सफेद दाग का बिलकुल नेचुरल इलाज, हिंदी में, और इलाज के साथ- साथ जानेंगे की इनके होने के कारण क्या है, तो चलिए जानते है

सफेद दाग की समस्या

सफेद दाग की समस्या?

सफेद दाग की समस्या भारत ही नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व में बहुत ही व्यापकता के साथ पाई जाती है, भारत जैसे एशियाई देशों में इस बीमारी को बहुत ही हिना दृष्टि से देखा जाता है जबकि यूरोपीय देशों में इस बीमारी को अतिथि गंभीर नहीं माना जाता। 25 जून को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय विटिलिगो दिवस मनाया जाता है, आयुर्वेद कहता है कि शरीर में होने वाली बीमारियां का मुख्य कारण जो है वह है,

हमारे शरीर का अंदरूनी सिस्टम, जो वात, पित्त और कफ के आधार पर चलता है जिसके कारण हमारे स्वास्थ्य का निर्धारण होता है, यदि वात,पित्त और कफ का संतुलन बिगड़ जाए तो हमारे शरीर में बीमारियां होने लगती है, लेकिन यदि यह संतुलन बना रहता है तो हमारे शरीर में बीमारियां नहीं लगती, अपने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हमें आवश्यकता है कि अपना वाद पित्त और कफ संतुलित रखें, जिसके लिए हमें उचित खानपान और अपनी दैनिक दिनचर्या को संतुलित रखना होता है ।       

सफेद दाग की समस्या भारत में माने तो लगभग 3 से 4 लोगों को यह समस्या है, विशेषज्ञों की मानें तो यह हमारे शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता के असंतुलित हो जाने के कारण समस्या उत्पन्न होती है, क्योंकि जब हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता आवश्यकता से अधिक हो जाती है तथा इसका संतुलन खराब हो जाता है,

तो इसका असर हमारी त्वचा के ऊपर दिखाई देता है, जो केवल बाहरी होता है, अंदरूनी नहीं, आमतौर पर इस समस्या की शुरुआत 20 साल से पहले ही हो जाती है, यह केवल हमारे देश में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में देखने को मिलती है, WHO की माने तो एशिया की अपेक्षा यूरोपीय देशों में यह समस्या बहुत अधिक है, यूरोपीय देशों में तो यह समस्या कितनी अधिक है कि वहां इसको बीमारी ही नहीं माना गया। लेकिन भारत में यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि यहाँ इस बीमारी की वजह से मरीज सामाजिक रूप से शर्म महसूस करते हैं।

भारत में तो लोग इसको अधिकतर छूत की बीमारी मानते हैं जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि यदि किसी को यह बीमारी है तो वह छूने से कपड़े पहनने से एक इंसान से दूसरे इंसान में परिवर्तित नहीं होती । सफेद दाग होने की कंडीशन में व्यक्ति को धूप से बहुत ही तीव्र जलन होती है, जिसके कारण उसको धूप में ना जाने की सलाह दी जाती है या फिर धूप में जाए तो वह सनस्क्रीन का उपयोग करके ही धूप में जाए ऐसा पेशेंट को कहा जाता है । और यह बात करते हैं, सफेद दाग के होने वाले कारणों, लक्षण एवं उपायों के बारे में ।

सफेद दाग़ या विटिलिगो क्या होता हैं?

आयुर्वेद की मानें तो हमारे खान-पान का असर सीधे हमारे स्वास्थ्य के ऊपर होता है, हमारा खान-पान ही हमारे शरीर के अंदरूनी सिस्टम को प्रभावित करता है, आयुर्वेद कहता है कि हमारा स्वास्थ्य मुख्यतः तीन वात, पित्त और कफ के असंतुलित हो जाने पर प्रभावित हो जाता है। वात पित्त और कफ के बिगड़ जाने पर असंतुलित हो जाने पर हमारे शरीर में बहुत सारी व्याधिया उत्पन्न होने लगती है,

जो हमें धीरे-धीरे बीमार और अधिक बीमार करने लगती हैं, लेकिन यदि सही समय पर हम अपने बिगड़े हुए वात पित्त और कफ के बारे में जानने और इसका उचित इलाज कराएं तो हम बहुत सारे रोगों से बच सकते हैं । सफेद दाग की समस्या हमारे शरीर की वात या वायु के असंतुलित हो जाने के कारण उत्पन्न होती है, क्योंकि हमारे शरीर में हो त्वचा संबंधित होने वाली सभी बीमारियां हमारे शरीर की वायु के असंतुलन के कारण ही होती है इसलिए सफेद दाग की समस्या भी वायु के विकार के कारण ही उत्पन्न होती है ।

शुरुआत में हमारे शरीर पर बहुत हल्के रंग के सफेद दाग होने लगते हैं लेकिन धीरे-धीरे इनका रंग सफेद होता चला जाता है, और इनका आकार भी धीरे-धीरे बढ़ने लगता है, जिसकी शुरुआत अधिकतर होठों के आसपास, आंखों की पलकों के आसपास, हाथों की उंगलियों के आसपास, या कमर और पेट पर होती है। शुरुआत में यह समस्या उतनी गंभीर नहीं दिखाई देती लेकिन धीरे धीरे शरीर के अधिकतर भागों पर सफेद दाग दिखाई देने लगते हैं। शरीर के बाल भी सफेद हो जाते हैं तथा रोग तेजी से बढ़ता चला जाता है।

अगर स्किन का रंग हल्का होने लगे और उस हिस्से के बाल भी सफेद होना शुरु हो जाए तो समझिए कि सफेद दाग है। हालांकि इन दागों पर कोई खुजली या दर्द नहीं होता और संवेदनशीलता भी बनी रहती है, लेकिन पसीने और ज्यादा गर्मी की स्थिति में जलन पैदा हो सकती है।यदि सफेद दाग के ऊपर बाल काले ही रहें तो इलाज की गुंजाइश ज्यादा होती है। अगर दाग के ऊपर लगा स्क्रेच या घड़ी पहननेवाली जगह आदि भी सफेद होने लगे तो समझिए कि समस्या बढ़ रही है।

सफेद दाग के लक्षण (Symptoms of Vitiligo) 

सफेद दाग के लक्षण

यदि किसी की त्वचा का रंग कहीं कहीं से फीका पड़ने लगे, और यह रंग धीरे-धीरे अधिक और अधिक फीका पढ़ने के साथ-साथ संपूर्ण त्वचा की अपेक्षा फीकी पड़ने वाली त्वचा का स्थान अधिक संवेदनशील हो जाए, कहने का मतलब है कि इस जगह पर धूप और गर्मी की संवेदनशीलता अधिक बढ़ जाती है, तो समझ लेना चाहिए कि यह सफेद दाग होने की शुरुआत हो चुकी है, सफेद दाग विशेषता 20 साल की उम्र से पहले ही अपने अस्तित्व में आ जाते हैं,

विशेष तौर पर आंखों की पलकों के बराबर में, मुंह एवं होठों के चारों ओर, भुजाओं में, हाथों की उंगलियों में, कमर पर, पेट पर, या पैरों सहित शरीर के अन्य हिस्सों में जब जगह-जगह त्वचा का रंग फीका पड़ने लगे, तुझे हंस के शुरुआती लक्षण है,सफेद दाग की पहचान में सबसे शुरुआती लक्षण है, त्वचा का रंग फीका पड़ना और उस जगह पर बाल भी सफेद होना। शरीर पर अगर सफेद दाग हो जाये और उसके बाद कहीं चोट लग जाने पर वाह जगह भी सफेद हो जाये तब आपको समझ जाना चाहिए कि ये समस्या तेजी से शरीर में बढ़ रही है,

और अब इस समस्या का सरलता से ठीक होना संभव नहीं हैं । यह रोग ने तो किसी के साथ संबंध बनाने से फैलता है और न ही ये छूने से फैलता है। एलोपैथ की अपेक्षा हम इसे आयुर्वेदिक तरीके से उपाय करके इस समस्या को जड़ से ठीक कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए हमें बहुत ही धैर्य की आवश्यकता होती है, क्योंकि जिस तरह से यह रोग धीरे-धीरे बहुत दिनों में विकसित होता है उसी तरह से यह धीरे-धीरे जाने में भी पर्याप्त समय लेता है।

सफेद दाग होने के कारण

आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में होने वाले त्वचा रोग मुख्यत: हमारे शरीर के वायु विकार के कारण होते हैं, जब किसी व्यक्ति के शरीर में वायु विकार उत्पन्न हो जाता है तो उस व्यक्ति को त्वचा संबंधित रोग शुरू हो जाते हैं, मुख्य कारण शरीर में होने वाला वायु विकार के साथ-साथ और भी कई कारण है जो इस रोग के होने की पुष्टि करते हैं,
जिनमें से-

* शरीर में विटामिंस की कमी।

* शरीर में एलर्जी का होना।

* अधिक केमिकल युक्त सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल करना।

* सुगंधित तेलों एवं स्प्रे का इस्तेमाल करना।

* घटिया क्वालिटी के चमड़े से बनी चीजों का पहनने के लिए प्रयोग करना।

* शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का आवश्यकता से अधिक बढ़ जाना भी सफेद दाग होने का एक कारण है ।

* लिवर का रोगी हो जाना ।

* जल जाने के कारण या चोट लग जाने के कारण।

* पाचन तंत्र खराब होने के कारण।

* शरीर में कैल्शियम की कमी के कारण।

* पेट में कीड़े हो जाने के कारण ।

* अधिक देर तक धूप में रहने के कारण ।

* सर्दी से एलर्जी के कारण।

* दूषित पानी के कारण।

* और अनुवांशिकता भी इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है ।

सावधानियां एवं बचाव?

सफेद दाग से बचने के लिए बहुत सी सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, जिन सावधानियों को पीड़ित की अपेक्षा उसके संरक्षक एवं माता-पिता को ध्यान रखने की अधिक आवश्यकता होती है । ध्यान रहे यदि आपके शिशु के शरीर पर कहीं भी किसी भी प्रकार का त्वचा का रंग फीका पड़ रहा है तो इसे हल्के में ना लें, बल्कि यह गंभीरता का विषय है, यदि आपके बच्चे के शरीर पर छोटे से छोटा भी निशान इस प्रकार का है,

जहां पर आप को तनिक भी संदेह हो रहा है कि यह सफेद दाग होने की संभावना प्रकट करता है, तो आपको चाहिए कि समय रहते उसके लिए उचित उपचार अवश्य करें । बच्चे के खानपान एवं उसके दिनचर्या का विशेष ध्यान रखें, पौष्टिक भोजन की व्यवस्था करना हर माता-पिता की जिम्मेदारी है, बच्चे को नहलाने के लिए साबुन आदि का कम से कम प्रयोग करना बच्चे की त्वचा के लिए लाभदायक होता है, माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को फल, कच्ची सब्जियां, और सूखे मेवे खाने की आदत बनाएं ।

सफेद दाग निवारण हेतु घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय     

सफेद दाग निवारण हेतु घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय

एक बात हमेशा याद रखें कि सफेद दाग के उपचार के लिए, सर्वप्रथम हमें धैर्य की आवश्यकता होती है, ज्यादातर मरीज एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास, दूसरे डॉक्टर से तीसरे के डॉक्टर के पास, आज यह उपचार कर रहे हैं, तो कल वह उपचार कर रहे हैं, आज इसने मकीम ने यह दवाई बता दी तो इसको कर रहे हैं कल नीम हकीम ने वह दवाई बता दे तो उसका इस्तेमाल कर रहे हैं, समय-समय पर हम डॉक्टर और दवाइयां बदलते रहते हैं,

जिसके कारण बीमारी कम होने के बजाय बढ़ती चली जाती है, और अंत में आकर स्थिति यह बनती है कि बीमारी लाइलाज हो जाती है, इस तरह का व्यवहार करने वाले भाइयों बहनों से अनुरोध है कि यह व्यवहार आपके बीमारी को लाइलाज बना देगा, ऐसा बिल्कुल ना करें । चौकी सफेद दाग के इलाज के लिए सबसे पहले जरूरत पड़ती है धैर्य की क्योंकि सफेद दाग का इलाज दो-चार दिन या एक दो महीने में नहीं होता इसके इलाज के लिए वर्षों लग जाते हैं । 

आइए जानते हैं कुछ उन घरेलू उपायों के बारे में जिनको अपनाकर हम सफेद दाग की समस्या को हमेशा के लिए खत्म कर सकते हैं, अपने ही घर, आसपास एवं अपनी ही रसोई में उपस्थित,
कुछ चीजों का सेवन या उपयोग करके हम सफेद दाग की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं

* गोमूत्र –           
गोमूत्र एक ऐसी औषधि है, जो हमारे शरीर में होने वाली लगभग सभी बीमारियों को पूर्णता ठीक कर सकती है बशर्ते इसका इस्तेमाल सही तरीके से एवं पूर्ण धैर्य से किया जाए, सफेद दाग के रोगी को चाहिए कि वह प्रतिदिन सुबह के समय आधा कप खाली पेट गोमूत्र का सेवन अवश्य करें, एवं रात को सोते समय संक्रमित त्वचा के ऊपर रुई के माध्यम से गोमूत्र को लगाएं । ध्यान रहे यह प्रयोग लगातार 1 साल करना है, बिना किसी अंतर के किया गया यह प्रयोग 1 वर्ष की अवधि में आपको पूर्णत: स्वस्थ एवं निरोगी बना देगा।

* हल्दी –         
आधी किलो गीली हल्दी लेकर उसे मिक्सी में ग्राइंड करके उसमें आधा किलो नई पीली सरसों का कच्ची घानी ( सरसों से निकाला गया वह तेल जो केवल पहली बार में ही निकाला गया हो) मिलाकर एक कांच के या चीनी मिट्टी के बर्तन में भरकर धूप में रख दें,लगभग 60 दिनों के बाद इसमें से हर रोज थोड़ा थोड़ा ले,और संक्रमित स्थान पर हल्का-हल्का रात को सोने से पहले मालिश करें, यह क्रिया लगातार 1 साल तक नियमित रूप से बिना किसी अंतर के करनी है, कितना भी पुराने सफेद दाग शरीर पर हो इस प्रयोग के नियमित करने से वह पूर्ण तो ठीक हो जाते हैं ।
नोट – ध्यान रहे इस तेल को लगाने के बाद धूप में जाना वर्जित है ।

* बथुआ घास सफेद दाग के लिए चमत्कारिक औषधि – 
     
आधा लीटर काले तिल के तेल में आधा किलो बथुआ घास को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर मिलाकर कांच के बर्तन में भरकर रख दें, दूसरे तीसरे दिन इसको हिलाते रहना चाहिए अब दो महीने के बाद इसको छानकर प्राप्त हुए तेल को कांच की शीशी में भरकर रख लें, तथा हर रोज सुबह शाम संक्रमित जगह पर इसको उंगली से हल्का हल्का लगाएं, यह प्रयोग कम से कम 1 साल करना अनिवार्य है, इस प्रयोग के करने से सफेद दाग पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं।नोट – ध्यान रहे इस तेल को लगाने के बाद धूप में जाना वर्जित है ।

* महाभृंगराज घास :-             
महा भृंगराज घास को जड़ सहित उखाड़ लाएं तथा इसके चाकू से काट कर छोटे-छोटे टुकड़े कर लें, आधा किलो महाभृंगराज में आधा किलो शुद्ध आंवला का तेल मिलाकर एक कांच के बर्तन में कम से कम 2 से 3 महीना बर्तन का ढक्कन बंद करके रखा रहने दें, इसके पश्चात इसको खोलकर तेल को छान लें, हर रोज सुबह शाम संक्रमित जगह पर इसको उंगली के माध्यम से लगाएं यह प्रक्रिया भी कम से कम 1 साल तक ऐसे ही हर रोज दोहरानी है, 1 साल की मेहनत के बाद आप खुद को बिल्कुल स्वस्थ पाएंगे ।नोट – ध्यान रहे इस तेल को लगाने के बाद धूप में जाना वर्जित है ।

* सूखी हल्दी की गांठ –           
50 ग्राम सरसो का तेल एवं 50 ग्राम तिल का तेल एक जगह मिलाकर एक शीशी में भरकर रख लें अब एक सूखी हल्दी की एक गांठ लें और पत्थर की शिला पर कुछ बूंदे तेल की डालकर उनके साथ हल्दी की गांठ को घिस कर पेस्ट बना लें सुबह शाम इस पेस्ट को सफेद दागों पर लगा लेना चाहिए कुछ ही महीनों में आपके शरीर पर फैले हुए सफेद दाग बिल्कुल ठीक हो जाएंगे, यह प्रयोग कम से कम 1 साल जरूर करें ।

* एलोवेरा –           
सुबह के समय एलोवेरा से सफेद दागों के ऊपर हल्की सी मसाज जरूर करें, यह आपकी इस समस्या के लिए काफी गुणकारी औषधि है ।

* नीम की कोंपल –           
बसंत के महीनों में सभी पेड़ों पर कोंपल आने लगती है, इसी महीने में लगभग 2.5 किलो कोंपल तोड़कर उनका पत्थर की शिला पर रगड़ कर पेस्ट बना लें, तथा इस पेस्ट को 2.5 किलो शहद में मिलाकर एक कांच के या चीनी मिट्टी के बर्तन में भरकर रख लें, इसमें से एक हर रोज सुबह के समय गर्मियों में छाछ के साथ, और सर्दियों में दूध के साथ हर रोज सुबह के समय खाली पेट सेवन करें, कुछ ही महीनों में आप पाएंगे कि आपकी सफेद हुई त्वचा धीरे-धीरे सामान्य होने लगती है, यह प्रयोग आपको कम से कम 1 वर्ष तक करना अनिवार्य है ।

सफेद दाग से पीड़ित व्यक्तियों के परहेज

* सफेद दाग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाल मिर्च विष का काम करती है।

* सफेद दाग से पीड़ित व्यक्ति नमक का इस्तेमाल बहुत कम करें, समुद्री नमक की अपेक्षा सेंधा नमक या काला नमक का इस्तेमाल लाभदायक होता है।

* सफेद दाग से पीड़ित व्यक्तियों के चाहिए कि वह धूप तथा धूल से परहेज रखें ।

* सफेद दाग से पीड़ित व्यक्तियों के चाहिए कि खट्टी चीजों का प्रयोग बिल्कुल ना करें ।

* सफेद दाग से पीड़ित व्यक्तियों के चाहिए कि वह नींबू का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें।

* सफ़ेद दाग़ के रोगियों को सोडा का प्रयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए ।

* इस रोग के रोगियों के लिए बैंगुन का प्रयोग उचित नहीं हैं।

* सफेद दाग से पीड़ित व्यक्तियों के चाहिए कि वह तैलीय और मसालेदार चीजों का प्रयोग ना करें।