मोतियाबिंद के आयुर्वेदिक इलाज, देखे कुछ ही दिनों में असर, बिना किसी डॉक्टर की मदद के,

मोतियाबिंद के आयुर्वेदिक इलाज

मोतियाबिंद के आयुर्वेदिक इलाज के साथ, जाने यह होता क्या है/-

मोतियाबिंद के आयुर्वेदिक इलाज के साथ यह भी जानना जरुरी है, की मोतियाबिंद की समस्या जिस व्यक्ति के अंदर हो हो जाती है, उसके देखने की क्षमता बहुत कम हो जाती है,  यह समस्या मुख्य तक 50 साल के बाद शुरू होती है जैसे ही इंसान 50 साल का होता हैउसके आंख और कमजोर होते चले जाती है क्योंकि उसकी आंखों में मोतियाबिंद आने लगता है, वैसे तो मोतियाबिंद सभी प्रकार का होता जैसे काला मोतिया सफेद मोतिया, लेकिन प्रकार कितने भी हो काम इसका आंखों को खराब करना ही होता है,

हमारी आंखों से हम कुछ देख ना पाए यही काम मोतिया का असली काम होता है,  एलोपैथ में मोतिया का इलाज केवल ऑपरेशन यदि किसी को मुंह पर बंद हो जाता है तो उसका ऑपरेशन कर दिया जाता है यह ऑपरेशन सफल भी होता है लेकिन कभी-कभी जब ऑपरेशन सफल नहीं होता तो व्यक्ति की आंखों की रोशनी बिल्कुल खत्म हो जाती है और वह अंधा हो जाता है, इसके उलट आयुर्वेद में मोतियाबिंद के सफल इलाज है जो मोतियाबिंद को जड़ से खत्म कर देते हैं। वैसे तो मोतियाबिंद की समस्या 50 साल के बाद शुरू होती है,

लेकिन कई केसों में देखा गया है यह समस्या कम उम्र के लोगों को भी हो रही है, जिसका कारण हमारा डिजिटल ही होना भी है,  टीवी, सिनेमा, एलईडी, मोबाइल और कंप्यूटर ऐसे बहुत से उपकरण है जो हमारी आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं,  आज मोबाइल का अंधाधुंध दिन रात चौबीसों घंटे इस्तेमाल हमारी आंखों के खराब होने का प्रमुख कारण है,  आंखों की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती चली जाती है और आगे चलकर यह है मोतियाबिंद के रूप में विकट हो जाती है,  लेकिन यदि सही समय पर हम आयुर्वेद के सही उपचार करें तो हम इस समस्या से अपनी आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं, आंखों के उपचार मैं हम आंखों के प्राणायाम भी कर सकते हैं,

पोस्टिक आहार द्वारा भी अपने आंखों की रक्षा कर सकते हैं, एवं आयुर्वेद की दवाइयों के द्वारा, अपनी आंखों को स्वस्थ एवं ज्योतिर्मय बना सकते हैं।  जिसके लिए हमें अपने आंखों की देखभाल करने की बहुत आवश्यकता है।  क्योंकि यदि आंखों में एक बार कोई विकार आ जाए तो वह आसानी से स्वस्थ नहीं हो पाता।  यदि हमें सुंदर संसार को देखना है तो हमें अपनी आंखों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। 

मोतियाबिंद के आयुर्वेदिक इलाज के साथ, जाने आंखों में मोतियाबिंद के लक्षण

यदि समय रहते हम आंखों में होने वाले विकारों एवं मोतियाबिंद के लक्षण की पहचान कर सकें तो हमें अपनी आंखों को स्वस्थ रखने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा, आइए जानते हैं आंखों में आने वाले मोतियाबिंद के कौन-कौन से लक्षण हैं। 

* जब हमारी आंखों से धुंधला या अस्पष्ट दिखाई देने लगे तो हमें समझ जाना चाहिए कि हमारी आंखों में कोई विकार उत्पन्न हो रहा है, संभवत यह मोतियाबिंद की निशानी है। 

* कभी-कभी हमें एक वस्तु की दो वस्तुएं दिखाई देने लगती है जिसे हम नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि चीजों का दोहरा देखना हमारी आंखों में मोतियाबिंद का प्रबल लक्षण है। 

* रंगों का सही प्रारूप दिखाई ना देना हमारी आंखों में मोतियाबिंद आने का शुरुआती लक्षण यह है कि हमें रंग फीके दिखाई देने लगते हैं। 

* जब हमारी आंखों में रोशनी चुभने लगे और बहुत धीमी रोशनी भी हमको बहुत तेज प्रतीत होने लगे तो हमें समझने में देरी नहीं करनी चाहिए थी है मोतियाबिंद की शुरुआत हो चुकी है, इस लक्षण को हमें गंभीरता से लेना चाहिए। 

* जब हम किसी बल दिया रोशनी को देखते हैं और हमें उसके चारों तरफ रंगीन घेरा दिखाई देता है जिसके कारण बल्ब स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देता, यह भी हमारी आंखों का विकार का एक लक्षण है। 

* विशेष तौर पर रात के समय जब हमारी दृष्टि कम हो जाए अर्थात हमें आंखों से कम दिखाई देने लगे और दूर की वस्तुएं पास दिखाई देने लगे तो हमें समझ जाना चाहिए हमें अपनी आंखों की जांच कराने में देरी नहीं करनी चाहिए। 

* वस्तुओं का स्पष्ट साइज न दिखने के स्थान पर वस्तु के चारों तरफ हल्का सा देहरा बना होना भी इस रोग का एक लक्षण है। 

* यदि हमारे चश्मे का नंबर लगातार बढ़ता जा रहा है तब हमें आंखों के जांच करा लेने की बेहद आवश्यकता है। 

* आंखों में जलन होना और आंखों से पानी का लगातार रिसना इस रोग का एक लक्षण है। 

* आंखों की पुतली के बीच का रंग सफेद या काला हो जाना दर्शाता है कि आपको मोतियाबिंद का रोग हो चुका है

आंखों में मोतियाबिंद होने के कारण

आंखों में मोतियाबिंद होने के बहुत से कारण हैं, लेकिन यदि सही समय पर हम इनकी जांच करके सही उपचार ले तो भविष्य में आने वाली आंखों की परेशानियों से बच सकते हैं। और यह बात करते हैं उन कारणों के बारे में जिनके कारण मोतियाबिंद की शिकायत होती है। 

* बढ़ती उम्र के कारण हमारे शरीर में विटामिंस की कमी होती चली जाती है, जिनमें से प्रमुख है विटामिन ए, शरीर में विटामिन ए की कमी होने के कारण आंखों में विकार उत्पन्न होने लगते हैं। 

* चोट लगने के कारण भी आंखों में विकार उत्पन्न हो जाते हैं जिनके कारण मोतियाबिंद का आंखों में आ जाना एक सामान्य क्रिया है। 

* कई बार आंखों में कोई केमिकल गिर जाने की वजह से भी यह अधिकार हो जाने की संभावनाएं प्रबल हो जाती है। 

 * फल और हरी सब्जियां न खाने के कारण हमें भरपूर मात्रा में विटामिन से नहीं मिल पाते और हमारी आंखों में विकार आ जाते हैं

* मधुमेह का असर भी आंखों के ऊपर बहुत गंभीर रूप से पड़ता है जिसके कारण आंखों में कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं जिनमें से मोतियाबिंद भी एक है। 

* यदि हम सूर्य का प्रकाश सीधे तौर पर अपनी आंखों पर डालते हैं तो इसके कारण भी आंखों में विकार उत्पन्न होते हैं। 

* अधिक मात्रा में शराब का सेवन भी आंखों में कई प्रकार के विकारों को जन्म देता है। 

* अनुवांशिकता विश का एक प्रमुख कारण है। 

* हाई ब्लड प्रेशर के कारण आंखों में मोतियाबिंद की शिकायत हो सकती है। 

* धूल वाले स्थान पर रहना या धूल वाले स्थान पर काम करना हमारी आंखों को बहुत नुकसान पहुंचाता है। 

* धुँए के कारण भी हमारी आंखों में कई प्रकार के विकार हो जाया करते हैं, जिन में मोतियाबिंद भी शामिल है

मोतियाबिंद के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार।  

आयुर्वेद में मोतियाबिंद का कारगर एवं सटीक उपचार उपलब्ध है यदि हम सही तरीके से आयुर्वेद का इस्तेमाल करें तुम आंखों के मोतियाबिंद को प्रमाणिकता के साथ ठीक कर सकते हैं। 

1- गोमूत्र :- 
गाय की बछिया का मूत्र नियमित रूप से आंखों में सुबह शाम डालने से 3 से 4 महीने में ही मोतियाबिंद पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। 

2- अदरक और तांबा :- 
तांबे की सलाई को अदरक में चुभाकर होकर सुबह शाम नियमित रूप से आंखों में डालने से मोतियाबिंद पूर्णतया ठीक हो जाता है, और आंखों का चश्मा भी उतर जाता है। 

3- मोतियाबिंद नाशिनी:-
*सफेद प्याज का रस एक चम्मच*नींबू का रस एक चम्मच*तीन चम्मच मद*एक चम्मच गुलाब जल इन सभी को एक जगह मिलाकर कांच की शीशी में रख लीजिए एक एक बूंद दोनों आंखों में सुबह जागने पर और रात में सोते वक्त निरंतर 3 से 4 महीने डालें, आंखों के हर प्रकार के रोग के लिए यह रामबाण औषधि है,  इस औषधि के 4 महीने के उपयोग से किसी भी व्यक्ति की आंखें बिल्कुल बच्चे की आंखों की तरह दृष्टि तेज हो जाएगी। 

5- शहद :- 
देसी मधुमक्खी का शहद आंखों में नियमित रूप से डालने पर मोतियाबिंद की शिकायत पूर्ण तक ठीक हो जाती है। 

6-माल्हा :- 
माल्हा के पेड़ की पत्तियों का रस नियमित रूप से सुबह शाम आंखों में डालने पर मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों के हर रोग का निवारण पूर्ण रूप से हो जाता है। 

7- ममीरा :- 
ममीरा का उत्पादन सांप द्वारा किया जाता है जो यह माल्हा के पेड़ के द्वारा करता है यदि शुद्ध ममीरा का इस्तेमाल आंखों में स्कूल में के रूप में लगातार तीन महीने किया जाए आंखों पर रोग को जड़ से खत्म कर देता है। 

8- अदरक और प्याज :- 
अदरक और प्याज का रस बराबर मात्रा में मिलाकर 15 की शीशी में भरकर हिंदी जगह पर रख ले सुबह शाम आंखों में डालने पर मोतियाबिंद के साथ-साथ आंखों की हर समस्या का पूरी तरह से निवारण कर देता है।