लकवे के आयुर्वेदिक इलाज, जिसका दिखेगा आपको रातो- रात असर, और कुछ ही दिनों में ठीक,बिना डॉक्टर की सहायता के?

लकवे के आयुर्वेदिक इलाज

लकवे के आयुर्वेदिक इलाज, के साथ जाने इसके लक्षण, कारण,

लकवे के आयुर्वेदिक इलाज के साथ आईये जानते है, इसके बारे में, किसी व्यक्ति के मस्तिष्क के किसी हिस्से में सहसा अचानक ही खून का प्रवाह रुक जाने के कारण या दिमाग की कोई नस फट जाने के कारण, कोशिकाओं के आसपास रक्त जमा हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति को मस्तिष्क क्या दिमाग का दौरा पड़ जाता है, आमतौर पर होता तो यह है कि व्यक्ति के किसी एक हिस्से पर लकवा का असर होता है, जैसे चेहरा, पूरा चेहरा या आधा चेहरा, एक हाथ,  एक पैर, यह पूरे शरीर के आधे भाग पर लकवा का असर होता है।

जिसमें पूरी तरह से शरीर का आधा हिस्सा बेकार भी हो सकता है और पूरी तरह से बेकार न होकर कमजोर भी रह सकता है, मस्तिष्क की कोशिकाओं में रक्त की आपूर्ति भली प्रकार न होने के कारण और मस्तिष्क की कोशिकाएं कमजोर हो जाने या मर जाने के कारण लकवा/स्ट्रोक की स्थिति बनती है।  समय से उपचार कर मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवन दिया जा सकता है। आयुर्वेद में लकवा या पक्षाघात एक वायु रोग है, जिसके प्रभाव के कारण व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाएं, बोलने और महसूस करने की क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है।

आयुर्वेद के अनुसार पैरालाइसिस पांच प्रकार का होता है।

1-अर्दित :-
इस प्रकार के पैरालाइसिस में केवल चेहरे पर इसका असर होता है, इसे फेशियल पैरालाइसिस भी कहते हैं। जो व्यक्ति के सिर नाक, कान,  आंख मुंह, माथा, ठोड़ी, होंठ आदि अंगों को प्रभावित कर निष्क्रिय बना देता है। 

2- एकांगघात :-
इस प्रकार के पैरालाइसिस में शरीर के किसी एक अंग पर आधात होता है कहने का मतलब है कि एकांगघात किसी एक अंग को निष्क्रिय बनाता है।  

3- सर्वांगघात :-
इसके अंतर्गत लक्मे का असर शरीर के सभी अंगों पर होता है और पूरे शरीर को निष्क्रिय बना देता है। 

4- अध्रांगघात :-
जैसा कि नाम से ही विदित होता है इस लकवा का असर शरीर के आधे हिस्से पर होता है। 

5- बालपक्षाघात :-
यह बच्चों में होने वाला लकवा है जो एक विशेष प्रकार के कीड़े के द्वारा बच्चों की नाड़ी और मांसपेशियों में संक्रमण होने के कारण बच्चों को अंगों को आघात पहुंचाता है।

लकवे के आयुर्वेदिक इलाज, के साथ जाने, पैरालाइसिस या लकवा के लक्षण

लकवा के लक्षणों को पहचानना ज्यादा मुश्किल नहीं होता, क्योंकि हमारे शरीर के बाहरी अंगों का सुन पड़ जाना या धीरे-धीरे निष्क्रिय हो जाना हमें संकेत दे देता है कि हमारे शरीर में कुछ ऐसा घटित होने वाला है जो हमारे अंगों को प्रभावित करने वाला है, शरीर के अंगों में सुन्नपन रहना हमारे शरीर के अंगों को खिलता की ओर ले जाता हूं, जिनके आधार पर हम अपने शरीर में कौन है विभिन्न बदलाव एवं निष्क्रियता को आसानी से पहचान सकते हैं। 

 शरीर में लकवा होने के विभिन्न लक्षण कुछ इस प्रकार हैं। 

* लकवा होने की स्थिति में शरीर के अंगों में सुन्न हो जाता है शरीर के विभिन्न अंगों में चीटियां से चलने लगती है जिसके कारण व्यक्ति में अजीब सी बौखलाहट आ जाती है। 

* सर में अचानक तेज दर्द कहां हो जाना आंखों में जलन हो जाना एवं हाथों में हल्का पन या भारीपन होना। 

* मुंह से लार निकलने लगना और चाह कर भी उस पर नियंत्रण न रख पाना पैरालाइसिस का दृढ़ संकेत है। 

* जब एकाएक सोचने, समझने,  लिखने और बोलने की ताकत में कमी  आ जाए तो यह संकेत हमारे शारीरिक अंगों पर हमारे नियंत्रण में कमी को दर्शाता है जो लकवा का अहम लक्षण है। 

* यदि एकदम से जी मिचलाने लगे और शरीर के अंदर खाली खाली सा महसूस होने लगे, अजीब सी बेचैनी शरीर में दौड़ पड़े मुंह में आवश्यकता से अधिक नमी आ जाए तो समझ लीजिए पैरालाइसिस का खतरा हो सकता है। 

* मूत्र या मल त्याग एवं आंतों के नियंत्रण में कमी दर्शाती है कि हमारे अंगों पर हमारे नियंत्रण में कमी आ गई हैं, यह लकवा होने का संकेत हो सकता है। 

* जब अचानक सांस लेने में कठिनाई होने लगे और हाथों पैरों यह शरीर के अन्य अंगों में स्थिरता महसूस हो तो समझने में देर नहीं लगानी चाहिए कि हमारी बॉडी में स्ट्रोक की संभावना प्रबल हो चुकी हैं। 

* सुनने और देखने के क्षमता का कम हो जाना भी कहीं ना कहीं स्ट्रोक की संभावना को दर्शाता है। 

* जब किसी व्यक्ति की चेतना में कमी होने लगे अर्थात वह दूसरे व्यक्तियों चीजों आदि को पहचानने में सफल नहीं हो पा रहा हो तो यह पैरालाइसिस का संकेत हो सकता है.

* यदि किसी व्यक्ति को एकाएक भ्रम की स्थिति पैदा हो जाए और वह किसी चीज को एकटक घूर कर देखने लगे तो हो सकता है कि लकवा का असर हो रहा हो। 

पैरालाइसिस या लकवा होने के कारण पैरालाइसिस जल लकवा होने के कारण निम्न प्रकार से हैं। 

* मस्तिष्क के किसी हिस्से में अचानक खून का प्रवाह रुक जाना। 

* दिमागी की कोई नस फट जाना। 

* मस्तिष्क की कोशिकाओं में रक्त की आपूर्ति कत्थक हो जाना। 

* अचानक कोई मानसिक आघात पहुंचना। 

* सर में चोट लगने के कारण। 

* जन्मजात या अनुवांशिकता के कारण। 

* कभी-कभी बुखार की अधिक तीव्रता के कारण भी स्ट्रोक हो सकता है। 

* कभी-कभी किसी प्रिय वस्तु को खोने के डर से भी ऐसा हो सकता है। 

* तनाव या डिप्रेशन भी इसका मुख्य कारण है। 

* नशीले पदार्थो के अत्यधिक सेवन से भी इस रोग की प्रबल संभावनाएं बनी रहती हैं। 

लकवा या पक्षाघात के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

लकवा को आयुर्वेदिक दवाइयों द्वारा पूर्णता ठीक किया जा सकता है, इसके लिए आयुर्वेद का ट्रीटमेंट सबसे अच्छा ट्रीटमेंट माना जाता है जो बहुत ही कम समय में लखवाया पैरालाइसिस को पूर्णता ठीक कर सकता है, आइए जानते हैं कुछ आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार जो पैरालाइसिस के लिए अशोक एवं रामबाण उपचार हैं।

लकवा का आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज

1- नींबू पानी :- 
नींबू पानी का एनिमा लेने से लकवा जा पैरालाइसिस रोग से बचा जा सकता है, यह पूर्ण रूप से प्राकृतिक है एवं इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। 

2- वाष्पोत् स्नान/ स्टीम बाथ  :- 
वाष्प स्नान अर्थात स्टीम बाथ इस रोग के लिए बहुत अच्छा स्नान है बाप का स्नान करने से शरीर की मांसपेशियों के साथ-साथ हमारा नर्वस सिस्टम भी एक्टिव हो जाता है, यह विधि पैरालाइसिस को दूर करने में काफी कारगर सिद्ध होती है। 

3- योग एवं नृत्य :- 
पैरालाइसिस के पेशेंट के लिए योग एवं नृत्य बहुत अच्छा ट्रीटमेंट है देखा गया है कि योग और नृत्य द्वारा पेशंट प्राकृतिक रूप से खुद को स्वस्थ कर सकता है बिना किसी प्रकार की दवाइयां का सहारा लिए हुए। 

4- प्राणायाम :- 
अनुलोम विलोम प्राणायाम लकवा ग्रस्त रोगी के लिए अचूक उपचार है, नियमित रूप से अनुलोम विलोम करने वाला लकवा ग्रस्त रोगी 30 से 45 दिन में ठीक हो जाता है। 

5- सेंधा नमक और  काला नमक :-

काला नमक के नियमित प्रयोग से लकवा रोग कभी नहीं होता, हमें अपना सफ़ेद आयोडीन नमक छोड़कर सेंधा नमक या काला नमक प्रयोग में केना चाहिए। यदि लकवा के मरीज को सेंधा नमक खिलाया जाए तो पैरालाइसिस का रोग बहुत कम समय में ही ठीक हो जाएगा। 

6- कलौंजी का तेल :- 
लकवा ग्रस्त रोगी के जिस अंग पर लकवा आया हुआ है उस अंग पर कलौंजी के तेल की लगातार सुबह और शाम के समय धूप में बैठा कर नियमित रूप से मालिश करने से मात्र 8 दिन में ही लकवे के ग्रसित अंग में फर्क महसूस होने लगता है।
 
 *कलौंजी के तेल की एक बूंद, नाक में सुबह और शाम दोनों समय नियमित रूप से डालने पर लकवा रोग सिगरेट ठीक हो जाता हैनोट :- शरीर के जिस हिस्से में पैरालाइसिस है, यह तेल उसके ऑपोजिट नाक में ही प्रयोग करना है। 

7- काली मिर्च और गाय का घी :- 
एक चम्मच काली मिर्च को पीस लें फिर उसे दो चम्मच गाय के शुद्ध घी में मिला ले, प्रभावित अंगों पर लगातार सुबह शाम मालिश करने से पैरालाइज की समस्या दूर हो जाती है। 

8- गाय का दूध और छुआरा :- 
एक गिलास दूध में 4 छात्रों को भिगोकर तथा उबालकर, यह दूध रोजाना पीने से लकवा रोग में बहुत आराम मिलता है। 

9- शहद और कलौंजी का तेल :- 
एक चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल एक जगह मिलाकर लकवा ग्रस्त व्यक्ति को सुबह शाम जीभ से चाटकर खिलाएं कुछ ही दिनों में, रोक संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होगा।  ध्यान रहे इस प्रयोग के 2 घंटे बाद तक कुछ भी नहीं खाना पीना। 

10- मालकांगनी का तेल :- 
माल कांगनी का प्रयोग स्ट्रोक या पैरालाइसिस में दो तरह से कर सकते हैं। * मालकांगनी का एक चम्मच तेल एक गिलास दूध में डालकर सुबह खाली पेट और रात में सोते समय पीना चाहिए। * मालकांगनी के तेल की एक एक बूंद रात को सोते समय नाक में डालकर सोने से मस्तिष्क की सभी नशे खुलती है। मालकांगनी के तेल का दोनों विधि से प्रयोग करने पर कुछ ही दिनों में लकवा ग्रस्त रोगी बिल्कुल ठीक हो जाएगा।