खूनी दस्त या अतिसार के लक्षण?

खूनी दस्त यदि किसी व्यक्ति को ढीले तथा पानी से भरा हुआ मल आने लगे, और वह मल लगातार और बार-बार आने लगे तो हमें समझने में देर नहीं लगानी चाहिए कि यह अतिसार है, अतिसार मुख्यतः बरसात के मौसम में होता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह केवल बरसात के मौसम में ही होता है यह किसी भी मौसम में हो सकता है, यह 3 से 5 दिन रह सकता है, और यह अपने आप ही ठीक भी हो जाता है, लेकिन अधिक दस्त हो जाने के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिसके चलते यदि समय पर इलाज न दिया गया तो जीवन के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।
जब हम करण की बात करते हैं तो पाया जाता है कि 10 या अतिसार रोग शरीर में पानी और नमक की कमी के कारण होता है, यह रोग छोटे बच्चों और बुजुर्गों में अधिक होता है अपेक्षा नौजवान और जवान इंसानों के, लेकिन हमें यह बात भी विशेष रुप से ध्यान रखनी चाहिए कि यह रोग किसी भी उम्र के इंसान को हो सकता है, इसके लिए न तो विशेष मौसम के ऊपर डिपेंड रहना चाहिए, और ना ही विशेष उम्र पर, यह किसी भी मौसम में हो सकता है और किसी भी उम्र के इंसान को हो सकता है।

खूनी दस्त
खूनी दस्त या अतिसार – ekvichar

जानिए अतिसार होने के कारण

अतिसार या खूनी दस्त होने के मुख्य कारण :-

1- यदि कोई व्यक्ति दूषित पानी पी लेता है या, ऐसा पानी पीता है जो ताजा नहीं है व रखा हुआ पानी है, ऐसा पानी पीने से भी खूनी दस्त या डायरिया की शिकायत होने की संभावनाएं हो जाती हैं।

2- पेट में आंतों के संक्रमण के कारण भी खूनी दस्त या डायरिया की शिकायत हो जाती है।

4- जीवाणु संक्रमण भी दस्त या अतिसार का कारण बन सकता है।

3- खूनी दस्त या अतिसार वायरस के संक्रमण से भी हो सकता है। इस प्रकार के संक्रमण को वायरल संक्रमण कहते हैं।

5- शरीर में पानी की कमी का हो जाना भी दस्त, डायरिया या अतिसार का कारण बन सकता है।

6- किसी विशेष खाने से एलर्जी होने के कारण भी दस्त, अतिसार या डायरिया की शिकायत बन जाती है।

7- कमजोर पाचन शक्ति भी दस्त या डायरिया का मुख्य कारण होती है।

8- अक्सर दवाओं के दुष्प्रभाव भी खूनी दस्त डायरिया या अतिसार का कारण बन जाते हैं।

9- रात्रि के समय कच्ची सब्जियां खाने से भी दस्त, अतिसार और डायरिया की शिकायत होना आसान बात है।

10- बहुत अधिक गर्मी,बहुत अधिक सर्दी,या बरसात का मौसम भी हमारी आंखों में संक्रमण पैदा कर सकता है जिसके कारण दस्त,डायरिया या अतिसार की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

खूनी दस्त या अतिसार का आयुर्वेदिक इलाज कैसे करें

दस्त या अतिसार का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

1- कीकर या बबूल वृक्ष के नरम पत्ते, सफेद जीरा, काला जीरा प्रत्येक समान मात्रा में लेकर पाउडर बनाकर रख ले, समस्या होने पर दिन में दो से तीन बार छाछ या दही के साथ सेवन कराएं, ईश्वर ने चाहा तो समस्या शीघ्र ही दूर हो जाएगी।

2- पुराने आम की गुठली का पाउडर, बराबर मात्रा में सौंफ को धीमी आंच पर हल्की भूनकर,आधा चम्मच दिन में तीन से चार बार छाछ या दही या कच्चा दूध के साथ सेवन कराएं, बहुत असरकारक औषधि है।

3- बेलगिरी,कत्था, अनार वृक्ष की छाल बराबर भाग में खूब छान अगर एक कांच के बर्तन में भरकर रख लें, आवश्यकता पड़ने पर दिन में दो से तीन बार छाछ या दही के साथ सेवन करें, ईश्वर ने चाहा तो जल्द ही स्वास्थ्य लाभ होगा।

4- बरगद का दूध चार से पांच बूंद नाभि में भर दें, तथा कुछ दूध नाभि के चारो और लेप कर दें, यह गजब का टोटका है इसके प्रयोग से फायदा मिलता है।

5 – बेल पत्थर को फूलों की गर्म राख (धूनी ) मैं दबाकर लगभग एक घंटा छोड़ दें, फिर इसको बाहर निकाल कर इसके अंदर से गुदा निकाले, इस गुद्दे का सेवन ठंडे पानी या छाछ के साथ दिल में दो से तीन बार करें, अति शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।

6- हरड़,बहेड़ा, और आंवला समभाग चूर्ण बना लें, अर्थात एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल सुबह के साथ-साथ या ठंडे पानी से लें, पेट में होने वाली बदहजमी को समाप्त करता है और दस्त एवं अतिसार में भी बहुत लाभकारी है।

7- लगे हुए मीठे पान में, एक गेहूं के दाने के बराबर अफीम मिलाकर, इसको खरल करके ज्वार के दाने के बराबर गोलियां बनाकर रख लें, एक गोली सुबह तथा एक गोली शाम के समय ताजे पानी के साथ दें, बहुत कारगर नुस्खा है, इसका सेवन करते समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें मात्रा अधिक नहीं होनी चाहिए।

8 – एक कटोरी दही या कच्चा दूध में एक चम्मच इसबगोल मिलाकर रोगी को खिलाएं, यह बहुत गुणकारी नुस्खा है, दस्त अतिसार या डायरिया में इसका प्रयोग जरूर करें, यह पेट में होने वाली गंदगी बैक्टीरिया आदि को बाहर निकाल देता है एवं पेट को स्वस्थ रहता है।

9 – अनार की गलियों को छाया में सुखा लीजिए और इनका पाउडर बनाकर एक कांच के बर्तन में भरकर रख लीजिए, आवश्यकता पड़ने पर आधा चम्मच पाउडर छाछ के साथ सेवन कराएं, बहुत कारगर नुस्खा है आवश्यकता पड़ने पर जरूर आजमाएं।

10 – पकी हुई बेल पत्थर का जूस (रस) दिन में तीन से चार बार पिलाएं, यह दस्त या अतिसार के लिए रामबाण औषधि का काम करता है। ऊपर दिए गए सभी नुस्खे कारगर एवं आजमाएं हुए हैं, प्रयोग करते समय किसी प्रशिक्षित वैध का परामर्श अवश्य कर ले क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का अपना-अपना स्वास्थ्य एवं शरीर की प्रकृति भिन्न होती है।

बहुत-बहुत dhanyvad aap sabhi ka kya aapane हमारे article ko Yahan Tak पढ़ा,