लंबाई कैसे बढ़ाएं, घरेलु, रामबाण इलाज होने के साथ ही आयुर्वेदिक उपाय है, जिसका कोई नुकशान,भी नहीं है?

लंबाई कैसे बढ़ाएं, बिना मेहनत के वो भी घरेलु इलाज, अब जाने हिंदी में?

लंबाई कैसे बढ़ाएं, यह आज हर किसी के मन में सवाल है, लकिन इससे पहले जानते है, इसके रुकने के लक्षण व कारण क्या है?

लंबाई कैसे बढ़ाएं सुंदरता का अपना पैमाना होता है, जिसके तहत लंबाई, चौड़ाई, कद, काठी, रंग,रूप, नयन, नक्स, चेहरा, मोहरा,बुद्धि, मस्तिष्क और विचारयदि कोई व्यक्ति इन पैमानों पर खरा उतरता है तो सही मायनों में वह सर्वगुण संपन्न और सुंदर इंसान होता है। लेकिन सुंदरता के लिए सबसे पहले रंग रूप और कद काठी को देखा जाता है क्योंकि समाज में धारणा है कि यदि किसी का रंग, रूप और कद, काठीअच्छे दर्जे के हैं, तो वह सुंदर इंसान है इसी के तहत आज के इस विचार में हम बात करते हैं, शारीरिक विकास के बारे में क्योंकि यदि इंसान के अंदर सभी गुण मौजूद हैं सिवाय कद काठी के तो उसे हीन भावना से देखा जाता है,

यदि किसी इंसान की लंबाई सामान्य से कम हो तो वह बहुत सी जगहों पर हंसी का पात्र बन जाता है और उस इंसान में खुद भी हीन भावना पनपती रहती है।  यदि हम अपने देश भारत के बात करें तो यहां पर पुरुषों के कद यदि 165 सेंटीमीटर से कम है तो उसे औसतu से कम माना जाता है और यदि किसी महिला का कद 152 सेंटीमीटर से कम है तो उसे भी औसत से कम माना जाता है लड़कों की लंबाई सामान्यता 25 वर्ष तक बढ़ती है और लड़कियों की सामान्यत 21 वर्ष तक बढ़ती है, क्योंकि इसके कम होने या ज्यादा होने का कारण हारमोंस होते हैं

लंबाई कैसे बढ़ाएं इसके पहले आइए जानते हैं, किन कारणों से व्यक्ति कि ग्रोथ प्रभावित होती है?

हारमोंस-:           
हाइट का बढ़ना या रुक जाना कहने का मतलब है किसी की हाइट कम होगी या ज्यादा होगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसके कद को प्रभावित करने वाले हार्मोन विकसित हुए हैं या नहीं विकसित हुए हैं तो वह किस हद तक विकसित हुए हैं क्योंकि किसी भी इंसान की लंबाई उसके शरीर में ग्रोथ को प्रभावित करने वाले हारमोंस के आधार पर कम या ज्यादा होती है हमारे शरीर के अंदर होने वाली है एक रासायनिक क्रिया होती है जो हमारी कद काठी को प्रभावित करती है।देखा गया हैं कि थायरॉयड हार्मोंस व ग्रोथ हार्मोंस में कमी भी अक्सर बढ़ते हुए कद और काठी को प्रभावित करती हैं ।

अनुवांशिक-:       
किसी भी जीव की शारीरिक,मानसिक,बौद्धिक संरचना का विकास उसकी अनुवांशिकता के आधार पर होता है, कहने का मतलब है एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को जाने वाले गुरु को आने वंशिता कहते हैं वह गुण जो वंशानुगत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं यह अनुवांशिक गुण कहलाते हैं किसी इंसान या किसी जीव का कद काठी भी इन्हीं गुणों में से 1 गुण है जिसके आधार पर शरीर की ग्रोथ डिपेंड करती है, यदि परिवार का इतिहास कद काठी से समृद्धि रहा है तो संभावना है कि आने वाली पीढ़ियों में भी यह संपन्नता बनी रहेगी लेकिन यदि पीढ़ी दर पीढ़ी शारीरिक विकास में कमी रहती है तो संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं कि आने वाली पीढ़ियों में भी इसकी कमी बनी रहे। किसी भी जीव या किसी भी व्यक्ति की ग्रोथ उसकी अनुवांशिकता के आधार पर भी होती है।

गैर अनुवांशिक-:           
कई बार देखा गया है कि परिवार में सभी लोगों का कद आदर्श होता है लेकिन किसी एक विशेष व्यक्ति का कद सामान्य से कम होता है तो इसका कई बार कारण आनुवांशिक ने होकर गैर अनुवांशिक भी हो जाता है जिसके बहुत से कारण हो सकते हैं जिनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं।

गर्भावस्था के दौरान अनियमितताएं-:                             
किसी भी जीव के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं वैचारिकविकास के लिए ज्यादातर गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को उचित मात्रा में पोषण न मिल पाने के कारण जीवन भर इस दौरान होने वाली कमियों की वजह से अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिनमें से एक परेशानी शारीरिक विकास भी हो सकती है, गर्भावस्था के दौरान मां को सही रूप से पोषण ने मिलना, शारीरिक अस्वस्थता, मानसिक तनावगर्भ में पल रहे बच्चे के भविष्य के लिए कई परेशानियों का कारण बन सकते हैं।
 
पोस्टिक आहार की कमी -:            
किसी भी व्यक्ति का शारीरिक विकास उसके खानपान में मौजूद पोषक तत्वों के आधार पर भी होता है कई बार देखा गया है कि खाने पीने की वस्तुओं में पोषक तत्वों की कमी हो जाने के कारण शारीरिक विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। कैल्शियम,आयरन, विटामिंस, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मिनरल्स आदि पोषक तत्वों की कमी यदि खाने में रह जाती है तो शारीरिक विकास की संभावनाएं उम्र में कमी आने की आशंका बनी रहती हैं।
 
बाल्यावस्था के दौरान बीमारियां-:                   
बाल्यावस्था के दौरान जो बच्चे अधिक बीमार रहते हैं ऐसे बच्चों का भी पूरी तरह से शारीरिक विकास नहीं हो पाता क्योंकि बीमारी के दौरान शरीर में ग्रोथ करने वाले हारमोंस अनावश्यक रूप से प्रभावित होते हैं जिनके कारण शरीर का विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता और शरीर संरचना अविकसित रह जाती है।
 
वातावरण-:             
देखा गया है कि वातावरण का प्रभाव भी शारीरिक विकास के ऊपर नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों ही रूप से पड़ता है, ध्यान दें कुछ प्रदेशों एवं कुछ देशों में लंबाई सामान्य से कम होती है लेकिन कुछ प्रदेश और कुछ देशों में शारीरिक विकास सामान्य से अधिक भी पाया जाता है यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि शारीरिक विकास के ऊपर वातावरण का भी विशेष प्रभाव पड़ता है।
 
शारीरिक गतिविधियों से परहेज-:               
आवश्यकता से अधिक मोबाइल का अनावश्यक प्रयोग के चलते बच्चे रात को देर तक जागते रहते हैं जिसके कारण सुबह देर से उठते हैं और कोई शारीरिक गतिविधियां नहीं करते जिसके कारण शारीरिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है कहने का मतलब है कि नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां न होने के कारण जैसे व्यायाम, योगासन वगैरा ना करना शारीरिक विकास को को हानि पहुंचाता है

लंबाई कैसे बढ़ाएं इसके कुछ प्राकृतिक असरदार उपाय?            

पोष्टिक आहार-:
एक बात हमेशा याद रखें कि यदि हमारा मेटाबॉलिज्म सिस्टम ठीक है तो हम जो भी खाएंगे उसका असर हमारे शरीर पर सकारात्मक के साथ होगा इसीलिए जरूरी है कि हम बेशक कम खाएं लेकिन पोस्टिक और थोड़ा-थोड़ा खाएं क्योंकि यदि एक ही समय में आवश्यकता से अधिक खाना खाया जाए तो वह हमारे मेटाबॉलिज्म की गुणवत्ता बढ़ाएगा जिसका फायदा यह होगा कि शरीर में अतिरिक्त वसा का भंडारण नहीं होगा और शारीरिक ग्रोथ के मार्ग प्रशस्त होंगे। 

हार्मोनल डेवलपमेंट-:                 
शरीर में हारमोंस का डेवलपमेंट करने के लिए हमें इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि हारमोंस किस वस्तु से ग्रोथ करते हैं क्योंकि यदि शारीरिक विकास करने वाले हार्मोन शरीर में शुद्ध रूप से बनेंगे तो हमारी शारीरिक वृद्धि भी सही समय पर और संतुलित मात्रा में होगी, हारमोंस के विकास के लिए हमें पर्याप्त रूप में विटामिन डी, कैल्शियम और प्रोटीन की विशेष रूप में आवश्यकता होती है जिसके लिए हमें ऐसे भोजन का अपने खानपान में इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो जाता है,जिस भोजन में विटामिन डी प्रोटीन और कैल्शियम की अधिकता हो।

जिंक-:       
सारे के विकास एवं कद के बढ़ने में जिसका भी अपना विशेष महत्व होता है संतुलित विकास के लिए मैग्नीशियम फास्फोरस कार्बोहाइड्रेट्स वह अन्य विटामिंस का सेवन करना भी बेहद आवश्यक होता है विशेष तौर पर बच्चों के लिए जिंक बहुत ही फायदेमंद एवं शारीरिक वृद्धि के लिए बहुत ही कारगर अवयव माना गया है फूड सप्लीमेंट भी बच्चों के विकास मैं महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं।

खेल एवं व्यायाम-:             
खेलना केवल बच्चों के मनोरंजन के लिए ही नहीं होता बल्कि खेलने और व्यायाम करने का बच्चों के जीवन में अलग ही महत्व होता है जो बच्चा पूर्ण रूप से खेलता और व्यायाम करता है उसका शारीरिक विकास मानसिक विकास में बौद्धिक विकास और वैचारिक विकास भी उत्कृष्टता के आधार पर होता है क्योंकि खेलते एवं व्यवहार करते समय शरीर के विभिन्न अंगों मे हलचल होती है जिसके कारण पूरा शरीर, और दिमाग के साथ-साथ व्यवहारिकता की भी कसरत होती है जो शारीरिक विकास के लिए बहुत ही लाभदायक होता है।

योगासन एवं प्राणायाम-: 
           
योगासन एवं प्राणायाम का भी अपना एक महत्व होता है जो हमारी शारीरिक वृद्धि में बहुत ही सहायक होता है, जिनके आधार पर हम अपने बच्चों का शारीरिक, मानसिक, आत्मिक एवं आध्यात्मिक विकास कर सकते हैं प्रत्येक माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को योगासन एवं प्राणायाम करना उनकी आदत में शामिल करें।

लंबाई बढ़ाने के कुछ आयुर्वेदिक एवं घरेलू नुस्खे,

लंबाई बढ़ाने के कुछ आयुर्वेदिक एवं घरेलू नुस्खे,

चूना-
गेहूं के दाने के बराबर गीला चूना प्रतिदिन दही में मिलाकर खाने से शारीरिक एवं मानसिक विकास में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है।

अश्वगंधा-
एक चम्मच अश्वगंधा पाउडर हर रोज शाम के समय खाली पेट दूध के साथ पीने से कद बढ़ता है।

शतावर चूर्ण-
शतावर चूर्ण का प्रयोग लंबाई बढ़ाने के लिए किया जाता है यदि एक चम्मच शतावर चूर्ण प्रतिदिन नियमित रूप से लिया जाए तो आपके बच्चे के शारीरिक विकास में जबरदस्त वृद्धि करता है।

शिलाजीत-
शुद्ध शिलाजीत माचिस की तीली पर लगे मसाले के बराबर दूध में मिलाकर हर रोज शाम के समय पीने से चमत्कारी लाभ मिलेगा।नोट – इसका प्रयोग केवल अक्टूबर से फरवरी माह तक ही उचित है।

सफेद मूसली-
सफेद मूसली का प्रयोग शारीरिक विकास के लिए एक आदर्श औषधि है, आधा चम्मच सफेद मूसली पाउडर नियमित रूप से बच्चों को दूध के साथ मिलाने से आश्चर्यजनक रूप से हाइट बढ़ती है।
नोट – याद रहे इसका प्रयोग 2 महीने के बाद 15 दिन तक बंद कर देना जरूरी होता है, हर 2 महीने बाद 15 दिन के लिए दवाई नहीं देनी चाहिए क्योंकि यदि ऐसा नहीं करते तो यह दवाई खाने में शामिल हो जाती है।

अर्जुन की छाल-
अर्जुन की छाल को पीसकर दरदरा पाउडर बना लीजिए तथा इसको एक डब्बे में भरकर रख लीजिए हर रोज शाम के समय एक चम्मच पाउडर दूध में डालकर उबाल लीजिए, इसे पीने से आप देखेंगे कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक रूप से लंबाई में वृद्धि होगी।

योगासन-
लंबाई बढ़ाने के लिए कुछ योगासन बेहद जरूरी है जैसे- ताड़ासन, हलासन, सर्वांगासन,शीर्षासन,पश्चिमोत्तानासनऔर चक्रासन, हर रोज सुबह के समय नियमित रूप से करना चाहिए यह सभी आसन शारीरिक विकास के लिए बेहद ही जरूरी हैं।