फेफड़ो के आयुर्वेदिक इलाज, देखें रातो- रात असर, और कुछ ही दिनों में बिलकुल ठीक, बिना किसी डॉक्टर की सहायता के,

फेफड़ो के आयुर्वेदिक इलाज

फेफड़ो के आयुर्वेदिक इलाज के साथ जाने फेफड़ो का रोग होता कैसे होता है, और क्या है, साथ में लक्षण और कारण भी?

फेफड़ो के आयुर्वेदिक इलाज से पहले एक छोटी सी बात पर गौर करते है, टीवी पर एक बहुत अच्छा सा ऐड देखा था, जिसमें एक प्यारा सा डायलॉग था। भागदौड़ भरी जिंदगी, थकना मना है! सच में आज हमारी जिंदगी भी वैसे ही हो रही है,

बिल्कुल भागदौड़ जबरदस्त हमारी जिंदगी में लगी रहती है, लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा है कि हम भागदौड़ तभी कर सकते हैं जब पूर्ण स्वस्थ हो,  यदि हम सोचते नहीं है, तो क्या भागदौड़ कर पाएंगे? इस प्रश्न का उत्तर है नहीं बिल्कुल नहीं। मुझे नहीं लगता कि कोई मेरी बात से सहमत हो,  

इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हमारे शरीर में बहुत सारी बीमारियां लग जाती हैं, जो हमारी भागदौड़ पर एकदम से ब्रेक लगा देती है, हां यह बात करते हैं उन्हीं बीमारियों में से एक बहुत खास बीमारी के बारे में, जिसको फेफड़े की बीमारी कहते हैं। फेफड़ा हमारे शरीर के सबसे मुख्य अंगो में से है,

यदि हमारे फेफड़े खराब हो जाए तो हमारा जीना संभव ही नहीं, हमारे शरीर में दो फेफड़े होते हैं तो फिर नहीं होती है, लेकिन यदि किसी की एक किडनी खराब हो जाए तो वह जिंदा रह सकता है, एक किडनी के बिना जिंदा रहना रहा जा सकता है लेकिन एक फेफड़े के बिना जिंदा नहीं रहा जा सकता। 

फेफड़े में किसी तरह का भी संक्रमण हमें खाट पर लेटने के लिए मजबूर कर देता है, हमारे चारों तरफ हेल्प वायु प्रदूषण, इसके गर्वित होने के प्रमुख कारणों में से एक कारण है, लेकिन वायु प्रदूषण से अलग हुए थे गुणों के संक्रमित होने के बहुत से कारण है।  

जैसे- स्ट्रेस, बीड़ी, सिगरेट या अन्य धूम्रपान, दिल में होने वाली बीमारियां क्योंकि दिल और फेफड़े की बीमारियां एक दूसरे को प्रभावित करते हैं, शरीर में ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड का इकट्ठा हो जाना।  फेफड़ों की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है,

यह नवजात शिशु से लेकर 100 साल तक के व्यक्ति को कभी भी हो सकती है, फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण जिसकी को तपेदिक, लंग कैंसर, दमा/अस्थमा, या किडनी रोग और दिल के रोग भी हो सकते हैं। इसलिए हमें आवश्यकता है,

कि समय पर अपने फेफड़ों के संक्रमण के बारे में सजग रहें अपने फेफड़ों को सुरक्षित रखने के लिए हर वह प्रयास करें जो आवश्यक है, क्योंकि यदि हमारे फेफड़े सुरक्षित हैं, तो हम एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। 

फेफड़ो के आयुर्वेदिक इलाज के साथ जाने, फेफड़ों में होने वाले संक्रमण के लक्षणों के बारे में

शरीर के किसी भी अंग में कोई संक्रमण होने पर हमारे शरीर की एक्टिविटी हमें संकेत दे देती है कि हमारे शरीर के किससे में संक्रमण होने की संभावना है, लेकिन भागदौड़, और हमारी अधिक व्यस्तता के कारण हम उन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर हमारे लिए बहुत ही घातक सिद्ध होता है, आता है हमें शरीर द्वारा दिए जाने वाले संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। 

 फेफड़ों में संक्रमण के लक्षण एवं पहचान। 

* थोड़ा सा चलते ही यदि सांस फूलने लगे तो हमें यह समझने में देर नहीं करनी चाहिए कि हमारे फेफड़ों में संक्रमण होने की संभावनाएं प्रबल हैं। 

* सीने में पहले तो हल्का हल्का दर्द रहता है जो सांस लेते वक्त कम या ज्यादा होता रहता है, धीरे-धीरे यह दर्द क्या हो जाता है। हमें इस लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। 

* खांसी का हो जाना वैसे तो खांसी एलर्जी के कारण भी हो जाती है और सर्दी के कारण भी हो जाती है, लेकिन  यदि यह खांसी 8 दिन से ज्यादा रहती है तो यह हमारे सीने एवं फेफड़ों के संक्रमण का लक्षण है।  इसके लिए है हमें जल्दी से जल्दी अपने फेफड़ों की जांच करा लेना समझदारी भरा निर्णय माना जाएगा। 

* सीने में दर्द के साथ साथ उल्टी आना और कभी-कभी उल्टी में या खांसी के साथ खून का आ जाना भी फेफड़ा रोग का मुख्य लक्षण है। 

* हाथों और पैरों में सूजन का आ जाना भी फैबुडे रोग का एक लक्षण है। 

* यदि हमारी त्वचा का रंग जगह-जगह से नीला या बैंगनी होने लगे तो इसे भी सेपरेशन कर मन का एक लक्षण मान कर चलिए। 

* 15 दिन से अधिक बुखार का आना भी लंग्स के रोग का प्रमुख लक्षण है। 
 फेफड़े/Lungs रोग होने के कारण :- फेफड़ों के संक्रमण एवं फेफड़ों के रोग के होने के बहुत सारे कारण हैं यदि हमें फेफड़ों के खराब होने के कारण के बारे में विस्तार से मालूम हो जाए तो, हम कुछ जरूरी सावधानियां बरतकर, फेफड़ा रोग हो जाने की संभावना उपयोग बहुत हद तक कम कर सकते हैं, आइए जानते हैं फेफड़ों के रोग के विभिन्न कारणों के बारे में। 

* आज हर जगह जहां पर भी देखे वहीं पर वायु प्रदूषण का प्रकोप है, फेफड़ों के संक्रमित या रोगी हो जाने का मुख्य कारण हमारा पर्यावरण का दूषित हो जाना भी है, 

* बीड़ी सिगरेट और धूम्रपान करने से फेफड़ा रोग हो जाता है। 

* जरूरी नहीं कि जो लोग धूम्रपान करते हैं केवल उन्हीं को फेफड़ा रोग होगा बल्कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते हैं ऐसे लोगों को भी धूम्रपान करने वाले की वजह से भी, उनके पास बैठने वाले खास तौर से बच्चों को भी फेफड़ा रोग हो जाया करते हैं। 

* स्ट्रेस या डिप्रेशन भी फेफड़ा रोगों का प्रमुख कारण है। 

* बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण फेफड़ों में जगह-जगह मवाद या अन्य फ्रूट्स इकट्ठे हो जाते हैं, जिन्हें हम फेफड़ों में पानी का भरना भी कहते हैं, 

* बुखार और निमोनिया के कारण भी फेफड़ों में संक्रमण हो जाने की संभावनाएं प्रबल होती हैं।
 
* टाइफाइड भी फेफड़ों के इन्फेक्शन का प्रमुख कारण है। 

* फेफड़े का इन्फेक्शन एक इंसान से दूसरे इंसान में बहुत आसानी से खांसने, थूकने, बोलने या छींकने से से हो सकता है। 

* काम करते समय धूल धुआं और अन्य रासायनिक पदार्थों के हवा में के साथ अरे फेफड़ों में चले जाने के कारण यह इंफेक्शन हो जाता है। 

* हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाने के कारण यह है इन्फेक्शन हो सकता है। 

* एचआईवी एड्स भी फेफड़ों में इन्फेक्शन होने का प्रमुख कारण बन सकता है क्योंकि यह एक अवसरवादी बीमारी है जो एचआईवी से ग्रसित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने के कारण संक्रमित व्यक्ति को बहुत आसानी से लग सकता है। 

* बढ़ती हुई उम्र में लंच के काम करने की क्षमता कम हो जाया करती है इसलिए बढ़ती उम्र के लोगों को इनके संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। 

फेफड़ा/लंग्स रोग का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

1- गोमूत्र :-   
यदि किसी व्यक्ति के फेफड़ों में किसी प्रकार का कोई भी इंफेक्शन है तो उसके लिए रामबाण औषधि का काम करता है गोमूत्र।  एक कप गोमूत्र सुबह के समय खाली पेट नियमित रूप से प्रयोग करने वाले व्यक्ति को जीवन में कभी भी फेफड़ों से संबंधित रोगों का सामना नहीं करना पड़ेगा यह एक अचूक औषधि है। 

2- अर्जुन की छाल :-   
अर्जुन के पेड़ की छाल उतार लीजिए, उसको छाया में सुखाकर उसका पाउडर बना लीजिए,  सेवन विधि – सुबह दोपहर शाम चाय पत्ती की तरह से एक चम्मच छाल का पाउडर प्रयोग करें अर्थात दिन में तीन बार अर्जुन छाल के पाउडर की चाय बनाकर पीनी चाहिए। 

3- दालचीनी :- 
एक चम्मच दालचीनी पाउडर में एक चम्मच शहद मिलाकर हर रोज सुबह खाली पेट चाटने से फेफड़ा रोग में आश्चर्यजनक फायदे मिलते हैं। 

4- पीपल के पत्तों का रस :- 
एक कप पीपल के पत्तों का रस नियमित रूप से खाली पेट सुबह को लेने वाले व्यक्ति को फेफड़ा रोग जिंदगी भर नहीं हो सकता। 

5- आक के पत्ते :- 
आक के 4 पत्तों पर सीधी तरफ लॉन्ग का तेल लगा कर तवे के ऊपर गर्म करके लाइन से छाती के ऊपर फेफड़ों की जगह हल्के गुनगुने से रखें ऊपर रुई लगा कर एक बारी कपड़े से बांध दें सॉरी रात बंधे रहने दे, सर्दियों में होने वाली फेफड़ों की समस्या को यह प्रयोग काफी आराम पहुंचाता है,  यह प्रयोग निम्न निमोनिया से ग्रसित बढ़ो एवं बच्चों किसी भी उम्र के व्यक्ति के ऊपर करने से लाभ पहुंचाता है। 

6- पिपली :- 
एक पीपली को कूटकर, मुनक्का एक गिलास दूध में अच्छे से उबालकर रात के सोते समय पीने से फेफड़ा रोग के संक्रमण दूर होते हैं, तथा सास भी आसानी से आती जाती है, फेफड़ों में जमा बलगम भी सारा बाहर निकल जाता है और औषधि के इस्तेमाल के पश्चात आंखों में बलगम भी नहीं बनता। 

7- पिपरमिंट :- 
पानी को उबालकर उसमें एक चने के दाने के बराबर पिपरमिंट डालकर उसकी भाप लेने से फेफड़ों का संक्रमण खत्म होता है।  पिपरमिंट को गर्म तवे पर डालकर उसका धुआं पूरे घर में कर दें घर के व्यक्ति या खत्म हो जाते हैं सास और दमे के रोगियों के लिए यह दोनों बहुत ही आदर्श औषधि का काम करता है। 

8- काले नमक में शहद मिलाकर:-
यदि किसी व्यक्ति को सूखी खांसी या सांस के फूलने की शिकायत है तो वह काले नमक में शहद मिलाकर चाट लें, यह नुस्खा फेफड़ों के संक्रमण को खत्म करता है खांसी और सांस फूलने में तुरंत आराम करता है। 

9- काला बांसा :-  गाने बसे के 20 पत्तों को कूटकर फोन में एक चम्मच शहद मिलाकर नियमित रूप से चाटने पर फेफड़ों के इन्फेक्शन को खत्म करता है। 

10- योगासन एवं प्राणायाम :- 
योगासन एवं प्राणायाम नियमित करने से फेफड़ों के इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा नहीं होता, और यदि किसी को इंफेक्शन है तो वह भी खत्म होता है।