टाइफाइड का इलाज जाने आयुर्वेदिक, घरेलू और रामबाण तरीको के साथ,(Ayurvedic home and panacea treatment of typhoid)

टाइफाइड का इलाज जानने के साथ-साथ यह भी जानना जरूरी है, कि टाइफाइड है क्या, एक तरह का मियादी बुखार होता है, यह इंसान को धीरे-धीरे होता है, शुरू में तो इसके लक्षण सामान्य होता है,
लेकिन बाद में जाकर यह बहुत गंभीर हो जाता है, गंदे पानी, गंदे भोजन और दूषित वातावरण के कारण यह बुखार हो जाता है, इस बुखार का सीधा प्रहार फेफड़े, गुर्दे और लीवर के ऊपर होता है, यह बुखार संक्रामक बुखार भी होता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से चला जाता है, मियादी बुखार आसानी से ठीक नहीं होता,
एक बार शुरू होने के बाद यह बहुत दिनों तक चलता है, यदि समय रहते इसका इलाज न कराया जाए, तो यह फेफड़ों को डैमेज करता है, और इंसान को टीवी हो जाती है, फेफड़ों के बाद इसका निशाना सीधा लिवर और किडनी होता है,
यूं कहें कि Typhoid जानलेवा होता है, तो कुछ गलत नहीं होगा। यह बुखार कभी-कभी हो जाता है, कभी बीच में 1 दिन नहीं आता तीसरे दिन आ जाता है, इसके संक्रमण के कारण भूख लगने बंद हो जाती है, ना कुछ खाने पीने को मन करता है, नहीं कुछ काम करने को मन करता है, शरीर टूटा टूटा सा रहता है,
रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है, फेफड़ों पर इसका असर होने के कारण इंसान की सांस फूलने लगती है, तथा लीवर संक्रमित हो जाने के कारण पेट की पाचन क्रिया भी गड़बड़ा जाती है, यह बहुत घातक बुखार होता है, हालांकि इसका ट्रीटमेंट हो जाता है,
यदि किसी को टाइफाइड हो जाए तो लगभग एक महीना तक हैवी एंटीबायोटिक खाने से राहत मिलती है, लेकिन फिर भी प्रभु क्लोसिस का खतरा बना रहता है। टीवी के ज्यादातर मरीजों की हिस्ट्री लेने के बाद में पता लगता है, कि टीवी के 65 से 70 परसेंट मरीजों को पहले Typhoid बुखार उसके बाद में TB. हुई है।
आइए जानते हैं आंत्र ज्वर(Typhoid) के कुछ लक्षणों के बारे में, टाइफाइड होने से पहले हमारी बॉडी में कुछ संकेत दिखाई देते हैं, जिन पर यदि समय से ध्यान दिया जाए तो हम टाइफाइड को समय से कंट्रोल कर सकते हैं, अक्सर होता यह है, कि समय से हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखते, और मामूली सा बुखार टाइफाइड के रूप में बदल जाता है, वैसे तो टाइफाइड दूषित पानी पीने की वजह से होता है, लेकिन मौसम के बदलाव के कारण भी, एलर्जी हो जाने के कारण भी टाइफाइड होता है।
टाइफाइड का इलाज जानने के साथ! लक्षण(Symptoms of Typhoid).
1- जब रोगी को बुखार 102-104 ही रहता है, तो समझ लीजिए कि यह आंत्र ज्वर हो सकता है।
2- आमतौर पर यदि बुखार में मरीज के सीने में और पेट में बहुत तेज दर्द रहता है, तो जल्दी से जांच कराने की जरूरत है, क्योंकि यह आंत्र ज्वर के ही लक्षण हैं।
3- बुखार के समय रोगी को भूख ना लगे, और दस्त भी हो रहे हो तो समझ जाना चाहिए, कि पेशेंट का आंत्र ज्वरजांच करना बहुत जरूरी है।
4- यदि बुखार को 10 दिन से ज्यादा हो जाए, तो समझ लेना चाहिए कि रोगी को टाइफाइड ही है, समय रहते आंत्र ज्वर की जांच अनिवार्य हो जाती है।
5- सारे शरीर में दर्द रहने लगता है।
टाइफाइड का इलाज जानने के साथ! Typhoid होने के कारण!
वैसे तो टाइफाइड होने के बहुत से कारण है, लेकिन कुछ कारण जो नीचे दिए जा रहे हैं, वह प्रमुख कारणों में से हैं, आइए जानते हैं, आंत्र ज्वर होने के कौन कौन से कारण हैं।
* गंदा यह सड़ा हुआ पानी मियादी बुखार का सबसे बड़ा कारण है।
* सड़े फलिया सड़े फलों का जूस खाना पीना भी, आंत्र ज्वर होने का प्रमुख कारण है।
* मियादी बुखार साल्मोनेला टाईफी नामक बैक्टीरिया द्वारा फैलता है।
* घर में गंदगी रहना विशेष तौर पर रसोई में गंदगी रहना, Typhoid का प्रमुख कारण है।
* संक्रमित व्यक्ति के झूठे खाद्य पदार्थ खाने से भी, इसका संक्रमण हो जाता है।
* बुखार के दौरान लीवर की गड़बड़ी Typhoid का संकेत है, इसे पहचानने में देरी करना घातक हो जाता है।
* साधारण बुखार के समय तरल भोजन की कमी, एवं ठोस भोजन की अधिकता भी, हमारे बुखार को मियादी बुखार में परिवर्तित कर देती है,
टाइफाइड का इलाज, वो भी आयुर्वेदिक और घरेलू
यह एक बैक्टीरियल इनफेक्शन वाला बुखार है, जिस के उपचार के लिए, हैवी एंटीबायोटिक देने की जरूरत पड़ती है, क्योंकि इसके दौरान फेफड़े, लीवर, छोटी और बड़ी आपके साथ साथ गुर्दों में भी इंफेक्शन हो जाता है, इसीलिए इस बुखार के लिए लंबे समय तक, हैवी एंटीबायोटिक दवाइयों का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो जाता है।

1-खूबकला :-
खूब कला एक बेहतरीन प्राकृतिक एंटीबायोटिक है, खूब कला के 5-6 दिन के इस्तेमाल से ही, इससे पूरी तरह छुटकारा मिल जाता है।
सेवन विधि:-
एक चम्मच खूबकला को 8 से 10 मुनक्का में गूथ कर, इसे गर्म तवे पर हल्का सा भून लीजिए, एवं गुनगुने दूध के साथ सेवन कर लीजिए। यह प्रयोग सुबह शाम लगातार 6 दिन तक करना जरूरी है
2-अंजीर-
चार अंजीर रात को गुनगुने दूध में भिगोकर रख दीजिए, सुबह उठकर इनको गुनगुने दूध के साथ चबाकर पी लीजिए। यह उपचार इसमें रामबाण औषधि है।
सेवन विधि:-
यह प्रयोग दिन में 2 बार लगातार 6 दिन तक करना जरूरी है।
3-हरसिंगार:-
हरसिंगार के 5 पत्ते एक गिलास पानी में अच्छी तरह से उबाल लीजिए, यदि पुराना गुण मिल जाए तो 50 ग्राम पुराना गुड़ भी डाल लीजिए।
सेवन विधि:-
लगातार सुबह-शाम 5 दिन गुनगुना सेवन करने से टाइफाइड जड़ से खत्म हो जाता है, यह औषधि आंतों और लीवर के लिए भी बहुत ही लाभदायक है।
4-खमीरा:-
मियादी बुखार ( मोती झारा)/ टाइफाइड मैं खमीरा का अपना योगदान है,
सेवन विधि:-
आंत्र ज्वर के रोगी को एक चने के दाने के बराबर गुनगुने दूध के साथ सुबह दोपहर शाम खमीरा देना बहुत ही आवश्यक है, खमीरा इसको ठीक करने के साथ-साथ लीवर को भी मजबूत बनाता है।
5-गोमूत्र:-
टाइफाइड या मियादी बुखार में गोमूत्र का अपना अलग महत्व है
सेवन विधि:-
यदि एक कप गोमूत्र सुबह शाम नियमित रूप से 8 दिन रोगी को पिला दिया जाए, केवल 8 दिन में ही पेशेंट पहले की तरह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगा।
6-अंबा हल्दी:-
अंबा हल्दी और खूबकला बराबर मात्रा में मिलाकर, एक चम्मच सुबह तथा एक चम्मच शाम को गुनगुने दूध के साथ, मात्र 5 दिन के सेवन में ही टाइफाइड से पूरी तरह छुटकारा मिल जाता है।
7-शहद:-
यदि हर रोज सुबह के समय खाली पेट गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पिया जाए तो यह इसमेंड बहुत आरामदेह नुस्खा है।
8-तुलसी:-
श्यामा तुलसी के 15-20 पत्ते बराबर मात्रा में अदरक के साथ पीस लें, शहद मिलाकर इसका पेस्ट बना ले, इसे जीभ से चाटकर खाने के पश्चात गुनगुना दूध पीले। आंत्र ज्वर के लिए यह बहुत गुणकारी औषधि है।
9-नमक चीनी का घोल:-
नमक चीनी का घोल बनाकर थोड़ी थोड़ी देर में एक कप पीते रहें, शरीर में पानी की कमी नहीं होने देगा, तथा खुश्की को भी कम करेगा
10-फाइबर:-
फाइबर युक्त भोजन, अथवा दूध या दही में इशबगोल मिलाकर सेवन करें,
Typhoid के दौरान क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
* घर में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
* हाथों को धोए बगैर खाना बिल्कुल मत खाएं।
* हमेशा साफ पानी उबला हुआ पानी ही पीना चाहिए।
* इसके दौरान कच्चे फलों और कच्ची सब्जियों को बिल्कुल ना खाएं।
* केवल गर्म भोजन ही करें, ठंडा में बासी भोजन बिल्कुल ना करें।
* इस दौरान अन्य लोगों से ज्यादा मेल मिला बिल्कुल ना करें।
* जी और तेलों का इस्तेमाल बिल्कुल बंद कर दें।
* मसालेदार भोजन बिल्कुल ना करें।
* उबला हुआ उत्तरी दार भोजन ही करें।
* विशेष तौर पर पके हुए फल ही खाएं।
* फलों में पपीता का इस्तेमाल सबसे ज्यादा करें।
यदि हम समय रहते टाइफाइड का सही से उपचार कर लेते हैं, तो इससे हमें आगे चलकर परेशानी नहीं होती, लेकिन यदि हम इसका उपचार समय से नहीं करते तो यह चलकर बहुत भयंकर बीमारी का रूप ले लेता है, इसके होने के कारण क्षय रोग होने की संभावनाएं बहुत प्रबल हो जाती हैं, इतना ही नहीं यदि यह ज्यादा लंबा चल जाता है, तो यह हमारे फेफड़ों को भी खराब कर देता है, बढ़िया तो लीवर को भी डैमेज करता है, हमारी किडनी को भी संक्रमित कर देता है। अच्छा यही है कि समय रहते टाइफाइड का सही उपचार करना बहुत जरूरी है।