गिलोय के फायदे जानकर रह जाओगे दंग, की एक चीज के इतने सारे फायदे भी हो सकते है, अब आप कर सकते है अपना इलाज घर पर ही

गिलोय के फायदे

गिलोय के फायदे के साथ इसके बारे में कुछ जानकारी?

आज के समय में शायद ही कोई ऐसा हो जिसने गिलोय के बारे में ना सुना हो, सभी आयुर्वेद के जानकार गिलोय के ऊपर इतना ही विश्वास करते हैं, जितना विश्वास वह तुलसी के ऊपर करते हैं, जब गुणों के बारे में बात करते हैं, तो आयुर्वेद और तुलसी के गुणों में बहुत अधिक समानता है, पाई जाती हैं, जब से डेंगू बुखार प्रचलन में आया है,

तब से गिलोय का प्रचलन भी काफी बढ़ गया है, क्योंकि डिकोडिंग बुखार का सटीक उपचार केवल गिलोय के माध्यम से ही किया जा सकता है, डेंगू ही नहीं किसी भी प्रकार के बुखार को गिलोय के माध्यम से पूर्णता ठीक किया जा सकता है, गिलोय एक ऐसी औषधि है, जिसका प्रयोग करके हम अपने शरीर को पूर्ण स्वस्थ रख सकते हैं, एवं शरीर में होने वाली सैकड़ों बीमारियों का अपने घर पर ही पूर्णता उपचार करते।

आपने गिलोय के बारे में अनेक बातें सुन रखी होंगी और शायद गिलोय के कुछ फायदों के बारे में भी आप जानते ही होंगे, लेकिन यह पक्का है, कि आपको गिलोय के बारे में जितनी जानकारी आज आपको हम देने वाले हैं, उतनी जानकारी आपको नहीं होगी, गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे महारसायन माना गया है,

जो स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम औषधि होती है। गिलोय के पत्ते स्वाद में बहुत ही कसैले, तीक्षण कड़वे होते हैं। गिलोय का उपयोग करके हम अपने वात-पित्त और कफ को यह पूरी तरह ठीक कर सकते है। यह पचने में बहुत ही आसान होती है, भूख बढ़ाने के साथ-साथ यह आंखों के लिए भी बहुत गुणकारी औषधि है, गिलोय के इस्तेमाल से प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया, गुर्दे रोग में लाभ ले सकते हैं।

गिलोय में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के विशेष गुण होते हैं,इसके साथ ही यह वीर्य एवं धातु के साथ-साथ मस्तिष्क के विकास करने हेतु हम गिलोय का उपयोग कर सकते हैं, गिलोय के माध्यम से बुखार, उलटी, सूखी खाँसी, हिचकी, बवासीर, टीबी, मूत्र संबंधित रोग में भी प्रयोग करके शरीर में होने वाली विभिन्न बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। मासिक धर्म या प्रसव के बाद की पीड़ा एवं कमजोरी के लिए गिलोय का इस्तेमाल बहुत लाभदायक होता है।

गिलोय के फायदे के साथ जाने गिलोय के विभिन्न नाम?

गिलोय के फायदे के साथ जाने गिलोय के विभिन्न नाम?

गिलोय को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, आइए जानते हैं हम गिलोय को किन-किन विभिन्न नामों से जाना जाता है।

* Hindi (Giloy in Hindi) –

गडुची, गिलोय, अमृता आदि नामों से गिलोय को हिंदी भाषी क्षेत्रों में जाना जाता है।

* English –
विदेशों में इस दिव्य औषधि को कुछ अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जो इस प्रकार हैं
इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora); टिनोस्पोरा (Tinospora)

* भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में गिलोय को निम्न नामों से जाना जाता है

Giloy in Bengali–
गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe)

* Sanskrit – वत्सादनी,छिन्नरुहा,गुडूची,तत्रिका,अमृता,मधुपर्णी,अमृतलता,छिन्ना,अमृतवल्ली,भिषक्प्रिया

* उड़ीसा में गिलोय के नाम-
 गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi)

* कन्नडा क्षेत्रों में गिलोय के नाम-
अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni)

* गुजरात में गिलोय को जिन नामों से जाना जाता है वह इस प्रकार हैं
– Gujarati – गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo)

* गोवा में गिलोय को जिस नाम से जाना जाता है –
अमृतबेल (Amrytbel).

* दक्षिण भारत में गिलोय को जिन नामों से जाना जाता है इस प्रकार हैं-

Tamil –
अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi)* Telugu –तिप्पतीगे (Tippatige),अमृता (Amrita),गुडूची (Guduchi)

* नेपाली में –
गुर्जो (Gurjo)

* पंजाबी में –
गिलोगुलरिच (Gilogularich),गरहम (Garham),पालो (Palo)

* मराठी में –
गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल(Ambarvel)

* Malayalam –
अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu)Arabic – गिलो (Gilo)Persian – गुलबेल (Gulbel), गिलोय

(गिलो अलग अलग राज्य में गिलोय को अलग अलग नाम से जाना जाता है, औषधि के रूप में प्रयोग कि जब बात करते हैं, तो सभी एकमत होते हैं क्योंकि गिलोय का आयुर्वेद में अपना एक स्थापित महत्व है, आइए जानते हैं गिलोय के विषय में।

गिलोय के फायदे के साथ जाने, गिलोय की पहचान एवं परिचय ?

गिलोय के फायदे के साथ जाने, गिलोय की पहचान एवं परिचय ?

गिलोय का कोई पेड़ या पौधा नहीं होता बल्कि गिलोय की बेल होती है, जब बात किस के पत्तों के विषय में करते हैं, तो इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह दिखाई देते हैं, पान के पत्ते स्वाद में शिक्षण होते हैं जबकि गिलोय के पत्तों का स्वाद बहुत ही कसैला और कड़वा होता है,कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं।यह जिस पेड़ पर चढ़ती है,

उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है। नीम के बाद पीपल के पेड़ के ऊपर चढ़ी हुई गिलोय भी आयुर्वेद की दृष्टि से हृदय रोगियों के लिए अपना एक अलग ही महत्व रखती है, आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है। टीबी रोग का कारण बनने वाले वाले जीवाणु की वृद्धि को रोकती है।

आंत और यूरीन सिस्टम के साथ-साथ पूरे शरीर को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है। गिलोय इतनी प्रभावशाली औषधि है कि एलोपैथ के आधुनिक डॉक्टर भी डेंगू, चिकनगुनिया, टाइफाइड, और मलेरिया जैसे घातक बुखार के लिए गिलोय के इस्तेमाल की सलाह देते हैं।

गिलोय के फायदे से पहले जाने गिलोय औषधि का चुनाव* 
जब हम गिलोय औषधि के प्रयोग के लिए चुनाव की बात करते हैं, तो हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि नीम के पेड़ के ऊपर चढ़ी हुई गिलोय ही प्रयोग के लिए सर्वोत्तम गुण रखती हैं, यदि आपको नीम के ऊपर चढ़ी हुई गिलोय नहीं मिलती तो पीपल के ऊपर चढ़ी हुई गिलोय भी इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि नीम के बाद पीपल का पेड़ ही सर्वोत्तम गुण वाला होता है क्योंकि गिलोय की प्रवृत्ति ऐसी होती है, यह जिस पेड़ के ऊपर चढ़ती है उस पेड़ के गुण भी अपने अंदर आत्मसात कर लेती हैं ।

गिलोय के फायदे से पहले जाने गिलोय का काढ़ा कैसे बनाएं*
 
आधा किलो गिलोय कि बेल का तना छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर इसे हथौड़ी या पत्थर के शीला से कूट लीजिए, तथा स्टील के बर्तन में या मिट्टी के बर्तन में 2 लीटर पानी मैं इसे अच्छी तरह धीमी आंच पर तब तक उबालें जब तक यह पानी एक लीटर ही रह जाए, अब इस पानी को आंच से नीचे उतार लीजिए, जब यह ठंडा हो जाए तो अपने दोनों हाथों से गिलोय की डंडीयों को अच्छे से मसल देना चाहिए, इसको फिर कुछ देर तक धीमी आंच पर उबालें और गरम-गरम को कपड़े के माध्यम से छान लीजिये, क्योंकि इसका स्वाद बहुत ही कसैला एवम् कड़वा होता है इसलिए स्वाद के लिए आप इसमें थोड़ा सा काला नमक या सेंधा नमक मिला सकते हैं।

नोट :- समुद्री नमक का प्रयोग पूर्णत: वर्जित है।

नोट :– उबालने के लिए मिट्टी के बर्तन धातु में स्टील के अतिरिक्त किसी भी धातु का प्रयोग पूर्णत: वर्जित है, तांबा, पीतल,एलुमिनियम आदि धातु नकारात्मक परिणाम देते हैं।

गिलोय के फायदे एवं आयुर्वेदिक उपचार ?

गिलोय के फायदे एवं आयुर्वेदिक उपचार ?

* डेंगू बुखार में गिलोय के फायदे-
डेंगू बुखार में गिलोय का काढ़ा बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है, यह जितनी तेजी से बुखार को कम करता है, उतनी ही तेजी से यह खून में प्लेटलेट्स का भी निर्माण करता है, डेंगू के रोगियों के लिए गिलोय का इस्तेमाल सर्वोत्तम माना गया है, यदि किसी को डेंगू बुखार हुआ है, तो उसे बिना किसी की सलाह लिए, दिन में तीन बार आधा कप गिलोय का काढ़ा अवश्य पिलाएं, मात्र 2 से 3 दिन में रोगी पूर्ण स्वस्थ हो जाता है। प्रयोग विधि :- गिलोय काढा आधा कप एक गिलास गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन बार 8-8 घंटे के अंतर से लें।

* टाइफाइड बुखार में गिलोय के फायदे-       
आयुर्वेद के अनुसार हमारे लिवर के लिए गिलोय का उपयोग बहुत ही उत्तम है,क्योंकि टाइफाइड लीवर से संबंधित बुखार है, इसलिए हमें चाहिए कि टाइफाइड के रोगी को गिलोय का आधा कप काढ़ा दिन में दो बार ,सुबह और शाम के समय खाली पेट हल्के गुनगुने पानी के साथ दे, तथा यह प्रयोग टाइफाइड ठीक होने के एक महीने बाद तक भी नियमित रूप से देना चाहिए, क्योंकि टाइफाइड हमारे लिवर को कमजोर करता है, लीवर को पूरी तरह ठीक करने के लिए गिलोय का इस्तेमाल एक से डेढ़ महीने तक करना लाभकारी होता है,

* मलेरिया बुखार में गिलोय के फायदे –     
मलेरिया बुखार के रोगी को चाहिए कि वह आधा कप गिलोय का काढ़ा गुनगुना पीकर कुछ देर बाद एक गिलास दूध पिए, यह प्रयोग सुबह शाम दिन में दो बार करना है, मात्र 2 दिन में मलेरिया पूरी तरह ठीक हो जाएगा ।

* चिकनगुनिया में गिलोय के फायदे –         
चिकनगुनिया के मरीज को चाहिए कि वह आधा कप गिलोय का काढ़ा एक गिलास गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन बार इस्तेमाल करें, तथा नहाने के लिए गिलोय की पत्ती का इस्तेमाल सर्वोत्तम है, नहाने के लिए गिलोय की 10 से 12 पत्तियां धोकर पानी में उबाल लें, दिन में कम से कम एक बार इस पानी से नहाए, बहुत ही जल्दी आपका चिकनगुनिया रोग आश्चर्यजनक ढंग से गायब हो जाएगा ।

* TB. रोग में गिलोय के फायदे –         
टीबी रोगी को चाहिए कि वह है आधा कप गिलोय का काढ़ा तथा आधा कप गोमूत्र मिलाकर हर रोज सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ पीना चाहिए, मात्र 3 महीने के प्रयोग से टीबी रोग को पूर्णता समाप्त कर देता है, गिलोय पाउडर एक चम्मच सुबह- शाम दूध के साथ लेने से टीबी के रोगी को अस्थमा नहीं होने देता,

* शुगर रोगी को गिलोय के फायदे –
(गिलोय की पत्तियों को कूटकर निकाला गया रस )               
गिलोय का रस 2 चम्मच, शुद्ध देशी मधुमक्खी का शहद 1/2 चम्मच मिलाकर दिन में दो-तीन बार पीने से भी डायबिटीज में जबरदस्त फायदा होता है।
पत्थर की शिला पर एक चम्मच शहद डाल ले,अब लगभग 2 इंच लंबी गिलोय का तना शहद के साथ शीला पर पीसकर स्थित चटनी बना ले, गुनगुने पानी के साथ सुबह और शाम दोनों समय लगभग 3 महीने नियमित रूप से इस्तेमाल करने से शुगर को समाप्त करता है ।
10 मिली गिलोय के रस को पीने से डायबिटीज, वात विकार के कारण होने वाली बुखार तथा टायफायड में लाभ होता है।

* आंखों के लिए सर्वोत्तम औषधि गिलोय-
10 मिली गिलोय के रस में 5 मिलीग्राम अदरक का रस एवं 5 मिलीग्राम सफेद प्याज का रस मिलाकर एक कांच की शीशी में भरकर ठंडी जगह अर्थात फ्रिज में रख ले,इसे आँखों में काजल की तरह रात को सोने से पहले आंखों में लगाएं। इससे अँधेरा छाना, चुभन, और काला तथा सफेद मोतियाबिंदआदि आंखों के सभी रोग ठीक होते हैं। गिलोय रस में त्रिफला मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में एक ग्राम पिप्पली चूर्ण व शहद मिलाकर रात को सोते समय गुनगुने पानी या गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से आँखों की रौशनी बढ़ती है और पेट की कब्ज ठीक होती है ।

* कब्ज में गिलोय के फायदे –           
कब्ज के रोगी को चाहिए कि वह आधा कप गिलोय का काढ़ा रात को सोते समय गुनगुने दूध के साथ या एक से दो गिलास गुनगुने पानी के साथ इस्तेमाल करें, पुरानी से पुरानी कब्ज को दूर करके आपकी पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है ।

* मूत्र रोग में गिलोय के फायदे –           
मूत्र संबंधित सभी रोगों में गिलोय बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है, 2 लीटर पानी में 15-20 गिलोय की पत्तियों को अच्छी तरह उबाल लें, शोध के लिए इस पानी में एक चम्मच सेंधा नमक मिला सकते हैं, इस पानी को छानकर एक दिन में थोड़ा-थोड़ा करके सुबह से शाम तक पूरा 2 लीटर पानी पी जाना है, मात्र 3 दिन के प्रयोग से ही मूत्र संबंधित सभी विकारों को दूर कर देता है ।

* गठिया में गिलोय के फायदे –               
गठिया रोग से पीड़ित व्यक्तियों को चाहिए कि वह एक गिलास गर्म पानी में आधा कप गिलोय का काढ़ा मिलाकर तथा इसमें एक गेहूं के दाने के बराबर खाने में प्रयोग किया जाने वाला चूना मिलाकर दिन में एक बार इस्तेमाल करें, मात्र 30 दिन के इस्तेमाल से ही, गठिया जैसी भयंकर आपदा से मुक्ति मिलेगी ।

* गैस और एसिडिटी में गिलोय के फायदे-
गिलोय का काढ़ा गुड़ के साथ इस्तेमाल करने से शरीर में गैस एवं एसिडिटी की समस्या को समाप्त करता है, यदि इस प्रयोग को करने के बाद एक गिलास गुनगुना पानी भी पी लिया जाए तो यह गैस और एसिडिटी के साथ-साथ पेट में कब्ज की समस्या होगी समाप्त कर देता है।

* कफ एवं खांसी की समस्या में गिलोय के फायदे-
गिलोय का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर सुबह शाम खाली पेट जीभ से चाटकर खाएं कफ एवं खासी की समस्या को बहुत जल्दी आराम पहुंचाती है, वैसे तो गिलोय और सेहत दोनों की ही प्रकृति शीत होती है, लेकिन दोनों एक जगह मिलने के बाद फेफड़ों के रोगों के लिए बहुत चमत्कारी सिद्ध होते हैं ।

* कैंसर रोगियों के लिए गिलोय के फायदे-
आयुर्वेद के अनुसार यदि कैंसर रोगी नियमित रूप से गिलोय का इस्तेमाल करते हैं तो कैंसर को खत्म करने में गिलोय अपना अहम रोल अदा कर सकती हैं,लगभग 2 फुट लम्बी तथा एक अगुंली जितनी मोटी गिलोय, 10 ग्राम गेहूँ की हरी पत्तियां (ज्वारा ) लें, इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाकर पीस लें। इसे कपड़े से निचोड़ कर 1 कप की मात्रा में खाली पेट प्रयोग करे,इस रस का सेवन करने से कैंसर जैसे भयानक रोगों को ठीक करने में बहुत मदद मिलती है।

* पीलिया रोग में गिलोय के फायदे-             
जिन लोगों को पीलिया की समस्या है उन लोगों के लिए गिलोय का इस्तेमाल बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है, इंडिया रोगियों को चाहिए कि वो गिलोय का काढ़ा गन्ने के रस में मिलाकर जी मात्र 15 दिन के इस्तेमाल से पीलिया की समस्या बिल्कुल खत्म हो जाती है ।