भगन्दर के आयुर्वेदिक इलाज, बिना किसी डॉक्टर की सहायता के इलाज, खुद बनो खुद के डॉक्टर बिना शर्म के, और एक दम quick इलाज,

भगन्दर के आयुर्वेदिक इलाज

भगन्दर के आयुर्वेदिक इलाज, किर्पिया पूरा पढ़ें

भगन्दर के आयुर्वेदिक इलाज के साथ जाने यह क्या है,भगंदर एक बहुत ही खतरनाक,  दर्दनाक और जानलेवा बीमारी है, जब यह बीमारी किसी को होती है, तो व्यक्ति शर्म के कारण यह किसी को नहीं बता पाता कि मुझे बंदर जैसी कोई बीमारी हो गई है, जीजा और शर्मिला पन इस बीमारी को काफी हद तक बढ़ावा भी देता है, यदि समय रहते इंसान इसके बारे में डॉक्टर और अपने परिवार वालों से सलाह मशवरा करें तो इस बीमारी का आसानी से शुरुआत में ही पूर्णता इलाज हो सकता है, लेकिन व्यक्ति शर्म के कारण ऐसा करता ही नहीं है, और यह भी मारे दिन पर दिन बढ़ती चली जाती है,  

इस रोग के तहत मलद्वार के आसपास फेरिया फोड़े बन जाते हैं जो बहुत ही दर्दनाक होते हैं, शुरुआती स्थिति में यदि इसका प्रॉपर ट्रीटमेंट ना कराया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है पेट में गैस या पेट में इन्फेक्शन हो जाने के कारण अक्सर यह रोग हो जाया करता है, कुछ लोग बवासीर और भगंदर को एक ही बीमारी मानते हैं लेकिन ऐसा नहीं है, फिस्टुला बवासीर से कहीं ज्यादा घातक होता है, बवासीर को आसानी से ठीक किया जा सकता है जबकि फिस्टुला के इलाज में काफी पैसा भी खर्च होता है, बहुत शारीरिक और मानसिक दर्द भी सहना पड़ता है।  

हमारे शरीर में किसी भी तरह की कोई भी प्रॉब्लम होने पर हमारे शरीर के विभिन्न अंग इसकी सूचना हमें देने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमारी अधिक व्यस्तता होने के कारण हम उन लक्षणों पर अधिक ध्यान नहीं देते जिसके कारण जिस बीमारी को बहुत आसानी से ठीक किया जा सकता है, यह बीमारी धीरे-धीरे एक भयंकर और विकराल रूप धारण कर लेती है, जो हमें मानसिक शारीरिक और आर्थिक रूप से काफी कमजोर बना देती है, उन्हीं बीमारी में से फिस्टुला भी एक बीमारी है। 

और यह बात करते हैं, फिस्टुला( भगन्दर ) के लक्षणों के बारे में।

* पेट में दर्द के साथ सूजन का रहना इसका एक प्रमुख लक्षण है। 

* बार-बार कब्ज का होना भी फिस्टुला का संकेत देता है। 

* हर समय थकान महसूस होते रहना, ज्यादातर ठंड वाला बुखार आना

* मलद्वार के आसपास जलन खुजली या फुंसियों का हो जाना। 

* सफाई के बाद भी आने से बदबू आना, तथा एन एस के आसपास हलचल सी महसूस होना। 

* मल त्याग करते समय दर्द होना, खून आना, मलद्वार के आसपास चींटी जैसा काटे जाने की जलन। 

 * मलद्वार के आसपास  बार-बार फोड़े फुंसियां निकलते रहना। 

* गुदा के अंदर या बाहर फोड़े हो जाना। 

*फिस्टुला या भगंदर होने के कारण* हमारे दैनिक दिनचर्या, हमारा खान-पान, अपने स्वास्थ्य का ध्यान न देना, अपने शरीर में होने वाली गतिविधियों को अनदेखा करना, ऐसे बहुत से कारण हैं जो हमें अस्वस्थ बनाने में बड़ा योगदान देते हैं।  

आइए जान लेते हैं फिस्टुला या भगंदर होने के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं। 

* बड़ी आत का संक्रमण फिस्टुला का सबसे मुख्य कारण है। 

* मलद्वार के आसपास फोड़े फुंसी या मस्से जिन काम सही समय पर उचित उपचार नहीं करते जो आगे जाकर फिस्टुला का मुख्य कारण बन जाते हैं। 

* मलद्वार के आसपास की सर्जरी होना भी भगंदर होने के खतरे को जन्म देता है। 

* मलद्वार में या मलद्वार के आसपास चोट का लग जाना भी के प्रमुख कारणों में से एक है। 

* एचआईवी एड्स जैसी गंभीर बीमारियां जिनके कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का खो जाना भगंदर जैसी बीमारियों को जन्म देता है। 

* मलद्वार के रास्ते सेक्स करना फिस्टुला का कारण बनता है। 

* रेडिएशन थेरेपी के साइड इफेक्ट भी इस इंफेक्शन के होने के लिए अपना अहम योगदान देते हैं। 
उपरोक्त भगंदर होने के कारणों को यदि हम गंभीरता से लें तो सही समय पर उचित उपचार करके इस बीमारी को बढ़ने से एवं गंभीर या लाइलाज होने से बचा सकते हैं, हमारी सूझबूझ एवं सतर्कता हमारे जीवन को सुखी एवं खुशहाल बनाने के लिए बहुत आवश्यक है, 

भगंदर/फिस्टुला का आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

आइए जानते हैं कि हम किस प्रकार आयुर्वेद के द्वारा एवं अपने घर में अस्तित्व घरेलू चीजों एवं औषधियों द्वारा फिस्टुला का इलाज एवं उपचार कैसे करें। 

1-मूली :- 
एक कप मूली का रस प्रतिदिन खाना खाने के 5 मिनट बाद में नियमित रूप से पीने पर फिस्टुला को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। 

2- मुनक्का :-
100 ग्राम मुनक्का को रात में गुनगुने पानी में भिगो दें, सुबह इसके बीज निकाल कर फेंक दे, तथा मुनक्का को चबाकर खा जाएं, बचे हुए पानी को पी जाएं, यह आसान प्रयोग मात्र 1 महीने करने पर ही भगंदर में चमत्कारिक आराम मिलता है। 

3- इसबगोल :-    
इसबगोल का किसी भी रूप में तथा किसी भी समय पर प्रयोग हमारे शरीर के कब्ज की शिकायत को दूर करता है, तथा भगंदर के द्वारा मलद्वार में होने वाले दर्द को समाप्त करता है। 

4- अंगूर का रस :-
एक कप ताजे अंगूर का रस नियमित रूप से सुबह खाली पेट पीने पर, बवासीर एवं भगंदर जैसे रोगों को ठीक करता है। 

5- अजवाइन और गुड़ :- 
अजवाइन और गुड़ को बराबर मात्रा में लेकर लड्डू बना कर रख ले, रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ एक छोटा लड्डू नियमित रूप से खाने पर बवासीर,  फिशर,  भगंदर के रोगों में आदर्श औषधि का काम करता है। 

6- काला तिल :- 
काले तिल का पाउडर बनाकर रख लीजिए, एक चम्मच काला तिल रात को सोते समय गर्म दूध के साथ ले, बवासीर फिशर और भगंदर के रोगियों के लिए यह औषधि रामबाण औषधि है। 

7- केला :- 
वैसे तो केला एक कब्ज कारी फल होता है लेकिन यदि पके हुए केले को बीच से लंबा चीर कर इसमें भुनी हुई फिटकरी का एक चुटकी पाउडर मिलाकर प्रतिदिन सुबह के समय खाली पेट खाया जाए तो यह भगंदर के रोगियों के लिए आदर्श औषधि का काम करता है। 

8- गोमूत्र :- 
आयुर्वेद में गोमूत्र को मृत संजीवनी का दर्जा हासिल है क्योंकि शरीर में 50 से ज्यादा लोगों को गोमूत्र के प्रयोग द्वारा जड़ से खत्म किया जा सकता है,  फिस्टुला या भगंदर के रोगी यदि एक कप ताजा गोमूत्र प्रत्येक सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिए तो 3 से 4 महीने में ही भगंदर रोग को जड़ से खत्म कर देने की शक्ति गोमूत्र में है। 

9- महुआ का तेल :- 
भगंदर की सर्जरी के बाद पेट में कब्ज न बने इस बात का विशेष ध्यान रखें, यदि रोगी को कब्ज की शिकायत बन रही है तो ऐसी स्थिति में रोगी को दूध के साथ एक चम्मच महुआ का तेल लाभकारी सिद्ध होता है। 

10- मूलबंध :- 
भगंदर के रोगियों के लिए मूलबंध का अपना महत्व है, नियमित रूप से सुबह फ्रेश होने के बाद 5 मिनट मूलबंध जरूर लगाना चाहिए।  नियमित रूप से योगासन एवं प्राणायाम करना हमारे शरीर को स्वस्थ और दीर्घायु बनाता है, यदि हम नियमित रूप से योगासन और प्राणायाम करते हैं तो बिना किसी दवाई इलाज के ही अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं।