
Rain disease इलाज, या फिर यूँ कहे, की अगर आपको पहले ही पता हो की कैसे आप बारिस से होने वाली एलर्जी से बच सकते हो?
Rain disease :- मौसम गर्मी को हो या सर्दी का हो सब अपनी जगह सुहावने होते हैं, सबके कई प्रकार के फायदे और कई प्रकार के नुकसान भी होते हैं, लेकिन बरसात का मौसम एक ऐसा मौसम है, जो सभी को प्यारा लगता है इसके अपने फायदे होते हैं वह कुछ नुकसान भी होते हैं, बरसात में भीगना किस को अच्छा नहीं लगता किसको अच्छा नहीं लगता कहने का मतलब है, कि बारिश में भीगना सभी को अच्छा लगता है,
कोई व्यक्ति कुछ भी काम करता है तो उसे बरसात का मौसम बहुत पसंद होता है खासतौर से किसान और बच्चों के लिए तो बारिश का मौसम बहुत प्यारा और सुखदायक होता है, गर्मी से निजात पाने के लिए बारिश का मौसम किसी संजीवनी से कम नहीं होता सभी का मन करता है कि बरसात में भीगी और इस का आनंद उठाएं, बरसात के मौसम में भांति भांति के पकवान बना कर खाना और खिलाना सभी को पसंद है।
लेकिन बरसात के मौसम के जितने फायदे हैं कहीं ना कहीं कुछ नुकसान भी हैं इस मौसम में फंगल इन्फेक्शन होने के बहुत अधिक जोखिम होते हैं, विशेष तौर पर बच्चों के लिए यह मौसम बहुत ही नुकसानदेह हो सकता है यदि हम समय पर उनका और उनकी सेहत का ध्यान रखें तो,
बारिश का मौसम भले ही अपने साथ ठंडक और सुकून लेकर आता हो लेकिन इसके साथ ही बारिश का मौसम अपने साथ कई परेशानियां भी लेकर आता है। बारिश का मौसम सभी की स्किन के लिए खासतौर पर काफी मुश्किल समय होता है। इस दौरान वातावरण में काफी नमी होती है जो स्किन के लिए बहुत ज़्यादा अच्छी नहीं मानी जाती है।हालांकि इतना डरने की भी जरूरत नहीं है, बस थोड़ी सी सावधानी हमारे स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती है,
मॉनसून स्किन प्रॉब्लम्स की सही ढंग से केयर की जाए और सावधानी बरती जाए तो इन्हे बढ़ने से रोका जा सकता है और समय रहते इन्हें पूरी तरह ठीक किया जा सकता है और इनसे बचाव भी किया जा सकता है। आइए उन तथ्यों के बारे में बात करते हैं जो मॉनसून में होने वाली कॉमन स्किन प्रॉबलम्स के बारे में और समय रहते इनके उपचार के विषय में।
बारिश के मौसम में होने वाले विभिन्न Rain disease and Problem :-
दाद ,खाज ,खुजली, घमौरी, फोड़े_ फुंसियां, चकत्ते बन्ना ,पैरों में फंगस, मुंह में छाले ,आंखों में संक्रमण, नाखूनों में संक्रमण , नाखूनों के बराबर में मिट्टी का जमा हो जाना,
बरसात के मौसम के शरीर पर होने वाले Rain disease and Reason : –
शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे:-
1. कमर पर खुजली हो जाना,
2. पेट और कमर पर खुजली के साथ-साथ लाल रंग के चकदे बन जाना।
3.हाथों के बगल में खुजली के साथ-साथ दाने हो जाना
4. दोनों पैरों के बीच में (जांघों के बीच में) खुजली होना और जांघों का लाल हो जाना।
5. गुप्तांगो में फंगस इंफेक्शन का हो जाना महिला एवं पुरुष दोनों ही को।
6. पैरों की उंगलियों के बीच में घाव हो जाना।
7. शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे गर्दन, छाती, जांग, हाथ एवं पैरों पर दाद हो जाना।
8. मुंह के अंदर छाले हो जाना विशेष तौर पर सफेद रंग के छाले होना।
9. आंखों में इंफेक्शन हो जाना तथा आंखों का लाल हो जाना।
10. नाखूनों के बीच में संक्रमण हो जाना जिसके कारण नाखूनों के बीच में घाव का बन जाना।
11. चेहरा एवं शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे सर, कमर ,हाथ ,पैर आदि सभी हिस्सों पर कहीं पर भी दाने एवं फोड़े फुंसियां हो जाना।
उपरोक्त सभी लक्षण बारिश के कारण हुए अवसरवादी संक्रमण हैं, मौसमी बारिश में यह संक्रमण प्राय हो जाया करते हैं जिनकी यदि सही समय पर सही देखभाल की जाए तो इन्हें आसानी के साथ ठीक किया जा सकता है लेकिन यदि सही समय पर सावधानी न बरती जाए तो यह एक गंभीर बीमारी का भी स्वरूप ले सकते हैं।
आइए जानते हैं कुछ ऐसे कारणों के बारे में के कारण यह Rain disease हो जाया करते हैं।
बरसात में होने वाली Rain disease के कारण :–
1. आवश्यकता से अधिक पानी में भीगना भी इस मौसम में होने वाली एलर्जी का प्रमुख कारण है।
2. गीले कपड़े पहनना इस मौसम में विशेष रूप से हमारी त्वचा के लिए बहुत ही घातक होता है जो त्वचा के रोगों का एक प्रमुख कारण बनता है।
3. कच्छा , बनियान एवं किसी भी प्रकार के अंतः वस्त्र को भली प्रकार धोए बिना पहन लेना भी इस मौसम में होने वाले संक्रमण के जोखिम को अधिक बढ़ा देते हैं।
4. गंदे एवं गीले जूते और मोजे भी पैरों में होने वाले फंगस एवं संक्रमण के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार होते हैं।
5. नहाने के बाद शरीर को सूखे कपड़े से शरीर को नहीं पोछना भी बरसात के मौसम में के रोगों में वृद्धि करता है।
6. बासी एवं बिना ढका भोजन करना भी इस मौसम में होने वाले रोगों की वृद्धि के लिए कहीं हद तक सहायक सिद्ध हो जाता है।
7. बारिश के पानी में नहाने के बाद घर में शुद्ध पानी से ना नहाना भी बरसात के मौसम में होने वाले त्वचा संबंधित रोगों को बढ़ावा देता है।
8. खट्टी चीजें एवं आम जैसे फलों का अधिक मात्रा में सेवन भी इस मौसम में होने वाले त्वचा संबंधित रोगों के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार होता है।
9. गुप्त अंगों एवं शरीर के विभिन्न हिस्सों की अच्छी प्रकार सफाई न करना भी इस मौसम में त्वचा संबंधित रोगों के पनपने का मुख्य कारण होता है।
10. बरसात के मौसम में पर्याप्त रूप से धूप का न मिलना भी त्वचा संबंधित रोगों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होता है।
बरसात के मौसम में होने वाले Rain disease से बचाव के लिए उपाय :–
1.एक बात का विशेष ध्यान रखें कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में बिल्कुल ना आए जितना हो सके संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।
2.अपने घर में रखे हुए गमले, कूलर, जानवरों के पीने के लिए रखा हुआ पानी का बर्तन एवं खाली बर्तन आदि में बारिश का पानी बिल्कुल भी जमा ना होने दें।
3.पीने का पानी और सब्जियां व फल को भलीभांति साफ एवं स्वच्छ रखें।
4.विशेष तौर पर हाथों, पैरों को अच्छी तरह धोयें।
5.नहाने के बाद शरीर के ऊपर सरसों एवं नारियल का तेल जरूर लगाएं।
6.मच्छर भगाने वाली कीटनाशक दवाइयों एवं उपकरणों का इस्तेमाल बरसात के इस मौसम में बहुत आवश्यक हो जाता है।
7.जहां तक हो सके भरपूर नींद लें और शारीरिक व्यायाम करने में बिल्कुल भी कोताही ना बरतें।
8.धूप का सदुपयोग करें गीले कपड़ों को धूप में जरूर सुखाना चाहिए, यदि धूप नहीं निकल रही है तो हर बार कपड़ो को प्रेस करके पहने।
9.12 घंटे से अधिक अंतः वस्त्रों का एक बार इस्तेमाल न करें।
10.गीले एवं भीगे हुए मौजों एवं जूतों का इस्तेमाल बिल्कुल ना करें।
11.बारिश के पानी से नहाने के बाद तुरंत साफ घरेलू पानी से जरूर नहाना चाहिए।
12.अंगों एवं शरीर के विभिन्न हिस्सों की अच्छी प्रकार साफ सफाई रखनी चाहिए एवं शरीर पर तेल का प्रयोग करते रहें।
13.इस तौर पर विशेष रूप से खट्टी चीजों एवं ठंडे पेय पदार्थों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
14.हमेशा ढका हुआ एवं ताजा भोजन का ही सेवन करें।
15.नहाने के बाद शरीर को सूखे तो लिया से जरूर साफ एवं सुखा कर लेना बहुत आवश्यक है।
16.रात को सोते समय पैरों की उंगलियों एवं हाथों पर नारियल तेल या सरसों का तेल जरूर लगाएं।
बरसात के मौसम में होने वाली Rain disease के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार :–
नारियल का तेल :–
नारियल का तेल बहुत ही गुणकारी औषधि के रूप में प्रयोग होता है, बरसात के मौसम में यदि किसी को त्वचा संबंधित संक्रमण हो जाए तो सुबह नहाने के बाद एवं रात को सोने से पहले शरीर को के ऊपर नारियल के तेल को लगाएं, इस तेल की चिकनाहट से शरीर पर फंगल इन्फेक्शन का असर नहीं होगा, कि किसी के शरीर पर फंगल इन्फेक्शन का संक्रमण है अभी तो वह इस तेल के प्रयोग से बहुत कम समय में बिल्कुल ठीक हो जाएगा।
मुल्तानी मिट्टी :–
इस मौसम में सर्द होने एवं नहाने के लिए यदि मुल्तानी मिट्टी का उपयोग किया जाए तो यह हमारी त्वचा के लिए बहुत ही मित्र वक्त काम करता है यह शरीर में संक्रमण नहीं होने देता और यदि किसी के शरीर में संक्रमण है अभी तो उसको मुल्तानी मिट्टी के प्रयोग से कम एवं खत्म किया जा सकता है। मुल्तानी मिट्टी बहुत चिकनी होती है और इसका यह गुण शरीर में त्वचा के रोम छिद्रों के अंदर बाहिय संक्रमण को नहीं पनपने देता, मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग शरीर की नमी को बनाए रखता है जो शरीर सूखने के बाद भी शरीर के रेशों में दरार नहीं पड़ने देता।
गाय का शुद्ध घी :–
रात के इस मौसम में रात को सोते समय एक गिलास दूध में यदि नियमित रूप से एक चम्मच गाय का शुद्ध घी मिलाकर सेवन किया जाए तो यह है गौ घृत दिल की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ त्वचा को मोश्चराइजर प्रदान करता है जिसके कारण त्वचा पर बाहरी संक्रमण का असर नहीं होता। बरसात के मौसम में नियमित रूप से गाय के घी का गर्म दूध के साथ प्रयोग करने वाले त्वचा संबंधित रोग नहीं होते।
गन्ने का सिरका :–
खाना खाते समय नियमित रूप से गन्ने के रस का बना सिरका यदि नियमित रूप से इस्तेमाल किया जाता है तो जो व्यक्ति यह सिरका खाने के साथ इस्तेमाल करते हैं उनको त्वचा संबंधित एवं लीवर संबंधित रोगों का सामना नहीं करना पड़ता। गन्ने का रस का सिरका रक्तशोधक होता है जो हमारे रक्त से अशुद्धियों को निकालकर रक्त को शुद्ध करता है, प्याज ,मूली, गाजर या अन्य सलाद को गन्ने के सिरके में डुबोकर या भिगोकर खाया जाता है।
पिपरमिंट :–
पिपरमिंट का एक विशेष गुण होता है यह शरीर के तापमान के अनुसार अपनी प्रकृति को बदल देता है इसका इस्तेमाल किसी भी परिस्थिति में शरीर के लिए नुकसानदायक नहीं होता यदि शरीर के ऊपर घमोरियां हैं तो पिपरमिंट को गर्म करके कम मात्रा में शरीर पर लगा ले तो इससे घमौरिया बिल्कुल नष्ट हो जाती है।
एलोवेरा :–
बरसात के मौसम में त्वचा संबंधित रोगों से बचने के लिए या इनके उपचार के लिए एलोवेरा का प्रयोग बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है, नहाने से 15 मिनट पहले यदि पूरे शरीर पर एलोवेरा जेल की मालिश कर ली जाए तो बरसात के कारण होने वाले फंगल इनफेक्शन शरीर पर बिल्कुल निष्क्रिय हो जाते हैं एवं शरीर स्वस्थ रहता है।
काली मिर्च :–
काली मिर्च का पाउडर सब्जी के ऊपर डालकर खाने से शरीर में एंटी एलर्जी का काम करता है, काली मिर्च का सेवन दूध में डालकर भी दिया जा सकता है। काली मिर्च त्वचा संबंधित रोगों के लिए बहुत ही कारगर औषधि है विशेष रुप से बरसात के मौसम में इसका इस्तेमाल शरीर के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है।
नीम का तेल :–
नीम के तेल का प्रयोग बारिश में होने वाले संक्रमण के निदान के लिए बहुत उपयुक्त औषधि है, किस मौसम में नीम का तेल खाने के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं और इसको त्वचा पर लगा कर भी हम प्रचार संबंधित संक्रमण को नष्ट कर सकते हैं।
पुदीना का प्रयोग :–
पुदीना का प्रयोग किसी भी रूप में किया जाए वह फायदेमंद ही होता है बरसात के मौसम में नियमित रूप से पुदीने की चटनी बनाकर खाने से शरीर में होने वाले त्वचा संबंधित बाह्य संक्रमण की रोकथाम करता है बरसात के मौसम में पुदीने की पकौड़ी भी बनाकर खाई जा सकती है, पुदीने की चटनी बनाकर खाई जा सकती है, पुदीने का शरबत बनाकर पिया जा सकता है पुदीने को सब्जी के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।
सरसों का तेल :–
सरसों के तेल का सेवन यदि बरसात आने से पहले चैत्र माह में लगातार एक महा किया जाए तो यह त्वचा संबंधित रोग शरीर में नहीं होने देता। वर्ष में एक बार चैत्र माह में पूरे 30 दिन चार चम्मच शुद्ध एवं ताजा सरसों का तेल का सेवन आपको पूरा वर्ष के त्वचा संबंधित रोगों से बचा कर रखता है।
नींबू एवं ग्लिसरीन :–
पैरों में होने वाले फंगस का नाश करने के लिए भू के रस में बराबर मात्रा में ग्लिसरीन मिलाकर रात को सोने से पहले पैरों को भली प्रकार धोकर उंगलियों के बीच में हुए गांव में यह पेस्ट लगाएं कुछ ही दिनों में आप देखेंगे कि आपके पैर बिल्कुल पहले की तरह सुंदर हो गए हैं।
कंधौल का फल :–
कंधों के 4 फलों को ढाई सौ ग्राम नारियल के तेल या सरसों के तेल में भली प्रकार धीमी आंच पर पका लेने के बाद इसको छानकर एक कांच की शीशी में भरकर रख लीजिए, त्वचा संबंधित किसी भी रोग पर इसका प्रयोग करने से त्वचा पर हुए घमौरी लाल रे से दाद खाज खुजली सभी से निजात मिलती है।
भृंगराज :–
त्वचा पर होने वाले लाल चकत्ते, दाद ,खाज एवं खुजली पर भृंगराज के पत्तों का रस लगाने से त्वचा संबंधित सभी प्रकार के रोग जो बरसात के संक्रमण की वजह से हुए हैं वह बहुत जल्दी ठीक होते हैं।
गिलोय :-
गिलोय रस का सेवन बरसात के कारण हुए Rain disease की रोकथाम के लिए बहुत लाभदायक औषधि है। गिलोय को किसी भी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। पानी के साथ गिलोय का पाउडर भी इस्तेमाल में किया जा सकता है और गिलोय की टहनी को पानी में उबालकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है।