नाइटब्लाइंडनेस के आयुर्वेदिक इलाज, बिलकुल घरेलु इलाज, और हां 100% इलाज, वो भी हिंदी में,

नाइटब्लाइंडनेस के आयुर्वेदिक इलाज
नाइटब्लाइंडनेस(रतौंधी) को भी कहते है
नाइट ब्लाइंडनेस को (रतौंधी) भी कहते है
नाइटब्लाइंडनेस के आयुर्वेदिक इलाज जानने से पहले जाने यह क्या है,रतौंधी जी आंखों से संबंधित एक रोग है, यदि यदि हम रतौंधी के संधि विच्छेद को लेकर बात करें हम रतौंधी के संधि विच्छेद को लेकर बात करें तो रतौंधी का मतलब रात को आंखों का अंधापन, जिस व्यक्ति को रतन जी की शिकायत होती है उसे दिन में तो देखने में कोई परेशानी नहीं होती लेकिन जैसे-जैसे रात होती चली जाती है उसकी यह परेशानी बढ़ती चली जाती है और उसको शाम के समय कम दिखाई देने लगता है।
रतौंधी इस तरह का विकार है जिसमें रेटिना में रॉड कोशिका धीरे – धीरे उनके प्रकाश के लिए प्रतिक्रिया करने की क्षमता खो देती है। शुरु शुरु में तो यह समस्या रात के समय होती है लेकिन जैसे जैसे समय बीतता है वैसे वैसे यह समस्या दिन में भी होने लगती है। रतौंधी की समस्या मुख्यता विटामिन ए की कमी के कारण होती है। कहीं-कहीं पर यह समस्या अनुवांशिक भी होती है।
आइए बात करते हैं रतौंधी के उन लक्षणों के बारे में जिनसे हम पता लगा सकते हैं कि हमें रतौंधी है या नहीं या हमें रतौंधी कहीं होने वाली तो नहीं है।
रतौंधी के लक्षण
रतौंधी का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि यदि व्यक्ति को शाम होते-होते कम दिखाई देने लगता है अर्थात धुंधला दिखाई देता है तो यह रतौंधी होने का लक्षण है, ऐसी स्थिति में रतौंधी निवारण के उपाय करना बेहद जरूरी हो जाता है, नहीं तो यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती चली जाती है और दिन में भी दिखाई देना बंद हो जाता है।
* सूरज की रोशनी को ज्यादा सहन न कर पाना या अंधेरे में आंखों की रोशनी का कम हो जाना भी रतौंधी का एक लक्षण है।
* आंखों में जलन एवं आंखों में थकावट महसूस होना भी इसका एक प्रमुख लक्षण है।
* जब वस्तु स्पष्ट ने दिखाई देकर वस्तु की परिधि धुंधली हो जाए तो समझ लीजिए कि आपको रतौंधी के लक्षण प्रकट हो रहे हैं।
* खास तौर से बच्चों के लिए, यदि शाम के बाद बच्चा आपकी आवाज के अनुसार अपनी आंखों का फोकस नहीं बना पा रहा है तो यह समझने में देर नहीं करनी चाहिए कि आपके बच्चे को रतौंधी की शिकायत है।
* रतौंधी के दौरान व्यक्ति आपसे आंख मिलाकर बात नहीं करता क्योंकि उसका फोकस सुचारू रूप से काम नहीं कर रहा होता है।
* भूख या कमजोरी होने के कारण यदि आपको आंखों से कम दिखाई दे रहा है तो यह भी रतौंधी का एक लक्षण है, जिस को नजरअंदाज करना आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
रतौंधी/ नाइट ब्लाइंडनेस/ रात्रि का अंधापन होने के कारण
रतौंधी होने के विभिन्न कारण है जिन पर समय से ध्यान नहीं दिए जाने के कारण यह आगे चलकर हमारे लिए बहुत बड़ी परेशानी खड़ी कर देते हैं, रतौंधी शुरू में एक आम समस्या लगती है लेकिन बाद में जाकर यह है अंधेपन का कारण बन जाती है, यदि हम सही समय पर इस पर ध्यान दें और इसका उपचार कराएं तो हम भविष्य में आने वाली बहुत बड़ी समस्या जो हमारी आंखों का अंधापन हो सकती है से बच सकते हैं।
हां यह जाने रतौंधी होने के कौन कौन से मुख्य कारण है।
* शारीरिक कमजोरी का होना भी रतौंधी होने के मुख्य कारणों में से एक कारण है।
* शरीर में विटामिन ए की कमी हो जाने के कारण रतौंधी की समस्या हो जाना एक आम बात है।
* आंखों में चोट लगने के कारण भी यह चोट आंखों के देखने की शक्ति को प्रभावित कर देती है।
* आंखों में मोतियाबिंद हो जाने की वजह से अक्सर रात में कम दिखाई देने की समस्या का होना।
* बच्चों में कुपोषण भी रतौंधी के हो जाने का मुख्य कारण है जो आगे चलकर अंधेपन के रूप में बदल सकता है।
* आंखों में अधिक समय तक एलर्जी रहना सही समय पर उसका उपचार ने कराना इस रोग को बढ़ावा देता है।
* आंखों में रोए हो जाना या आंखों में किसी तरह का संक्रमण रतौंधी को जन्म देता है।
* बिजली के तारों की स्पार्किंग, वेल्डिंग की तेज लाइट या केमिकल के धुंए के कारण भी आंखों की देखने की शक्ति को क्षीण करता है।
रतौंधी/ नाइट ब्लाइंडनेस के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

1- गोमूत्र :-
आंखों में किसी भी प्रकार के रोग के निवारण हेतु गोमूत्र एक आदर्श औषधि है, कुंवारी गाय का मूत्र सुबह-शाम एक-एक बूंद दोनों आंखों में डालने से मात्र 30 से 45 दिन में आंखों की रतौंधी रोग को शत-प्रतिशत ठीक कर देता है।
2- मछली का तेल :-
जैसा कि बताया जा चुका है कि विटामिन ए की कमी से भी रतौंधी रोग होता है, तो इसके लिए शरीर में विटामिन ए की कमी को पूरा करना इस रोग से छुटकारा पाने का आसान तरीका है, विटामिन ए की कमी को दूर करने के लिए हमें मछली के तेल के कैप्सूल या गाजर और टमाटर का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए।
3- गाय का घी :-
गाय के घी में सुपारी का रस मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग मात्र 15 दिन में जड़ से खत्म हो जाता है। सुबह जागते ही और रात को सोते समय यह प्रयोग करना उचित होता है।
4- बासी थूक :-
सुबह-सुबह आंख खुलते ही अपना थूक दोनों आंखों में डालें तथा 10 मिनट तक आंख बंद करके लेटे रहे बंद आंखों के अंदर ही पुतलियों को इधर से उधर घूम आते रहे, मात्र 30 दिन यह प्रयोग करने पर आपको फर्क साफ महसूस होगा।
5- अदरक और प्याज :-
अदरक का रस और सफेद प्याज का रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक कांच की शीशी में भरकर ठंडी जगह पर रख लीजिए, सुबह शाम दोनों आंखों में एक एक बूंद डालने से मात्र 30-45 दिन में आंखों की रतौंधी की सॉरी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
6-माहला :-
माहला के पत्तों का रस सुबह-शाम आंखों में डालने से रो तो दी की समस्या को जड़ से खत्म कर देता है।
7- देसी मधुमक्खी का शहद :-
देसी मधुमक्खी का शहद सुबह-शाम एक-एक बूंद आंखों में डालने से रतौंधी की समस्या को जड़ से खत्म कर देता है और आंखों की दृष्टि को तीव्र बना देता है।
8-तांबा :-
शुद्ध तांबे की एक सलाई बना लीजिए, इस सलाई को अदरक में चुप होकर आंखों में लगा लीजिए, सुबह शाम यह प्रयोग करने से मात्र 30 दिन में आपकी आंखों से रतौंधी रोग जड़ से खत्म हो जाएगा। यदि यह प्रयोग नियमित रूप से किया जाए तो जीवन भर आंखों में किसी भी प्रकार का कोई रोग नहीं हो पाएगा।
9- दूब घास:-
दूब घास का एक कप रस निकालकर रोज सुबह खाली पेट पीने से रतौंधी के साथ-साथ आंखों की सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है, यह प्रयोग मात्र 15 दिन कर लीजिए इसके बाद यदि आप से कोई बोलेगा भी तो भी आप इस प्रयोग को बंद नहीं करोगे।
10- मेडिटेशन :-
सुबह और शाम दोनों समय किसी एक हरे रंग की वस्तु को सामने रखकर उसके ऊपर अपना फोकस बनाकर मेडिटेशन करने से आंखों की देखने की शक्ति को बल मिलता है।