हिस्टीरिया का घरेलू उपचार, 100% सफल इलाज, बिना किसी डॉक्टर की मदद के, खुद बने खुद के डॉक्टर,

हिस्टीरिया का घरेलू उपचार

हिस्टीरिया का घरेलू उपचार, के साथ जाने यह क्यों होता है, क्या होता है, और इसके कारण व लक्षण क्या है

हिस्टीरिया का घरेलू उपचार के साथ इसकी परिभाषा, जब हम हिस्टीरिया की बात करते हैं तो हम पाते हैं, कि हिस्टीरिया की कोई निश्चित परिभाषा नहीं है, यह किसी को भी हो सकता है, अकेले इंसान को भी और ग्रुप में भी हिस्टीरिया हो सकता है, अकेलापन,  तनाव, उपेक्षा का शिकार, मौत का डर या किसी को खोने का डर, काम का डर, या कभी-कभी बेवजह का डर भी हिस्टीरिया का कारण बन जाता है,  देखा गया है, कि युद्ध के दौरान मिलिट्री के जवानों को अक्सर हिस्टीरिया देखने को मिलता है, चौकी युद्ध में जान जाने कब है सभी को सताता है,

सभी को डर लगता है, कि कहीं इस युद्ध में मेरी जान न चले जाएं, मेरे बाद मेरे परिवार का क्या होगा, मेरी जिम्मेदारियों को कौन देखेगा, इस तरह की बातें सैनिकों के मन में घर कर लेती है, जिसके कारण जवानों में हिस्टीरिया पनप जाता है, इसी को दूर करने के लिए समय-समय पर जवानों के मनोरंजन का विशेष ध्यान रखा जाता है, उनके लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जवानों को हिस्टीरिया से बचाने के लिए तरह तरह के गेम्स में पार्टिसिपेट करने को कहा जाता है, उनकी रूचि के अनुसार उनको काम भी सौंपा जाता है,

विशेष तौर पर युद्ध के समय उनको देश भक्ति और वीर रस से ओतप्रोत गाने,  फिल्में, नाटक एवं कहानियां सुनाई जाती हैं, जिससे उनका मनोबल बढ़ता है, और मन में छुपा हुआ डर भी बाहर निकल जाता है। यही स्थिति साधारण इंसान की भी होती है, कहीं उपेक्षा का शिकार या किसी को खोने का डर, किसी काम को बिगड़ जाने का डर इस तरह की अनेकों समस्याओं से घिरा हुआ इंसान अक्सर इस बीमारी की जद में आ जाता है।

जिसके कारण व्यक्ति अपनी स्थिति से अनभिज्ञ होता है, वह जब हंसता है, तो हंसता चला जाता है,  रोता है, तो रोता चला जाता है, जब चुपचाप गुमसुम बैठता है, तो ऐसे ही घंटो तक बैठा रहता है, पेट में जैसे हवा का गोला बन जाता है, जिससे उसको साँस लेने में बहुत परेशानी होने लगती है, चक्कर आने की संभावनाएं होने लगती है, सीने में अजीब सा डर बैठ जाता है,  उसको गिरने का डर लगने लगता है, कभी-कभी तो व्यक्ति को पैरालाइसिस भी हो जाता है, कई शोधों में देखा गया है, कि यह समस्या प्रसव के बाद महिलाओं में बहुत बढ़ जाती है, जिस का एक प्रमुख कारण क्या होता है। ऐसी स्थिति में हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है की पीड़ित व्यक्ति को मानसिक एवं सामाजिक सपोर्ट दें। 

आइए जाने हिस्टीरिया के लक्षणों के बारे में

1- एक एक व्यक्ति को गिरने का डर हो जाना। 

2- अचानक बेहोशी आ जाना। 

3- शारीरिक अंगों में ऐठन आ जाना। 

4- दौरे पड़ना

5- जोर-जोर से चिल्लाना या जोर जोर से रोना। 

6- कभी-कभी बिल्कुल चुपचाप गुमसुम बैठ जाना। 

7- एकाएक बोलने और सुनने की क्षमता कम हो जाना। 

8- जुबान लड़खड़ा ना, बैठे-बैठे आंखों से आंसू आना। 

9- कभी-कभी बहुत जोर जोर से बोलना गाली गलौज करना। 

10- बहुत ज्यादा पसीना आना। 

11- एकदम से प्यास लगना, गला सूख जाना। 

12- दिल की धड़कनें बढ़ जाना, अजीब सा डर लगना। 

हिस्टीरिया के प्रमुख कारण कौन कौन से होते हैं आइए उनके ऊपर विचार करते हैं/-

* हिस्टीरिया एक एक प्रकार की मानसिक समस्या है,

* इसका मुख्य कारण तनाव है। 

* यदि किसी को कोई गंभीर सदमा लगा है ऐसी स्थिति में भी व्यक्ति को इसकी समस्या हो सकती है। 

* जो व्यक्ति हमेशा अपने फिलिंग्स को दबाता रहता है उसको हिस्टीरिया बनने के बहुत ज्यादा संभावनाएं होती हैं। 

* जीवन में हुआ कोई गंभीर हादसा भी हिस्टीरिया जैसी बीमारियों को जन्म देता है। 

* दांपत्य जीवन में होने वाली परेशानियां भी इसका एक कारण है। 

* बहुत ज्यादा केसों में देखा गया है कि खराब आर्थिक स्थिति भी इस रोग का कारण बनती है। 

* मानसिक समस्याएं सभी के साथ होती है लेकिन एक निश्चित दायरा होने के कारण, समाज में अपनी बात खुलकर न कहने के कारण, महिलाओं में यह समस्या अधिकतर पाई जाती है। 

हिस्टीरिया के नुकसान/-

* हिस्टीरिया एक मानसिक बीमारी है इस बीमारी के चलते विचलित रहता है, 

* शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की यातनाएं झेलनी होती है, 

*शारीरिक और आर्थिक नुकसान होता रहता है,

* इंसान को सामाजिक कलंक झेलना पड़ता है,

* शारीरिक अंगों मैं विकृतियां होने का डर बना रहता है, 

*ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर रोगी में  पागलपन की संभावनाएं भी प्रबल होती हैं, 

हिस्टीरिया के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

1- केले के तने का रस :- 
केले के तने का रस/ जूस पेशेंट को दिन में तीन बार एक एक गिलास लगातार तीन महीने नियमित रूप से देना चाहिए, हिस्टीरिया के पेशेंट के लिए यह रामबाण औषधि है। 

2- चुकंदर :-   
हिस्टीरिया के पेशेंट को रोज सुबह खाली पेट एक कप चुकंदर के जूस में एक चम्मच आंवले का पाउडर मिलाकर 45 दिन पीना चाहिए। 

3- सेब का जूस:- 
एक गिलास सेब के जूस में एक चम्मच ब्रह्मी का पाउडर रोज सुबह खाली पेट 3 महीना नियमित रूप से पीने पर हिस्टीरिया का रोग जड़ से खत्म हो जाता है।
 
4- गाय का घी :-   
गाय का घी 25 ग्राम, 10 ग्राम अनार के ताजे पत्ते, 10 ग्राम गुलाब के पौधे के ताजे पत्ते दो गिलास पानी में मिलाकर धीमी आंच पर उबालें गरम-गरम को छानकर, गुनगुना करके घुट घुट पीने से मात्र 2 माह में हिस्टीरिया का रोग जड़ से खत्म हो जाता है। 

5- सरसों का तेल :-   
कच्ची गाने सरसों का तेल रात को सोते समय एक एक बूंद नाक के शुरू में डालने से हिस्टीरिया रोग में बहुत आराम मिलता है, तथा तनाव भी दूर होता है। 

6- अखरोट :-   
4 अखरोट की गिरी को अच्छे से धोकर  रात में एक गिलास दूध में भिगो दें सुबह उठकर खाली पेट गिरि को खा ले और दूध को पी लें,  यह नुस्खा मात्र 2 महीने करने से हिस्टीरिया रोग जड़ से खत्म हो जाता है। 

7- बादाम :-   
रात को 10 बादाम की गिरी पानी में भिगो दें सुबह लाल छिलका उतारकर चबाकर खाने के बाद खांड या मिश्री मिली दही का सेवन करें।  मात्र दो ही महीने में हिस्टीरिया जड़ से खत्म हो जाता है। 

8- गन्ना :-
सुबह के समय खाली पेट गन्ना चूसने से हिस्टीरिया रोग खत्म होता है, सर्दियों में इसका प्रयोग जरूर करें।  जिन गांव में गन्ने की खेती होती है वहां के लोगों को हिस्टीरिया की बीमारी ना के बराबर होती है।