डेंगू का घेरलू इलाज, कारण, लक्षण, और बचाव(Dengue herbal Ayurvedic treatment, causes, symptoms, and prevention)

इसका का घेरलू आयुर्वेदिक इलाज, कारण, लक्षण, और बचाव के साथ जानिए ये क्या है, और कैसे होता है/
डेंगू का घेरलू इलाज के साथ जाने, शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, डेंगू के बारे में ना सुना हो, इसका का संक्रमण (एडीज) नामक मादा मच्छर के काटने से होता है, जो अधिकतर सुबह के समय काटता है, इस मच्छर की पहचान के लिए, इसके शरीर पर सफेद रंग की धारियां बनी होती है, दिखने में बहुत ही सुंदर लगता है, इस मच्छर का प्रकोप बारिश समाप्त होने के तुरंत बाद शुरू हो जाता है,
मुख्यतः सितंबर के महीने के लास्ट से शुरू होकर, यह नवंबर के आखिर तक जाते को अपना प्रकोप दिखाता है। क्योंकि यह मच्छर बहुत ऊंची उड़ान नहीं भर सकता, इसलिए यह मच्छर धरती से कुल एक से डेढ़ फीट की ऊंचाई तक ही उड़ पाता है, इसीलिए हमें, विशेष तौर पर सितंबर अक्टूबर-नवंबर के महीने में ऐसे कपड़े पहनने चाहिए, जो हमारे पैरों को पूरी तरह से ढक सके।
जब यह मच्छर किसी इंसान को काटता है, तो यह अपनी लार के द्वारा डेंगू वायरस भी इंसान के शरीर में छोड़ देता है, के कारण इंसान को धीरे-धीरे बुखार शुरू होता है, और यह वायरस इंसान के खून में प्लेटलेट्स बनाने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिसके कारण इंसान की प्लेटलेट्स डाउन हो जाती है, प्लेट डाउन होने के कारण इंसान के शरीर में से, जगह-जगह से ब्लीडिंग होने शुरू हो जाती है। बिल्डिंग बहुत ज्यादा हो जाने के कारण इंसान की मौत तक हो जाती हैं,
एलोपैथ में डेंगू का कोई प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं है, शरीर में पानी की मात्रा कम ना हो, इसलिए एलोपैथ में डॉक्टर मरीज को ग्लूकोज़ चढ़ाते हैं, प्लेटलेट्स कम होने के कारण मरीज को प्लेटलेट चढ़ाते हैं, डेंगू के उपचार में बहुत बड़ा खर्च हो जाता है और जान का खतरा जो का तो बना रहता है, लेकिन यदि हम आयुर्वेद का ट्रीटमेंट देखे तो आयुर्वेद में डेंगू का शत प्रतिशत इलाज है, जो 2 से 3 दिन में ही डेंगू को जड़ से खत्म कर देता है। अंदर खाने एलोपैथ के डॉक्टर इस बात को मानते तो हैं, लेकिन समाज के सामने इसको स्वीकार नहीं करते, क्योंकि यदि वे आयुर्वेद को स्वीकार करेंगे, तो उनकी महंगे इलाज वाली दुकान बंद हो जाएगी।
खैर आइए जान लेते हैं, डेंगू की पहचान क्या होती है, अर्थात हम कैसे पहचान सकते हैं, कि हमें डेंगू है, या साधारण बुखार।
डेंगू का घेरलू इलाज के साथ जाने! डेंगू के लक्षण
1- डेंगू का सबसे पहला और खास लक्षण है, कि यदि हमें बुखार के साथ बेचैनी हो तो, यह डेंगू का संकेत देता है।
2- मन में घबराहट जी का मैं चलाना और बार बार उल्टी की संभावनाएं होना।
3- बुखार के साथ-साथ जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द शुरू हो जाना।
4- शरीर त्वचा का रंग धीरे-धीरे लाल और ज्यादा लाल हो तो चले जाना।
5- बुखार में सांस फूलना आंख और कानों में जलन होना।
6- हाथ और पैरों में झनझनाहट के साथ खुजली होना।
7- बुखार का स्तर 104 फारेनहाइट तक चले जाना।
8- नाक मूत्रमार्ग एवं मल के रास्ते खून का रिसाव।
9- बुखार में कमजोरी के कारण शरीर में स्थिलता ता आते बनना।
10- खून की उल्टी लगना।
सितंबर के अंत से लेकर दिसंबर के पहले सप्ताह तक बुखार के दौरान, यदि उपरोक्त लक्षणों की आशंका है, तो रोगी को जल्दी से जल्दी सटीक आयुर्वेदिक उपचार देने की जरूरत है। डेंगू एक जानलेवा बुखार है, इसको कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए असम का होते ही इसका उपचार तुरंत शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि आपकी जरा सी लापरवाही आपके साथ दुर्घटना को अंजाम दे सकती हैं, डेंगू से बचने के लिए जरूरी है यह जान लेना डेंगू से, फैलने के कारण कौन-कौन से हैं
अर्थात डेंगू फैलता कैसे हैं, यदि हमें यह जानकारी होगी कि डेंगू फैलता कैसे है, तो हम इससे अपना बचाव इसके संक्रमण से पहले ही कर सकते हैं। वेदों में वर्णित है समझदारी रोग का उपचार कराने में नहीं समझदारी इसमें है, कि हम लोग को पनपने ही ना दें, तो आइए जान लेते हैं कि डेंगू के फैलने के मुख्य कारण कौन कौन से हैं?
डेंगू संक्रमण के कारण
1- एडीज नामक मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है, तो वह अपनी लार में मौजूद वायरस व्यक्ति के खून में छोड़ देता है, जिसके कारण व्यक्ति को डेंगू का संक्रमण हो जाता है
2- डेंगू के सीजन में पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े न पहनना, हमारी लापरवाही को दर्शाता है, जिसके कारण डेंगू मच्छर हमें काटता है और हमें संक्रमण हो जाता है।
3- कोई भी मच्छर जब डेंगू से संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो खून के साथ-साथ व्यक्ति से साधारण मच्छर के शरीर में डेंगू का वायरस भी पहुंच जाता है, इसके बाद जब वह साधारण मच्छर किसी व्यक्ति को पड़ता है, तो अपनी लार के साथ-साथ उस व्यक्ति को अपने अंदर आया डेंगू का इन्फेक्शन दे देता है।
4- जिस जगह पर साफ पानी रुका हुआ होगा, वहां डेंगू का मच्छर पनपता है, और फिर वह हमें संक्रमित करता है।
5- घर में मच्छरदानी का प्रयोग ना करना भी इस बीमारी की मुख्य वजह है।
6- बुखार के शुरुआती लक्षणों में लापरवाही बरतना हमें, डेंगू के संक्रमण की भयावह स्थिति की ओर ले जाता है।
डेंगू से बचाव के उपाय क्या है।
1-अपने आसपास मच्छर न पनपने देना।
2- यदि आपके आसपास कोई ऐसी जगह है जहां पर मच्छर पैदा हो रहे हैं वहां पर केरोसिन या फिर पेट्रोल फिर कॉल करना।
3- पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना।
4- सुबह के समय पार्क में जूते मुझे सहित पहन कर जाना।
5- डेंगू के सीजन में थोड़ा सा भी बुखार आने पर तुरंत उपचार करना।
डेंगू के आयुर्वेदिक उपचार

1- गिलोय :-
गिलोय का काढ़ा डेंगू के लिए सर्वोत्तम औषधि है। यह काढा रोगी को हर 4 घंटे बाद आधा कप लगातार देते रहे, मात्र 2 दिन में डेंगू ठीक हो जाता है।
2- गौमूत्र :-
गोमूत्र डेंगू के लिए सर्वोत्तम औषधि है, सुबह खाली पेट एक कप रोजाना गोमूत्र का सेवन करने से, डेंगू जैसा कोई भी रोग शरीर में नहीं लगता, डेंगू के मरीज को चाहिए की रोजाना दिन में हर 4 घंटे बाद, आधा कप गोमूत्र का सेवन करें मात्र 2 से 3 दिन में ही डेंगू पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
3- हल्दी :-
गीली हल्दी और गीला अदरक बराबर मात्रा में कूटकर काढ़ा बना लें, इस गाड़ी में पुराना गुड भी मिला लेना चाहिए। प्रत्येक 4 घंटे में आधा कप लगातार 3 दिन तक पिलाने से डेंगू बिल्कुल ठीक हो जाता है।
मैथी, हल्दी, सौंठ पावडर :- मेथी, अंबा हल्दी, और सूट को बराबर बराबर मात्रा में लें इनको कोटकर एक जगह मिश्रण बना लें, एक एक चम्मच दिन में तीन बार लेने से मात्र 1 दिन में डेंगू का संक्रमण ठीक हो जाता है।
4- डेंगू काढ़ा :-
एलोवेरा, गिलोय और पपीते के पत्ते बराबर मात्रा में लें, आवश्यकतानुसार पानी डालकर इसको धीमी आंच पर अच्छे से पकाएं, छानकर कांच के बर्तन में भरकर रख लें हर 4 घंटे बाद आधा कप रोगी को पीने के लिए दें, मात्र 24 घंटे में डेंगू पूरी तरह ठीक हो जाता है।
5- गाय या बकरी का दूध :-
गाय या बकरी का दूध डेंगू का मरीज जितना ज्यादा किए, उतना ज्यादा ही अच्छा है। याद रहे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में कई बार पीना है, एक साथ एक गिलास से ज्यादा न पीये।
6- खूबकला :-
एक गिलास दूध में आधा चम्मच खूबकला और 8 से 10 मुनक्का उबालकर सुबह और शाम दोनों समय पिए। दोपहर के समय भी आधा चम्मच खूबकला गुनगुने पानी के साथ ले।
डेंगू बुखार होने पर डेंगू का वायरस, हमारे खून में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ने से रोक देता है जिसके कारण हमारे शरीर से ब्लीडिंग होने शुरू हो जाती है, और शरीर से खून रिसने के कारण मरीज की मौत हो जाती है। ऊपर दिए हुए सभी नुस्खे शरीर में प्लेटलेट्स को फिर से बनाने में सहायता करते हैं, जिसके कारण शरीर से ब्लीडिंग नहीं होती, और डेंगू वायरस का असर कम होकर खत्म हो जाता है।