शीत लहर क्या होती है, कैसे इससे बचा जा सकता है, कैसे यह हमारे शरीर को नुकशान देती है, इससे बचने के रामबाण उपाय?

शीत लहर क्या होती है,

शीत लहर से कैसे बचें

एक पुरानी कहावत है, (“जाड़ा बारिश का ना बर्फ का! जाड़ा शीत लहर का!!”) हमारे पूर्वजों ने जितने भी कहावतें बनाई हैं वह सब सामाजिक परिवेश से जुड़ी हुई है उन्होंने जो भी कहा है वह अपने अनुभव के आधार पर कहा है, सर्दी के मौसम में चाहे कितनी भी बर्फबारी हो या चाहे कितनी भी बरसात हो जाए जरूरी सावधानियां बरतकर हम अपने और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं यदि सर्दी के इस मौसम में शीत लहर का प्रकोप ना हो तो मानव शरीर पर इसका अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं होता। 

ठंड के इस मौसम में तेज हवा का चलना बहुत ही घातक होता है यह पशु,पक्षी, जीव, जंतु, पेड़, पौधे यहां तक कीमनुष्य के लिए भी बहुत ही घातक होता है, ठंड के इस मौसम में तेज हवाओं का प्रकोप जीवन को अस्त-व्यस्त कर देता है जिसका जीवन,समाज और हमारी फसलों का भी बहुत अधिक मात्रा में नुकसान होता है।

शीत लहर क्या होती है-

सर्दी के मौसम में चलने वाली ठंडी हवाओं को शीत लहर कहते हैं, सर्दी के मौसम में दिन प्रतिदिन तापमान गिरता चला जाता है लेकिन जब इस गिरते हुए तापमान में तेज हवाएं चलती हैं, तो यह हवाएं मौसम के मिजाज के अनुसार ठंडी और बहुत ठंडी होती हैं, जितनी तेजी से यह हवाएं चलती हैं,

ठंड का प्रकोप उतना ही अधिक होता चला जाता है, ठंड का यह प्रकोप जान और माल की हानि करता है, इन ठंडी हवाओं का प्रकोप सबसे अधिक उन पहाड़ी क्षेत्रों में होता है, जहां पर बर्फ पड़ती है, क्योंकि एक तो सर्दी दूसरा वहां पर बर्फबारी भी हो रही होती है, उसके ऊपर घातक हो जाता है, तेज हवाओं का चलना सामान्य ठंड के मौसम में जो सर्दी हमें सामान्य तापमान का एहसास कराती है,

जिसको हमारा शरीर स्वीकार कर लेता है, लेकिन तेज हवाओं के आने के कारण यह ठंड सामान्य न रहकर, हवा की गति के अनुसार तेजी से बढ़ती चली जाती है, जिसका असर वहां रह रहे जीव-जंतुओं, पेड़,पौधों, वस्तुओं, फसलो, संसाधनों मानव जीवन के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह ठंडी हवाएं जान और माल दोनों की हानि पहुंचाती है। पहाड़ी मौसम के साथ साथ मैदानी क्षेत्रों में भी ठंड के मौसम में चलने वाली इन तेवर हवाओं का जनजीवन पर बहुत घातक प्रभाव होता है।

ठंडी हवाओं का आर्थिक दुष्प्रभाव-         

सर्दी के मौसम में चलने वाली इन तेज हवाओं का दुष्प्रभाव हमें आर्थिक नुकसान पहुंचाता है इन हवाओं के चलते काम धंधे ठप हो जाते हैं, लोगों की व्यापारिक गतिविधियों में कमी आती है हमारे पशु पक्षी,  फसल एवं उद्योग धंधों पर इनका बहुत नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है क्योंकि इन ठंडी और तेज हवाओं के चलते सबसे पहले प्राथमिकता जीवन को बचाने के लिए होती है।

* कृषि के लिए नुकसान देह –         
वैसे तो सर्दी का मौसम हमारी रवि की फसलों के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है लेकिन जब इस मौसम में शरद तेज गति से चलने वाली हवाएं अपना प्रकोप दिखाती हैं तो यह हमारी उस फसलों को तहस-नहस कर देती है।  ठंडी एवं तेज हवाओं के चलते आलू धनिया सब्जी की अन्य फसलों में परजीवी ओ का खतरा मंडराने लगता है जो हमारी फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं इन तेज हवाओं के चलते हमारी फसलें बर्बाद हो जाती हैं।

* स्वास्थ्य संबंधित हानियां-       
सर्दी के इस विशेष मौसम में जब तेज हवाएं चलती हैं, तो इसका असर सीधा हमारे स्वास्थ्य के ऊपर पड़ता है, इन हवाओं के चलने से मानव शरीर को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, विशेष तौर पर बीमार लोगों के लिए यह हवाएं बहुत ही घातक और जानलेवा होती हैं, क्योंकि इन हवाओं में खुश्की बढ़ जाती है, और ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है के कारण अनेक बीमारियों से ग्रसित लोगों को जान और माल का बहुत नुकसान होता है।

* बुढ़ापा और तेज हवाएं-         
बुढ़ापा उम्र का वह पड़ाव है, जिस पड़ाव में व्यक्ति को बहुत सारी बीमारियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि इस उम्र में प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है, और शारीरिक क्षमता भी शरीर के सभी अंग अपना काम पूरी तरह से नहीं कर पाते ऐसे में सर्दी का मौसम वृद्ध लोगों के लिए बहुत ही परेशानियों का सबब बनता है, लेकिन यह परेशानियां तब और अधिक घातक हो जाती हैं, जब सर्दी के मौसम में तेज हवाएं चलती हैं,

यह तेज हवाएं बुरे इंसानों के लिए साक्षात यम के दूत का रूप होती हैं, क्योंकि बुढ़ापे की सभी परेशानियां इन तेज हवाओं के आने की वजह से दिन दुगुनी और रात चौगुनी बढ़ जाती है, आंकड़े बताते हैंवृद्धों की सबसे अधिक मौत का कारण यह ठंडी और तेज हवाएं ही होती हैं, इसलिए आवश्यक है कि इन तेज हवाओं के चलते हमें अपने और अपने आसपास रहने वाले सभी वृद्धों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

* नवजात शिशु और तेज हवाएं-           
वृद्ध व्यक्तियों की तरह ही नवजात शिशुओं 1 दिन से 3 साल तक के बच्चों के लिए सर्दी के मौसम में चलने वाली इन तेज एवं शुष्क हवाओं का प्रहार सबसे घातक होता है क्योंकि नवजात बच्चे की ना तो अपनी खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है ना ही वह खुद अपने देखभाल कर सकता है वह पूर्णता दूसरों के ऊपर आश्रित होता है ऐसी स्थिति में यह तेज एवं शुष्क हवाएं नवजात शिशुओं के लिए बहुत ही निर्दई एवं घातक साबित होती हैं इन तेज हवाओं के चलते सर्दी के इस मौसम में बहुत से नवजात शिशु इन शीत लहरों की भेंट चढ़ जाते हैं।

* पशुओं एवं जानवरों के लिए-       
सर्दी के मौसम में चलने वाली यह तेज एवं शुष्क हवाए पशु एवं पक्षियों पर बहुत नकारात्मक एवं घातक प्रभाव डालती हैं क्योंकि इन पशु पक्षियों का अपना कोई मनुष्यों की तरह घर नहीं होता यह इधर-उधर छुपते फिरते हैं जिसके कारण  इन्हें सर्द हवाओं में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जंगल में रहने वाले जानवरों के साथ साथ जो जानवर हमारे घर पर रहते हैं उनके लिए भी यह मौसम बहुत ही प्रतिकूल होता है क्योंकि इस मौसम में जानवर बहुत बीमार पड़ते हैं और उनकी मृत्यु दर भी दूसरे सभी मौसमों की अपेक्षा काफी बढ़ जाती है विशेष तौर पर बड़ी उम्र के जानवर एवं उनके बच्चे इन हवाओं की भेंट चढ़ जाते हैं।

तेज हवाओं के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सावधानियां

वैसे तो नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों में बसे निःसहाय, आवासहीन, गरीब, वृद्ध एवं स्कूल जाने वाले विद्यार्थी इत्यादि के ठंड से प्रभावित होने की संभावना है। राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा शीतलहर से बचने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाती है। लेकिन तेज हवाओं के दुष्प्रभाव से बचने के लिए हमें खुद भी बहुत सावधान रहने की आवश्यकता होती है,

हमें उन सभी उपायों को करना चाहिए जो हमें इन ठंडी हवाओ से पूर्ण रूप से सुरक्षित रख सके और हमारे जान, माल, पशु,पक्षीआदि की सुरक्षा निश्चित कर सकें, आइए देखते हैं कि इन हवाओं के चलते हम खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्या क्या सावधानियां अपना सकते हैं।

* गर्म एवं ऊनी कपड़े-     
इन हवाओं के प्रकोप से बचने के लिए हमें गर्म एवं ऊनी कपड़ों की आवश्यकता होती है जिनके इस्तेमाल से हम सर्दी एवं सर्दी में चलने वाली ठंडी हवाओं से खुद को बचा सकते हैं, खुद को बचाने के साथ-साथ हमारे नैतिक जिम्मेदारी यह भी है यदि हमारे आस पास कोई ऐसा व्यक्ति है जिसके पास सर्दी से बचने के लिए इन गर्म एवं उन कपड़ों का अभाव है उनके लिए भी हम कपड़ों की व्यवस्था करें।

* रहन-सहन की उचित व्यवस्था-     
सर्दी के इस मौसम में रहन-सहन की व्यवस्था का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है क्योंकि रात को सोते समय इन तेज हवाओं का असर अधिक होता है जिन से बचने के लिए हमें ऐसी जगह की आवश्यकता होती है जहां पर सिन्हा उसे बचा जा सके हम इस बात को हमेशा ध्यान रखें कि हमारे ओढ़ने और बिछोने वाले कपड़े गर्म और ऐसे होने चाहिए जो हमें सर्दी से बचा सके।

5 साल से कम और 60  साल से अधिक वाले व्यक्तियों के लिए विशेष-             

शीत लहर क्या होती है, और इससे बचने के घरेलु उपाय

इस मौसम में दीर्घकालीन बीमारियों जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्ध, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि को बहुत अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। इस विशेष समूह को सुरक्षित रखने के लिए जन-सामान्य को भी सलाह दी जाती है कि पर्याप्त गर्म कपड़े पहनना बहुत ही आवश्यक है,

और जहां तक संभव हो घर पर ही रहें, नियमित रूप से गर्म पानी या काढ़ा पीते रहें। कुछ लक्षण जैसे शरीर का तापमान सामान्य से कम होने, अधिक बढ़ने और न रूकने वाली कंपकंपी, याददाश्त का अस्थिर हो जाना या चले जाना, बेहोशी या मूर्छा की अवस्था का होना, जबान का लड़खड़ाना आदि लक्षण दिखाई देने पर बिना किसी विलंब के चिकित्सक की सलाह की आवश्यकता है।

*गर्म पानी-       
ठंडी हवाओं के चलते सर्दी के मौसम में बार-बार गर्म पानी पीते रहना हमें शीतलहर एवं सर्दी दोनों ही के प्रकोप से बचाता है ज्यादातर इस मौसम में लोग चाय या कॉफी बहुत अधिक पीते हैं जो भविष्य में हमारे स्वास्थ्य के लिए कई परेशानियां खड़ी कर देती हैं, चाय या कॉफी के स्थान पर गर्म पानी पीना सबसे उचित है क्योंकि गर्म पानी पीने से शरीर में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता इसके उलट शरीर में बहुत सारे फायदे होते हैं, प्रत्येक इंसान को चाहिए कि सर्दी से बचाव के लिए उसको बार-बार गर्म पानी चुपके लेकर पीते रहना चाहिए।

* खाने का रखें विशेष ध्यान –       
सर्दी के मौसम में चल रही तेज हवाओं के समय हमें अपने खाने का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए ध्यान रखना चाहिए कि इस मौसम में भूल कर भी ठंडे पदार्थों का सेवन ना करें क्योंकि ठंडे पदार्थों का सेवन हमारे पाचन क्रिया को प्रभावित करता है जिसके कारण हमारे पेट में खाया पिया पचने में परेशानी हो जाती है हमें भोजन में हरी मिर्च की अपेक्षा यदि काली मिर्च का इस्तेमाल करे तो अधिक लाभदायक होगा।

ठंडी हवाओं से बचने के लिए घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार-

ठंडी हवाओं से बचने के लिए घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपचार-

*आइए जाने शीत लहर से बचने के लिए अपनाए जाने वाले कुछ घरेलू एवं आयुर्वेदिक प्रयोगों के बारे में जिन्हें हम अपने घर पर ही खुद बनाकर एवं इस्तेमाल करके सर्दी हो एवं इस मौसम में चलने वाली सर्द हवाओ से खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं

* चाय का मसाला-         
(जावित्री, दालचीनी, लॉन्ग और बड़ी इलायची) इन सब को बराबर मात्रा में लें और कूटकर एक डब्बे में भरकर रख लें चाय बनाते समय जितनी मात्रा चाय पत्ती की ले रहे हैं उतनी ही मात्रा इस मसाले की भी चाय में डालें, यह नुस्खा शीत लहर के प्रकोप से बचाव करने के लिए बहुत ही कारगर होता है।

* तेजपात और लॉन्ग-       
सर्दी के मौसम में जब भी खाना बनाएं सब्जी में तेजपात और लॉन्ग का इस्तेमाल बेहद ही जरूरी है सर्दी के मौसम में चलने वाली तेज हवाओं से बचने के लिए तेजपात और लॉन्ग हमें पूर्ण सुरक्षा प्रदान करती है क्योंकि यह भोजन की बादी को दूर करके भोजन का तासीर परिवर्तित कर देती है जो इस मौसम में सभी के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है।

* अजवाइन-       
सर्दी के इस मौसम में खुद को ठंडी हवाओं के प्रकोप से बचाने के लिए हमारे खाने में अजवाइन का प्रयोग नितांत आवश्यक होता है क्योंकि अजवाइन में वह कौन होते हैं जो हमारे पित्त को उछलते हैं जिसके कारण शरीर की पाचन शक्ति मैं वृद्धि होती है भोजन पाचन न होने के कारण हमें मल संबंधित परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता एवं कब्ज की शिकायत भी दूर होती है।

* गर्म पानी-       
गर्म पानी हमारे शरीर के लिए अमृत का काम करता है खाना खाते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखें के खाने के बीच में केवल एक कप गर्म पानी का इस्तेमाल जरूर करें यह हमारे भोजन को छोटे-छोटे कणों में विभाजित कर पाचन तंत्रिका का सहायक सिद्ध होता है, सर्दी के इस मौसम में जब ठंडी हवाओं का प्रकोप अपने चरम पर होता है उस समय बार-बार यदि हम गर्म पानी का इस्तेमाल करते हैं तो यह हमारे लिए बहुत ही लाभकारी साबित होता है।

* गुड और अजवाइन-         
100 ग्राम गुड़ में एक चम्मच अजवाइन मिलाकर आज पर धीमे-धीमे गर्म करें एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय सेवन करने से शीत लहर के प्रभाव को पूरी तरह निष्क्रिय कर देता है यह प्रयोग बच्चे बूढ़े जवान सभी कर सकते हैं। विशेष :- गर्भवती महिला को इस प्रयोग की सलाह नहीं दी जाती।

* बादाम –       
जिस वक्त सर्दी अधिक लग रही हो उस वक्त 4 बादाम सूखे गुड़ के साथ चबाकर खाने से सर्दी का प्रभाव कुछ ही मिनटों में पूरी तरह समाप्त हो जाता है, गंभीर सर्दी के समय बादाम की गिरी हमें बच्चों और वृद्धों की जेब में डाल कर छोड़ देनी चाहिए जब उनका मन करें तब इसका इस्तेमाल करें यह सर्दी से बचने के लिए बहुत कारगर उपाय है।

* पीपली-       
पीपली का इस्तेमाल सर्दी के मौसम में बच्चे बूढ़े और जवान सभी के लिए बहुत लाभप्रद होता है दूध में पीपली को उबालकर पीने से सर्दी एवं ठंडी हवाओ से होने वाले शारीरिक नुकसान इस बार की पूर्ति करता है, पीपली का इस्तेमाल गर्भवती महिला के लिए भी नुकसानदायक नहीं होता।

* त्रिफला-       
सर्दी के मौसम में त्रिफला का चूर्ण रात को सोते समय गर्म दूध या गर्म पानी के साथ नियमित रूप से करना चाहिए यह सर्दी को दूर करने के साथ-साथ पेट में शीत लहर के कारण हो रही कब्ज की समस्या को भी दूर करता है।

* तुलसी-       
इस मौसम में जब बहुत अधिक सर्दी के साथ-साथ ठंडी हवाएं भी अपनी चरम पर है उस समय एक नुस्खा जरूर आजमाएं 20 तुलसी के पत्ते गिलास दूध में उबालकर इस दूध को गुड़ के साथ सेवन करें तेज सर्द हवाओं की वजह से अस्थिर स्वास्थ्य को स्थिर करने में तुलसी बहुत अहम भूमिका निभाती है।

* अजवाइन का पानी-       
एक चम्मच अजवाइन एक गिलास पानी में डालकर धीमी आंच पर उबलने इसमें स्वादानुसार गुड भी डाल ले सुबह शाम नियमित रूप से अजवाइन का यह काढ़ा सेवन करने से शीत लहर के प्रकोप को कुछ ही मिनटों में जड़ से समाप्त कर देता है।

* मकई एवं बाजरा-         
इस मौसम में गेहूं की बनी रोटियां खाने की अपेक्षा यदि मकई और बाजरे की रोटी ओ का सेवन किया जाए तो यह बहुत लाभकारी होता है क्योंकि मक्की और बाजरे का तासीर गर्म होने के कारण यह शरीर में बादी, गैस जैसी समस्याओं को नहीं होने देती एवं शरीर को स्वस्थ रखने में काफी मददगार साबित होते हैं।

* कपालभाति प्राणायाम-       
हमेशा ध्यान रखें सर्दी के इस मौसम में सुबह शाम कम से कम 15 मिनट प्रतिदिन कपालभाति प्राणायाम नियमित रूप से करें क्योंकि कपालभाति प्राणायाम इस मौसम में होने वाला मोटापा और चर्बी के जमावड़े को खत्म करता है इसके साथ साथ आपका एनर्जी लेवल भी ग्रोथ करता है जिससे आपको सर्दी एवं सर्द हवाओं से बचने में काफी मदद मिलती है।