हकलाहट के आयुर्वेदिक इलाज, इसके साथ-साथ तुतलाहट का भी, खास कर बच्चो का, वो भी घरेलु और रामबाण इलाज?

हकलाहट के आयुर्वेदिक इलाज

हकलाहट के आयुर्वेदिक इलाज, के साथ तुतलाहट के भी, लक्षण, कारण,

हकलाहट के आयुर्वेदिक इलाज आज हम आपको इसीलिए बता रहे है, क्योकि, आमतौर पर देखा गया है, कि ज्यादातर छोटे बच्चे हकलाते या  तुतलाते है, तुतलाना आमतौर पर बड़ी समस्या नहीं है, क्योंकि यदि बच्चा पांच साल की उम्र तक तुतलाता है, तो यह सामान्य बात है, जिसका बगैर किसी मेडिकल ट्रीटमेंट के, हम घर पर ही निदान कर सकते हैं।  बच्चे का हकलाना या तुतलाना  समस्या तब होती है, जब घर के बड़े या सगे संबंधी उनका मजाक बनाने लगते हैं, या मजाक बनाते हुए बच्चे की नकल उतारने लगते हैं,

ऐसा करने से अक्सर बच्चे हीन भावना के शिकार हो जाते हैं, बच्चा उदास रहने लगता है, और किसी से मिलना पसंद नहीं करता, अनजाने में हम अपने बच्चे की मजाक उड़ाते समय यह भूल जाते हैं, कि हमारे इस मजाकिया प्यार का बच्चे के ऊपर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण बच्चे में हीन भावना पनप जाती है।  प्राय देखा गया है, कि बच्चे कुछ अफसरों पर आकर अटक जाते हैं, जैसे :-
“त” को “ट”
बोलना 
“र” को  “ल”
“ग” को “द”
“च” को “त” 

आदि कुछ गिने-चुने अक्षर हैं, जिनका  बच्चा सही से उच्चारण नहीं कर पाता, अक्सर इन अक्षरों पर बच्चा अटक जाता है, ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी बहुत ही बढ़ जाती है, कि हम अपने बच्चे को अक्षरों के सही उच्चारण करने में उसकी सहायता करें, लगातार अभ्यास से हम देखते हैं, कि हमारे बच्चे में बहुत जल्दी सुधार होता चला जाता है। लेकिन यदि कहीं पर ऐसी स्थिति आती है, कि बच्चे के उच्चारण में सुधार नहीं हो पा रहा है,

तब हमें उसे गले के डॉक्टर को दिखाना आवश्यक हो जाता है, क्योंकि कभी-कभी होता यह है, कि बच्चे की जीभ का तालू मोटा होने के कारण उसके उच्चारण करने के क्षमता प्रभावित हो जाती है, जिसका ट्रीटमेंट यह होता है, कि बच्चे के तालू की सर्जरी करनी पड़ सकती है, जो एक बहुत ही नाम मात्र की प्रक्रिया होती है, लेकिन यह प्रक्रिया अच्छे डॉक्टर की देखरेख में होनी आवश्यक है।यदि बच्चा 5 साल की उम्र के बाद भी हकलाता या तुतलाता है,

तो हमें इस व्यवहार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, इसके लिए हमें किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है, या किसी स्पीच थैरेपिस्ट के पास अपने बच्चे को स्पीच थेरेपी के लिए भेजना परम आवश्यक हो जाता है, चौकी स्पीच थेरेपी के जरिए बच्चे की यह हकलाने और तुतलाने की समस्या समाप्त हो जाती है। 

हकलाने और तुतलाने की इस प्रवृत्ति का उपचार करने से पहले हमें इस परेशानी के लक्षणों का पता करना भी अति आवश्यक है, क्योंकि यदि हमें लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं होगी तो हम कारणों के बारे में अनभिज्ञ रहेंगे, कारणों की अनभिज्ञता हमें प्रॉपर और सही उपचार नहीं दे पाती।

हकलाहट के आयुर्वेदिक इलाज के साथ, हकलाहट के लक्षण

* जब बच्चा अक्षरों का उच्चारण सही से नहीं कर पा रहा हो। 

* जब बच्चा अपनी बात कहने में झिझक महसूस कर रहा हो।

* जब बच्चा अपने शब्दों को आपस में जोड़ते समय जब बच्चे विभिन्न प्रकार की धनि करते हैं
जैसे-: उम्, ओह्ह, ईई आदि।  तो समझ जाइए आपका बच्चा शब्दों का उच्चारण भली प्रकार नहीं कर पा रहा है। 

* यदि बच्चा होठों के झटके, चेहरे का झुकाना ,अत्यधिक आखों की चमक और चेहरे और शरीर के उपरी हिस्से में तनाव जैसे शाररिक परिवर्तन प्रदर्शित कर रहा है तो समझने में देर नहीं लगानी चाहिए कि बच्चा अपने शब्दों के प्रयोग में असहजता महसूस कर रहा है। 

* जब बच्चा बोलते समय झटके ले रहा है तो यह बच्चे की हकलाहट का संकेत है। 

* कभी-कभी बच्चा देखा देखी दूसरे बच्चों की संगत में जानबूझकर भी तुतलाकर या हकलाकर बोलता है तो यह भी आपके ध्यान देने योग्य बात है कि बच्चा इस आदत को कहीं अपनी नियमित आदत ना बना ले। 

हकलाहट के कारण?

लक्षणों के बाद बारी आती है, कारणों की क्योंकि यदि हम बच्चे की हकलाहट या तोतलाहट के कारणों को नहीं जान पाएंगे तो हम बच्चे की इस समस्या का समाधान करने में सफल नहीं हो पाएंगे, क्योंकि समाधान के लिए समस्या के कारणों के बारे में जानकारी होना भी अति आवश्यक है, आइए जानते हैं उन कारणों को जो जिम्मेदार हैं, बच्चे की हकलाहट और तुतलाहट के लिए। 
बच्चे की हकलाहट या तुतलाहट के कारण। 

* बच्चे की हकलाहट या तोतलाहट की जो परेशानी बच्चा महसूस कर रहा है उसका एक कारण अनुवांशिक भी हो सकता है। 

* कई बार क्या होता है कि हम बच्चे को सिखाते समय शब्दों की बोलने की रफ्तार को बहुत तेज रखते हैं जिसके कारण बच्चा शब्दों को समझ नहीं पाता और वह भी बोलने के चक्कर में शब्दों को छोड़ देता है या शब्दों को अधूरा बोलता है। 

* बच्चे का शारीरिक विकास पूरी तरह से ना होना भी इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है। 

* कभी-कभी मस्तिष्क पर चोट लगने या गहरा आघात पहुंचने पर भी बच्चा इस स्थिति में आ जाता है। 

* जीभ के नीचे के तालुका मोटा होना या ज्यादा जुड़ा होना जिसके कारण जीव पूरी तरह प्रयोग में नहीं आ पाती, 

* बच्चे का फ्रेंड सर्कल भी सही से उच्चारण में करने का एक कारण बन जाता है। 

* कभी-कभी बच्चों के मन में बैठा हुआ डर भी इसका एक कारण बन सकता है।
 

हकलाहट या तुतलाहट का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार, खास कर बच्चो का

1- चूना :- 
अक्सर देखा गया है कि जो माताएं गर्भावस्था के दौरान निरंतर चूना का प्रयोग करती हैं आगे चलकर उनके बच्चों में तोतलाहट या हकलाहट की समस्या नहीं पाई जाती। 

2- शंखपुष्पी और ब्रह्मी घास :- 
शंखपुष्पी और ब्रह्म घास को बराबर मात्रा में लेकर खरल में कूट लें फिर इसमें बराबर मात्रा में शहद मिलाकर एक चम्मच रोजाना सुबह खाली पेट और शाम को सोते समय बच्चे को खिलाएं। 

3- कुलंजन की जड़ :- 
कुलंजन की जड़ को दाड़ के नीचे रखकर सुबह-शाम रोजाना चूसते रहें, नियमित रूप से चूसने पर तुतलाने की समस्या में चमत्कारिक आराम मिलता है। 

4- मुलेठी पाउडर :- 
मुलेठी का पाउडर बनाकर उसमें बराबर मात्रा में शहद मिला ले, एक चम्मच शाम एक चम्मच सुबह हर रोज नियमित रूप से जीभ से चैट कर खाना है। 

5- बादाम और काली मिर्च :- 
बादाम और काली मिर्च का बराबर मात्रा में पाउडर ले इसमें शहद मिलाकर रोजाना सुबह खाली पेट और शाम को सोते समय चाट कर खाएं। 

6- चिड़िया का झूठा पानी :- 
हर रोज सुबह के समय एक मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर छत पर रख दें, दिन भर उस पानी को चिड़िया पिएंगी, चिड़िया के झूठे इस पानी में से थोड़ा सा पानी लेकर शाम के समय नियमित रूप से बच्चे को रोजाना पिलाएं।  कुछ ही दिनों में आप इसका चमत्कारिक असर देखेंगे और बच्चे के हकलाहट और तोतलाहट में बहुत फर्क महसूस करेंगे। 

7- फिटकरी :- 
गुलाबी फिटकरी ले आधा गिलास गुनगुने पानी में चने के दाने के बराबर पीसकर इसको डालें, और नियमित रूप से सुबह जागने के बाद और रात को सोने से पहले बच्चे को गरारे कराएं।
 
8- धनिया :- 
धनिया को पानी में उबालकर पानी छान लें तथा इस पानी से बच्चे को गरारे कराएं, तोतला हट के लिए यह आदर्श औषधि के रूप में काम करता है। 

9-ॐ का उच्चारण :- 
योग मुद्रा में बैठकर नियमित रूप से 10 मिनट ॐ का उच्चारण करने से तोतलाहट ठीक हो जाती है। 

10- स्पीच थेरेपी :- 
स्पीच थेरेपी भी तुतलाहट और हकलाहट के समाधान लिए बहुत अच्छा विकल्प है।