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती, एवं हम अपने बच्चे को जैसा बनाना चाहते हैं, हमारा बच्चा ऐसा नहीं बन पाता है, जिसका दुख हर मां बाप को रह जाता है। आज के इस प्रतिस्पर्धा के दौर में सभी मां-बाप चाहते हैं, कि उनका बच्चा एक्टिव हो क्योंकि जो हम लोग अपने जीवन में नहीं कर पाते उसे पूरा करने की एक्सेप्टेशन हर मां बाप अपने बच्चे से लगाकर रखता है,
हर मां बाप चाहता है, कि उनका बच्चा हर वह मुकाम हासिल करें जो हम नहीं कर पाए, हमारा बच्चा उस मुकाम पर पहुंचे जिस मुकाम पर हम चाह कर भी और मेहनत कर कर भी नहीं पहुंच पाए। लाख कोशिशों के बाद भी कई बार बच्चा उतना एक्टिव नहीं होता है, जितना एक्टिव हम उसे बनाना चाहते हैं। लेकिन सही समय पर यदि हम, अपने बच्चों के एक्टिव ना होने के लक्षणों कारणों एवं उपचारों पर ध्यान दें, तो हम अपने बच्चों को अपने मन के अनुसार बना सकते हैं, जिसके लिए मां-बाप को थोड़ी सी एक्स्ट्रा मेहनत करने की आवश्यकता होती है।
इसके लिए हमें अपने बच्चों कि मानसिक ग्रोथ सारे ग्रोथ और बौद्धिक ग्रोथ क्यों नहीं हो रही है इसके लक्षणों का पता लगाना भी बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि यदि हमें लक्षण दिखाई नहीं देंगे तो हम कारणों का पता नहीं लगा पाएंगे कारणों का पता नहीं लगाई पाएंगे तो उनको अच्छा उपचार नहीं दे पाएंगे। तो आइए बात करते हैं उन लक्षणों के बारे में जो हमारे बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक स्तर के बारे में हमें सूचित करते हैं।
बच्चो का दिमाग तेज करने के साथ पहले जानना जरुरी है, बच्चों में नहीं हो पा रहे बौद्धिक विकास के लक्षण?
* बच्चे का पढ़ाई में मन न लगना।
* बच्चे का हमेशा गुमसुम बैठे रहना।
* मेहमान या किसी अपरिचित के आने पर बच्चे का शर्मा कर या घबराकर घर में छुप जाना।
* पढ़ाई के बारे में कुछ पूछे जाने पर बच्चा का चुप हो जाना।
* बच्चा जो याद करता है उसे याद न रख पाना या याद ना होना।
* बच्चे का खाना खाने में मन न लगना, दूध पीते हुए बच्चे को परेशानी होना।
* खेल के दौड़ते हुए अपने साथी बच्चों से पिछड़ जाना।
* छोटी-छोटी बातों पर बच्चे का रोना।
* चीजों के लिए बच्चे का जिद ना करना ( याद रखिए जो बच्चा चीजों को लेने के लिए जिद नहीं करता बच्चा नॉर्मल नहीं होता)
* बच्चों का गुमसुम या अकेलेपन में ही मन लगना।
उपरोक्त लक्षण दर्शाते हैं कि हमारे बच्चे का या तो बौद्धिक विकास नहीं हो पा रहा है या बच्चे का शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है या फिर हमारा बच्चा किसी बीमारी से ग्रस्त है। यह बीमारी शारीरिक भी हो सकती है और मानसिक भी।
आइये जानते हैं कि बच्चे का शारीरिक और बौद्धिक विकास किन कारणों के द्वारा नहीं होता है, या वे कौन से कारण हैं, जिनके कारण बच्चे में हैजिटेशन और बौद्धिक एवं मानसिक कमजोरी है।
* गर्भावस्था के दौरान मां को पौष्टिक आहार न मिलना भी बच्चों की मानसिक एवं शारीरिक दुर्बलता का कारण होता है
* गर्भावस्था में के दौरान यदि मां मानसिक स्ट्रेस या डिप्रेशन का सामना कर रही होती है तो इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे के ऊपर भी पड़ता है।
* गर्भावस्था के दौरान यदि मां बीड़ी सिगरेट तंबाकू या नशीले पदार्थों का सेवन करती है तो बच्चे का बौद्धिक एवं शारीरिक विकास सुचारू रूप से नहीं हो पाता।
* जन्म के बाद यदि बच्चे को मां का दूध एक पूरक आहार के रूप में न दिया जाए तो यह भी बच्चे के अधिकृत होने का प्रबल कारण है।
* बच्चे को छोटी-छोटी बात पर डांटना या बच्चे को ज्यादा स्ट्रेस देना भी बच्चे के मानसिक स्तर को बहुत हद तक गिरा देता है।
* बच्चे का डाइट प्लान सही तरीके से मेंटेन ना करना भी बच्चे को मानसिक एवं शारीरिक स्तर को कम करने के लिए जिम्मेदार होता है।
* बच्चों की आदत होती है कि वह पेंसिल लेकर या रंगों से दीवारों को गंदी करते हैं जिसको लेकर हम बच्चों के साथ ठोका ठोकी और डांटना धमकाना करते रहते हैं, जो सही नहीं है, चौकी बच्चों का माइंड क्रिएटिव माइंड होता है और वह कुछ ना कुछ करना चाहते हैं इसी के लिए यदि बच्चे को रोका जाए तो बच्चा बहुत ही दब्बू किस्म का हो जाता है,
* कई बार बच्चों की मस्तिष्क की मांसपेशियों में रक्त का संचार सही तरीके से न होने पर बच्चों की सोचने और समझने की शक्ति धीमी हो जाती है जिसके कारण बच्चे का मानसिक विकास रुक जाता है।
* कहीं बाहर जाने अनजाने में हम बच्चों के बीच भेदभाव करने लगते हैं जिसका बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
* कभी-कभी हद से ज्यादा लाड और प्यार भी बच्चे के स्वभाव को उग्र या स्थिर बना देता है।
बच्चों के मानसिक, शारीरिक एवं बौद्धिक विकास के लिए आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार।

1- गर्भावस्था के दौरान :-
यदि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती मां नियमित रूप से अच्छे साहित्य को सुनती है, पढ़ती है, और अपने जीवन में इसका प्रयोग करती है तो बच्चे पर इसका सकारात्मक प्रभाव होता है।
2- गर्भावस्था के दौरान मां का खानपान :-
गर्भावस्था के दौरान यदि मां का खानपान सात्विक एवं पोस्टिक होता है तो इसका बच्चे के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके कारण बच्चा बुद्धिमान और शारीरिक रूप से भी बलिष्ठ होता है।
3- चूना :-
गर्भावस्था के दौरान यदि नियमित रूप से पूरे 9 महीने मां दूध या दही के साथ गेहूं के दाने के बराबर चूने का इस्तेमाल करती है, तो बच्चा शारीरिक एवं मानसिक रूप से बलिष्ट हो जाता है।
4- मालकांगनी का तेल :-
मालकांगनी के तेल की दो बूंदे यदि बच्चे के नाक में रात को सोते समय नियमित रूप से डाली जाए तो, बच्चे का मानसिक विकास बहुत तेजी से ग्रोथ करता है और बच्चे की याददाश्त भी बहुत मजबूत हो जाती है। इसकी कोई समय सीमा नहीं है यह जब तक चाहे आप तब तक डालते रहें बच्चा बड़ा हो जाए तब भी।
5- दूध,अखरोट :-
बच्चे को यदि नियमित रूप से दूध के साथ अखरोट का एक चम्मच तेल दूध में मिलाकर पिला दे रहे तो बच्चे का दिमाग कंप्यूटर की तरह तेज हो जाएगा, जो याद करेगा उसे कभी नहीं भूल पाएगा।
6- कैल्शियम :-
बच्चे को कैल्शियम के रूप में दूध या दही में मिलाकर नियमित रूप से चुना खिलाने से बच्चे का मानसिक विकास होता है।
7- सेब :-
प्रतिदिन सुबह खाली पेट बच्चे को बीज सहित एक सेब खिलाएं, सेब में वह गुण होते हैं जो बच्चे के दिल को मजबूत करते हैं एवं सेब के बीज बच्चे के मस्तिष्क को एक्टिव बनाते हैं।
8- दलिया :-
दूध में बड़ा मीठा दलिया बच्चे को सुबह के समय खिलाने से बच्चे का दिमाग तेज होता है।
9- शंखपुष्पी :-
शंखपुष्पी घास का रस निकलकर एक चम्मच रस में एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से चटाकर दूध पिला दीजिये। इस प्रयोग को जितना किया जाए उतना ही अच्छा है। मस्तिष्क के लिए शंखपुष्पी एक आदर्श औषधि है।
10- ब्रह्मीः और शंखपुष्पी :-
ब्रह्मी और शंखपुष्पी का रस शहद के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच सुबह के समय प्रतिदिन नियमित रूप से बच्चे को गुनगुने दूध के साथ दे।
10- मालकांगनी के बीज :-
मालकांगनी के बीजों का सेवन नियमित रूप से करने पर मन को एकाग्र, बुद्धि को तेज करता है।सेवन विधि :- प्रारंभ में 1 सप्ताह तक एक बीज का सेवन, इसके बाद दूसरे सप्ताह तक दो बीज का सेवन, फिर तीसरे सप्ताह से लगातार तीन बीज का सेवन नियमित रूप से करना है। इसका सेवन गुनगुने पानी के साथ करना है, सुबह या शाम को खाली पेट।