अपने हमेशा भांग के बारे में हमेशा सुना तो होगा ही, की यह एक नशा है, पर आज जानते है की,क्या भांग के प्रयोग भी होते है

भांग के औषधीय गुण
आज बात करते हैं, हम एक ऐसी दिव्य औषधि के बारे में जिसको लोगों ने बहुत अधिक बदनाम कर रखा है, या यूं कहें कि सबसे बदनाम पौधा जिसको हम नशे का भंडार मानते हैं, लेकिन सही शब्दों में कहा जाए तो यह है कि यह पौधा एक दिव्य औषधि है, जिसका सही मात्रा में उपयोग बहुत गंभीर बीमारियों से निजात दिला सकता है। लेकिन इसके बारे में सही जानकारी न होने के कारण ज्यादातर लोग इस पौधे से नफरत करते हैं, लोगों ने इस पौधे को बदनाम कर रखा है जबकि यह पौधा एक दिव्य एवं श्रेष्ठ औषधि है।जी हां हम बात कर रहे हैं, भांग के बारे में भांग वह दिव्य औषधि है जिसने भगवान शंकर द्वारा किए गए विश्व को उनके शरीर में फैलने से रोकने में भगवान शिव की मदद की, समुंद्र मंथन के दौरान जब भगवान शिव ने विष का पान किया था उस समय भांग के सेवन से ही भगवान शिव ने अपने शरीर से विष का प्रभाव दूर करने के लिए भांग का सेवन किया था, लेकिन लोग इस पौधे को भगवान शिव का प्रसाद मानकर इसका सेवन करके नशा करते हैं जो बहुत गलत है और लोगों को समझना चाहिए कि यह एक दिव्य औषधि है इसका प्रयोग केवल औषधि के रूप में ही करना श्रेष्ठ है।
भांग का पौधा प्राय भारतवर्ष के सभी स्थानों पर देखने को मिलता है यह विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश बंगाल बिहार राजस्थान हरियाणा में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, नशे के आदि लोग भांग का प्रयोग अधिकतर नशा करने के लिए ही करते हैं जबकि भांग के औषधि के रूप में बहुत दिव्य प्रयोग हैं,
अलग-अलग राज्यों एवं अलग-अलग भाषाओं में भांग के पौधे को विभिन्न नामों से जाना जाता है
जैसे:–
1. हिंदी में इसको– भांग, भंग।
2. अंग्रेजी में इसको– इंडियन हेंप।
3. संस्कृत में विजयाा , मदकारिणी, भंगा।
4. मराठी में इसे – भांग।
6. बंगाली में इसको– सिद्धि भांग।
विभिन्न राज्य एवं भाषाओं में इसको भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है।
कुछ तथ्य जो भांग की क्षेत्रीय जरूरतों की कहानी दर्शाते है ।भारतवर्ष में भांग के स्वत पैदा हुए पौधे सभी जगह पाये जाते हैं। भांग विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाया जाता है। भांग के पौधे 3-8 फुट ऊंचे होते हैं। इसके पत्ते एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। भांग के पौधे की ऊपर वाली पत्तियां 1-3 खंडों से युक्त तथा निचली पत्तियां 3-8 खंडों से युक्त होती हैं। निचली पत्तियों में इसके व्रत लम्बे होते हैं। भांग के नर पौधे के पत्तों को सुखाकर भांग तैयार की जाती है।
भांग के मादा पौधों की रालीय पुष्प मंजरियों को सुखाने के बाद गांजा तैयार किया जाता है। भांग की टहनियों और पत्तों पर जमे राल के समान पदार्थ को चरस कहते हैं। भांग की खेती प्राचीन समय में ‘पणि’ कहे जानेवाले लोगों द्वारा की जाती थी। ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कुमाऊँ में शासन स्थापित होने से पहले ही भांग के व्यवसाय को अपने हाथ में ले लिया था तथा काशीपुर के नजदीक डिपो की स्थापना भी कर ली थी।
दानपुर, दसोली तथा गंगोली की कुछ पहाड़ी जनजातियां भांग के रेशे से कुथले और कम्बल बनाती थीं। भांग के पौधे का घर गढ़वाल में चांदपुर कहा जा सकता है। इसके पौधे की छाल से रस्सियाँ बनाई जाती हैं। डंठल कहीं-कहीं मशाल का काम भी देता है। पहाड़ी क्षेत्रों में भांग प्रचुरता से होती है, खाली पड़ी जमीन पर भांग के पौधे स्वभाविक रूप से पैदा हो जाते हैं। लेकिन उनके बीज खाने के उपयोग में नहीं आते हैं। टनकपुर, रामनगर, पिथौरागढ़, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोडा़, रानीखेत,बागेश्वर, गंगोलीहाट में बरसात के बाद भांग के पौधे लगभग सभी जगह देखने को मिल सकते हैं। नम जगह भांग के लिए बहुत अनुकूल रहती है।
पहाड़ की लोक कला में भांग से बनाए गए कपड़ों की कला बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन मशीनों द्वारा बुने गये बोरे, चटाई इत्यादि की पहुँच घर-घर में हो जाने तथा भांग की खेती पर प्रतिबन्ध के कारण इस लोक कला लगभग लुप्त होने की कगार पर है। होली के अवसर पर मिठाई और ठंडाई के साथ इसका प्रयोग करने की परंपरा है। भांग का इस्तेमाल लंबे समय से लोग दर्द निवारक के रूप में करते रहे हैं। कई देशों में इसे दवा के रूप में भी उपलब्ध कराया जाता है।
शायद हम में से कई लोगों ने भांग का उपयोग होली में ठंडाई के रूप में, भांग के पेड़े के रूप में, भांग की बर्फी के रूप में, नशे के लिए किया होगा। पर क्या आप को पता है जिस भांग को आप नशे के रूप में उपयोग करते हैं वह औषधीय गुणों से भरपूर होती है। भांग का पौधा स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी गुणकारी होता है। इसमें कई औषधीय गुण मौजूद होते है जिसके सेवन से कई बड़ी बीमारियों से शरीर का बचाव किया जा सकता है। अधिकतर लोग भांग के पौधों से नशे के लिए सामग्री निकालते है। भांग का मादा पौधा होता है उसकी जो मंजरिया होती है उससे गांजा तैयार किया जाता है। भांग में कन्नाबिनोइड (cannabinoid) नामक तत्व पाया जाता है जो कफ और पित्त जैसी समस्या का नाश करता है।
भांग के औषधीय Uses ?

1. माइग्रेन (आधे सर का दर्द) में भांग का प्रयोग :–
(a)- भांग के गीले पत्ते या सूखे पत्ते को हाथ में लेकर अच्छी तरह रगड़ने पर लंबी गहरी सांस के द्वारा हाथों को सूंघने से माइग्रेन की पीड़ा में कुछ ही पलों में चमत्कारिक आराम मिलता है यदि हर रोज सुबह के समय और रात को सोते समय यह प्रयोग नियमित रूप से दोहराया जाए तो मात्र 30 दिन मैं ही पुराने से पुराना माइग्रेन पूरी तरह ठीक हो जाएगा।
(b)- भांग के पत्तों को आज के ऊपर हल्का गर्म करके अब इन पत्तों को हाथ से रगड़ कर इन कारक माइग्रेन के मरीज की नाक के दोनों सुरो में डालने से माइग्रेन के दर्द में तुरंत आराम मिलता है रात को रोजाना सोने से पहले यह प्रयोग यदि नियमित रूप से एक महीना किया जाए तो यह माइग्रेन के दर्द को जड़ से समाप्त कर देता है।
2. बवासीर में भांग का प्रयोग :–
बवासीर के रोगों को चाहिए कि वह हैं भांग के ताजा पत्ते घोटकर या पीसकर एक चम्मच सुबह के समय खाली पेट छाछ के साथ निगल ले । यह प्रयोग लगातार तीन महीने तक करना है, वैसे तो भांग एक नशीला पदार्थ होता है इसके पत्तों में भी बहुत नशा होता है लेकिन बवासीर के रोगी को इस विधि द्वारा दिए गए भांग के पत्तों का नशा नहीं होता जब तक मरीज को बवासीर की शिकायत रहेगी तब तक उसे भांग के पत्तों से नशा नहीं होगा। लेकिन जैसे ही बवासीर ठीक हो जाएगी। भांग के पत्ते अपना असर दिखाना शुरू कर देंगे। जिस दिन भांग के पत्तों का असर कहने का मतलब है कि जिस दिन भांग के पत्ते मरीज को नशा करने लगे उस दिन समझ जाइए कि बवासीर का रोग खत्म हो गया है,बवासीर के रोगियों के लिए भांग के पत्तों का यह प्रयोग बहुत कारगर औषधि है , इसका कोई दुष्प्रभाव भी देखने को नहीं मिलता।
3. शीघ्रपतन में भांग का प्रयोग :–
शीघ्रपतन रोगियों के लिए भांग एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि है इसके प्रयोग से शीघ्रपतन की समस्या जड़ से समाप्त हो जाती है यदि कोई व्यक्ति शीघ्रपतन से पीड़ित है तो उसको चाहिए कि वह शारीरिक संबंध बनाने से लगभग एक घंटा पहले 4–5 पत्ते भांग के और एक चम्मच सौप दोनों को एक जगह पीसकर चटनी बना ले , इस चटनी को ठंडे दूध के साथ सेवन करें। जो लोग यह कहते हैं कि वह 2 मिनट भी नहीं रोक पाते और सेक्स का चरम होने से पहले ही वीर्य स्खलन कर बैठते हैं जिसके कारण उन्हें अपने सेक्स पार्टनर के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है उन लोगों को चाहिए कि वह इस नुस्खे को सेक्स क्रिया करने से लगभग एक घंटा पहले प्रयोग करें। आपके साथ साथ आपके सेक्स पार्टनर को भी सेक्स का परमानंद आएगा।
4. सिर का डैंड्रफ एवं सिर के न दिखने वाले कीड़ों के लिए भांग का प्रयोग :–
यदि किसी व्यक्ति को डैंड्रफ की समस्या है या सर में ऐसे कीड़े हैं जो हमारे बालों को अंदर अंदर से खा रहे हैं उन्हें चाहिए कि वह भांग के पत्तों का इस्तेमाल करें। बांध के पत्तों का इस्तेमाल करके सर के नए दिखने वाले कीड़े और डैंड्रफ को जड़ से खत्म किया जा सकता है यह प्रयोग बेहद आसान, सस्ता और कम समय में अच्छा परिणाम दे सकता है। जिस व्यक्ति के सर में अधिक डैंड्रफ रहता है उसके सर में बालों को खाने वाले कीड़े हो जाया करते हैं जिसके कारण सर में गंजापन हो सकता है इस समस्या से बचने के लिए यह प्रयोग बहुत ही कारगर है आइए जानते हैं सर में गंजापन एवं डैंड्रफ को दूर करने के लिए भांग के पत्तों का प्रयोग कैसे करें।प्रयोग विधि :– 50 ग्राम भांग के पत्ते, 50 ग्राम मकोय के पत्ते, दोनों का एक जगह पेस्ट तैयार कर ले , इस पेस्ट का सिर पर लेप करें, यह लेख लगभग आधा घंटा सर के ऊपर से लगा रहने दे। आधे घंटे बाद सर को गुनगुने पानी से धो लें। मात्र 3 दिन के प्रयोग से सर से डैंड्रफ और कीड़े गायब हो जाएंगे।
5. लिंग की नसों को मजबूत करें भांग :–
जिन पुरुषों के लिंग में टेढ़ापन है या उनके लिंग की नसे कमजोर है या लिंग में उत्तेजना के बाद भी ढीलापन रहता है उन लोगों को चाहिए कि वह अपनी इस समस्या को दूर करने के लिए भांग का यह प्रयोग अवश्य करें , भांग वीर्य स्तंभन करने के साथ-साथ नसों को बल भी प्रदान करती है भांग का यह प्रयोग पुरुषों को सेक्स संबंधी बल प्रदान करता है ।
प्रयोग विधि :– गांजा को अरंडी के तेल में पीसकर इसका लेप लिंग के ऊपर करने से लिंग का टेढ़ापन दूर होता है, लिंग की नसें मजबूत होती हैं एवं लिंग को ताकत प्रदान करता है।
6. भूख बढ़ाने के लिए करे भांग का प्रयोग :–
जिन व्यक्तियों को यह शिकायत है कि उन्हें भूख नहीं लगती या खाया पिया नहीं लगता उन लोगों के लिए भांग एक चमत्कारी औषधि है यदि आपको भूख नहीं लगती तो आप भांग का प्रयोग करें, भांग आपके लीवर को बल प्रदान करती है जो आपकी भूख में वृद्धि करता है एवं शीघ्र अति शीघ्र खाए हुए खाने को पचाने का काम भी करता है, भूख की कमी को दूर करके भांग भूख में आश्चर्यजनक वृद्धि भी करता है।भूख कम लगने की समस्या में भी भांग का पौधा काफी लाभकारी माना गया है। इस पौधे में मौजूद तत्व हमारी पाचन क्रिया को मजबूत करते है। इससे मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है और भूख लगती है। इसके लिए आपको प्रतिदिन सुबह-शाम भांग के दो-तीन पत्ते खाने होंगे।वैसे तो यह दो से तीन पत्ती आप रूखी भी खा सकते हैं लेकिन यदि सुबह के समय छाछ के साथ एवं शाम के समय दूध के साथ आप यह पति चबाकर खाते हैं तो यह अधिक लाभकारी होता है।
7. गठिया बाय के रोगियों के लिए रामबाण है भांग का तेल :–
(a)- भांग के तेल को हल्का गुनगुना करके गठिया बाय के मरीज की मालिश करनी चाहिए यह मालिश बहुत हल्के हाथ से करें, और घुटनों के ऊपर सूती कपड़ा या ग्रुप चढ़ा दें, रात को सोने से पहले सबसे ज्यादा असरदार होती है । दिन के समय में यदि धूप में बैठकर यह मालिश की जाए तो यह सब से लाभकारी होती है। गठिया बाई के मरीज को यदि लगातार 2 से 3 महीने यह मालिश कर दी जाए तो गठिया बाय बिल्कुल समाप्त हो जाती है और मरीज पहले की तरह चलने फिरने लगता है।
(b)- लगभग दो सौ ग्राम भांग के पत्ते छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें अभिनय लोहे की कढ़ाई में डालकर इनके दो चम्मच भांग का तेल डालने, अच्छी तरह गर्म होने दें याद रहे पत्ते जलने नहीं चाहिए जब यह अच्छी तरह गर्म हो जाए तो इन पत्तों को गठिया बाय के मरीज के गानों पर हल्का गुनगुना रखकर सूती कपड़े से बांध लपेट दें रात भर इनको ऐसे ही बंधा रहने दे सुबह उठकर खोलकर फेंक दे।यह प्रयोग लगभग 15 दिन करें इसका असर आपको 15 दिन में स्पष्ट दिखाई देगा।
8. दमा रोगियों के लिए वरदान है भांग :–
दमा रोगियों के लिए भांग का सेवन बहुत अच्छा माना गया है। दमा के मरीजों के लिए 125 मिलीग्राम गर्म की गई भांग के साथ 2 ग्राम कालीमिर्च और 2 ग्राम ही मिश्री को मिला ले। इस मिश्रण का इस्तेमाल गर्म दूध या गुनगुने पानी के साथ करने से दमा के रोग में बहुत आराम मिलता है।
भांग के दुष्परिणाम :–

यदि भांग का सेवन अधिक मात्रा में किया जाए तो दिमाग से आपका नियंत्रण कम कर देती है, आपका मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है, अगर भांग के नशे की लत लग जाए तो दिमाग के विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है. बता दें कि इसके सेवन के बाद दिमाग हाइपर ऐक्टिव हो जाता है. हमारे सोचने-समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है और हम आस-पास की स्थितियों को भलि प्रकार समझ नहीं पाते हैं. साथ ही हेलोसिनेशन और साइकोसिस की दिक्कत भी बढ़ने की संभावनाएं बहुत प्रबल हो जाती है ।इसके साथ साथ हार्ट अटैक की संभावनाएं और ब्लडप्रेशर बढ़ जाने के कारण आंखें लाल होने लगती है. सांस लेने की परेशानियां बढ़ सकती है. भांग का सेवन महिलाओं को गर्भ धारण करने में भी परेशानी कर सकता है।अगर भांग को अधिक मात्रा में ले लिया जाए तो यह पेट में गर्मी और जलन भी कर सकती है। अगर आपको पहले से कोई और बीमारी है तो इसकी अधिक मात्रा आपके शरीर को निष्क्रिय बना सकती है इसलिए हमें चाहिए कि भांग का प्रयोग वेद के निर्देशानुसार ही किया जाए क्योंकि इसके दुष्परिणाम भी बहुत ही खतरनाक होते हैं जिनके चलते इंसान पागल हो सकता है या उसकी जान भी जा सकती है।