
त्रिफला का प्रयोग एवं औषधीय गुण –:
आयुर्वेद में त्रिफला को महाऔषधि के नाम से जाना जाता है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर लोग कब्ज़ दूर करने के लिए करते हैं। लेकिन आपको पता नहीं होगा कि यह सिर्फ़ कब्ज़ दूर करने की ही दवा नहीं है बल्कि इसके अनेकों फायदे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में हजारों सालों से त्रिफला का इस्तेमाल होता आया है। त्रिफला चूर्ण को आयुर्वेद में शरीर का कायाकल्प करने वाला रसायन औषधि माना गया है। इस लेख में हम आपको त्रिफला के फायदे और त्रिफला चूर्ण की खुराक के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि त्रिफला के फायदे क्या क्या है, और त्रिफला को किस मात्रा में लेना चाहिए , किस मात्रा में त्रिफला लेने से कब और किस प्रकार, किस समय लेने से त्रिफला के फायदे अधिक हैं और किस तरह से लेने से त्रिफला के नुकसान हमें हो सकते हैं।इससे पहले कि हम आगे बढ़े और यह बात करते हैं त्रिफला के बारे में कि त्रिफला में कौन-कौन सी औषधियों का मिश्रण होता है।त्रिफला तीन आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक औषधियो का मिश्रण होता है।
ये तीन औषधियां हैं :
1. आंवला
2. बहेड़ा
3. हरड़इन
तीनों फलों के चूर्ण का मिश्रण ही त्रिफला कहलाता है।
इसका सेवन हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करना चाहिए।यदि आप इसे घर पर भी बनाना चाहें तो इसे आसानी से बना सकते हैं। इसके लिए हरड़ का छिलका, बहेड़े का छिलका और आंवला तीनों के 1-1 भाग बराबर मात्रा में लेकर उसका बारीक़ चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें और इसका सेवन करें।त्रिफला वात पित्त और कफ को संतुलित करके शरीर को रोग मुक्त करता है यह आंखों के लिए बहुत ही उत्तम होता है लीवर के लिए बहुत उत्तम होता है बड़ी आत के लिए बहुत उत्तम होता है यह ज्वरनाशक भी है, कब्ज नाशक भी है और रक्तशोधक भी होता है।
विभिन्न रोगों में त्रिफला का प्रयोग :–
मोटापा कम करने के लिए त्रिफला का प्रयोग :–
मोटापा कम करने के लिए त्रिफला का प्रयोग बहुत ही उत्तम होता है यदि किसी के शरीर में आवश्यकता से अधिक चर्बी जमा हुई है तो उनको चाहिए कि वह त्रिफला का उपयोग नियमित रूप से करें,इसका प्रयोग करने के लिए एक चम्मच त्रिफला रात को लगभग आधा गिलास पानी में भिगो देना चाहिए सुबह उठकर इस पानी को धीमी आंच पर गर्म करने कर ले अब पानी को छानकर या बिना जाने ही गुनगुना पी लेना चाहिए, यह प्रयोग नियमित रूप से लगातार तीन से चार महीना करें आप देखेंगे कि बिना किसी कमजोरी के ही आश्चर्यजनक ढंग से आपके शरीर में एक बढ़ी हुई अनावश्यक चर्बी कम हो जाएगी।
कब्ज के लिए रामबाण औषधि है त्रिफला :–
कब्ज एक ऐसी समस्या है यदि वह किसी इंसान को लगातार रहे तो वह हमारे शरीर में बहुत नुकसानदायक होता है कब्ज के कारण शरीर में बहुत सारे रोग लगने लगते हैं जिनमें गैस का बनना, बवासीर भगंदर का हो जाना लीवर का प्रॉपर काम ना करना। जिस व्यक्ति को कब्ज की शिकायत रहती है उन्हें चाहिए कि वह रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला एक गिलास दूध या गुनगुने पानी के साथ सेवन करें, पहले ही दिन से यह अपना काम शुरू कर देता है और कब्ज की शिकायत को पूर्ण रूप से दूर कर देता है।
बालों का टूटना एवं गंजापन :–
बालों का झड़ना आज के समय में एक आम समस्या है बाल का झड़ना एवं इसके साथ-साथ बालों का उम्र से पहले सफेद हो जाना और शरीर में लगातार बालों के झड़ते रहने से गंजापन आ जाना बहुत गंभीर समस्या बन चुका है, बालों की हर प्रकार की समस्या के लिए त्रिफला का प्रयोग बहुत ही लाभदायक होता है।बालों से संबंधित समस्या के निवारण के लिए सुबह के समय छाछ के साथ त्रिफला का प्रयोग बहुत ही उत्तम माना जाता है। त्रिफला का सेवन करने के साथ-साथ यदि त्रिफला को छाछ में भिगोकर लगभग 15 मिनट छोड़ दें इसके बाद इससे सर को मुल्तानी मिट्टी के साथ मिलाकर धोएं कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि आप के सर के बाल पहले से अधिक काले मजबूत एवं चमकदार हो जाएंगे।
भूख न लगने की समस्या का हल है त्रिफला चूर्ण :–
जिन माता-पिता को यह शिकायत है कि उनके बच्चों को भूख नहीं लगती बच्चे खाना कम खाते हैं, यह देखा गया है कि वृद्धों में भी भूख लगने की क्षमता कम हो जाती है ऐसी स्थिति में हमें चाहिए कि अपने बच्चों और बुजुर्गों को त्रिफला चूर्ण का प्रयोग कराए। खाना खाने से लगभग एक घंटा पहले एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से भूख बढ़ती है एवं खाया पिया बहुत ही जल्दी पचने लगता है लीवर की खाना पचाने वाली शक्ति को त्रिफला चूर्ण ताकत प्रदान करता है हमें चाहिए कि इसका इस्तेमाल प्रतिदिन करें। त्रिफला चूर्ण के प्रयोग से पेट संबंधित सभी रोगों का निवारण होता है पेट के सभी प्रकार के रोगों के लिए त्रिफला एक उत्तम औषधि है।
रक्त शोधन का काम करता है त्रिफला चूर्ण :–
त्रिफला चूर्ण रक्त शोधन का कार्य करता है जब रक्त में अशुद्धियां इकट्ठी हो जाती है तब हमें चाहिए कि हम एक चम्मच रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ त्रिफला चूर्ण का नियमित रूप से प्रयोग करें ऐसा करने से रक्त का शोधन होता है एवं रक्त में इकट्ठा हुई अशुद्धियां समाप्त हो जाती हैं इसका प्रयोग किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं बस ध्यान रहे की मात्रा उचित हो व्यस्क के लिए एक चम्मच और 12 साल के बच्चे से कम को आधा चम्मच का प्रयोग ही उचित है।
मलेरिया बुखार में त्रिफला का प्रयोग :–
यदि किसी व्यक्ति को मलेरिया बुखार है तो उसके लिए भी त्रिफला का प्रयोग बहुत ही लाभदायक एवं प्रमाणिक है एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को एक गिलास पानी में भली-भांति उबालने के बाद जब यह पानी आधा गिलास रह जाए तो इसमें से आधा पानी सुबह के समय और आधा पानी शाम के समय मलेरिया के मरीज को पीने के लिए दें आप पाएंगे कि 2 से 3 दिन में मलेरिया बुखार पूर्णता ठीक हो जाएगा और मरीज के खाना खाने की क्षमता भी बढ़ेगी। त्रिफला चूर्ण का यह काढ़ा शरीर को बल प्रदान करता है और तापमान को नियंत्रित ही रखता है।
आंखों के लिए उत्तम औषधि है त्रिफला :–
आंखों के किसी भी प्रकार के रोग के लिए त्रिफला का प्रयोग बहुत ही उत्तम माना जाता है यदि किसी को आंखों से कम दिखाई देता है , आंखों में लगातार लाली रहती है, आंखों से लगातार पानी बहता है या आंखों में दर्द रहता है ऐसी स्थिति में हमें चाहिए कि एक चम्मच त्रिफला रात को ठंडे पानी में भिगोकर रख दें सुबह उठकर इसको सूती कपड़े में छान लें और इस पानी से आंखों पर छींटे मारकर आंखों को बगैर मले धोना चाहिए यह प्रक्रिया नियमित रूप से करें कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि आपकी आंखों के सभी रोग नष्ट हो गए है।
कुष्ठ रोग के लिए त्रिफला का स्नान :–
कुष्ठ रोगियों को चाहिए कि वह त्रिफला का स्नान जरूर करें त्रिफला के स्नान से कुष्ठ रोग दूर हो जाता है।विधि :– 200ग्राम त्रिफला और 20 ग्राम वासा बराबर मात्रा में लेकर लगभग 5 लीटर पानी में भली प्रकार उबाल लें जब यह गुनगुना रह जाए तो इस को छानकर बिना किसी साबुन का इस्तेमाल किए इस पानी से नहा लेना चाहिए यह प्रक्रिया सुबह और शाम लगातार एक माह तक करनी चाहिए, त्रिफला के इस स्नान से कुष्ठ रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है, यदि कोई कुष्ठ रोगी है तो इसका प्रयोग अवश्य करें।
बवासीर रोगियों के लिए त्रिफला का प्रयोग :–
बवासीर की समस्या में कब्ज एक बहुत ही खतरनाक समस्या होती है यदि किसी को कब्ज रहता है तो भविष्य की स्थिति में उसको खूनी बवासीर होने की संभावनाएं बहुत प्रबल हो जाती हैं ऐसी स्थिति में चाहिए कि पेट में कब्ज की शिकायत नाबने , जिसके लिए त्रिफला चूर्ण का प्रयोग बहुत ही आवश्यक हो जाता है रात को सोते समय दूध के साथ त्रिफला चूर्ण का प्रयोग करें एवं सुबह के समय खाली पेट छाछ के साथ त्रिफला चूर्ण का प्रयोग करें। यह प्रयोग बवासीर के मरीजों के लिए बहुत उत्तम औषधि है जो कब्ज की शिकायत को दूर करता है एवं भविष्य के दौरान मलद्वार में हुए मस्सों को भी ठीक करने का कार्य करता है रात के समय दूध के साथ त्रिफला का सेवन कब्ज दूर करता है और सुबह के समय छाछ के साथ त्रिफला का सेवन गैस को दूर करता है दोनों तरह का यह प्रयोग बवासीर के मरीजों के लिए बहुत ही कारगर सिद्ध होता है।
सभी प्रकार के दांतो के रोग में त्रिफला का प्रयोग :–
त्रिफला आपको दांतों की समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें एंटी-इन्फ्लेमेट्री और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। तो आप इससे दांतो पर मेेल आना, दांतो में कीड़े लगना, मसूड़ों की सूजन, और मसूड़े से खून आने जैसी समस्याओं से बच सकते हैं । यदि आपके बच्चे, दांतों की समस्या से ग्रस्त हैं तो आप इसे उन के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। त्रिफला को रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह मंजन के बाद इस पानी को मुँह में कुछ देर तक भरकर रखें। थोड़ी देर बाद निकाल दें। इससे दाँत और मसूड़े बुढ़ापे तक मजबूत रहते है। इससे मुँह की दुर्गंध और छाले भी बिल्कुल ठीक हो जाते हैं।
मुंह की दुर्गंध में त्रिफला का प्रयोग :–
शहद के साथ आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण को मिलाकर इसे चाटने से आप सांस में से आने वाली बदबू से बच सकते हैं। या फिर आप हल्के गर्म पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर, उस पानी से गरारे भी कर सकते हैं। जिस किसी को भी सांस में आने वाली बदबू की शिकायत है वह इस प्रयोग को करके अपनी इस शिकायत को दूर कर सकते हैं यह एक बहुत उत्तम औषधि है।
त्रिफला चूर्ण के सेवन में बढ़ते कुछ सावधानियां क्योंकि इसके सेवन में लाभ के साथ साथ कुछ हनिया भी हो सकती है जो हम नीचे दर्शा रहे हैं क्योंकि सावधानी एवं सही मात्रा आपको होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं|
1. इसको प्रेगनेंसी और स्तनपान के दौरान इस्तेमाल न करें।
2. कुछ लोगों में पाया गया है कि त्रिफला मूत्रल गुण दिखाता है। वे लोग रात में इसे न लें क्योंकि यह आपकी नींद को खराब कर सकता है।
3. कुछ लोगों में इसका सेवन ज्यादा नींद लाता है।
4. छः वर्ष से कम उम्र के छोटे बच्चों को त्रिफला न दें।
5. लम्बे समय तक लेने के लिए इसे कम मात्रा में और छोटी अवधि के लिए ज्यादा मात्रा में लिया जा सकता है।
6. त्रिफला को अत्यधिक मात्रा में लेने से दस्त लग सकते हैं। अगर दस्त लम्बे समय तक हो जाएं तो पानी की कमी हो सकती है और साथ ही ये कोलन की माँसपेशियों पर प्रभाव डालता है जिससे अन्य कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं होने की संभावनाएं बन सकती हैं।
7. आपको इसकी वजह से सोने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है लेकिन ये त्रिफला लेने की मात्रा पर निर्भर करता है, इसलिए हमें चाहिए कि त्रिफला अधिक मात्रा में ना लें।
8. इस की वजह से किसी किसी को ब्लड शुगर की समस्या भी हो सकती है और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी कम-ज़्यादा हो सकती है। यह दुष्प्रभाव दिल की बीमारियों वाले लोगों के लिए विशेष रूप से खतरनाक है। इसीलिए हृदय रोग रोगियों को सलाह दी जाती है कि वह आयुर्वेदाचार्य की सलाह से हुई त्रिफला का प्रयोग करें।
9. त्रिफला को कुछ अंग्रेजी दवाओं के साथ लेने से दवा की वजह से होने वाली रिएक्शन संभावित रूप से हानिकारक स्वास्थ्य परिस्थितियों का कारण बन सकती हैं।
10. त्रिफला लेने से पहले आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श लेने की हमेशा सलाह दी जाती है। यद्यपि त्रिफला एक बहुत गुणकारी प्राकृतिक औषधि है जो विभिन्न प्रकार केस्वास्थ्य विकारों को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है, लेकिन आयुर्वेद विशेषज्ञ के उचित मार्गदर्शन और परामर्शके बाद ही इसका उपयोग करें।