बलगम वाली खांसी को ठीक करने के कुछ उपाय, जो की बिलकुल नेचुरल है, आपके शरीर को कोई हानि नहीं पहुँचाएगे,

बलगम वाली खांसी क्या है, और इसके होने के कारण क्या है,
बलगम वाली खासी के बारे में छोटी सी जानकारी, बच्चे,बूढ़े,जवान,महिला और पुरुष हंसी एक ऐसा संक्रमण है जो किसी को भी हो सकता है, मौसम में जरा सी भी तब्दीली होने पर यह इंफेक्शन फैल सकता है, सर्दी,गर्मी और बरसात कोई भी मौसम हो कोई भी रितु हो खांसी का संक्रमण गले या फेफड़ों मैं विकार की वजह से अधिक फैलता है, यह धूप, धुआ, धूल, तेज गंध या दुर्गंध से भी चल सकता है। खांसी के साथ-साथ गले में दर्द भी हो सकता है, कभी-कभी गले के टॉन्सिल भी बड़े हो जाते हैं, फेफड़ों में भी दर्द हो सकता है, फेफड़ों में सूजन आ सकती है, या फेफड़े सिकुड़ सकते हैं।
बलगम वाली खांसी की शुरुआत अधिकतर गले में खराश होने की वजह से होती है, खाँसी होना हमारे शरीर की एक रक्षात्मक प्रणाली है जो वायु मार्ग से धूल, धुएँ या बलगम को साफ करने के लिए होती है। इन कारकों से गले में परेशानी होती है और खाँसी के प्रकार के रूप में शरीर इनको बाहर निकालता है। बलगम वाली खांसी यदि 2 हफ्ते से ज्यादा रह जाए तो यह खांसी व्यक्ति को T.B. नामक बीमारी से भी संक्रमित कर सकती है।
बलगम वाली खांसी का सिद्धांत-
हमारे शरीर में जब तक वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है, तब तक हमारे शरीर में किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं हो सकती लेकिन जब यह संतुलन बिगड़ जाता है, तो हमारे शरीर के आंतरिक अंग इस संतुलन को बनाए रखने के चक्कर में अपने मूल कामों से विचलित हो जाते हैं, और शरीर में कई प्रकार की व्याधियों उत्पन्न होने लगती है, उन्हीं में से एक व्याधि का नाम खासी है, वैसे तो खासी दो प्रकार की होती है,
एक सूखी खांसी और दूसरी बलगम वाली खांसी हम यहां पर बलगम वाली खांसी के विषय में बात करेंगे, खांसी जो कफ दोष के कारण होती है, जब व्यक्ति के शरीर का कफ़ असंतुलित हो जाता है, कफ का यह असंतुलन खांसी का कारण बन जाता हैं। आयुर्वेद में खाँसी को कास कहा गया है। कास मुख्यतः कफ दोष के कारण होता है। खाँसी को आयुर्वेदीय उपचार (Home Remedy for Cough) से ठीक किया जा सकता है,
लेकिन इसके साथ उचित खान-पान के साथ-साथ परहेज करना भी बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर खांसी रोग ठीक होने की अपेक्षा अधिक तीव्रता से बढ़ता चला जाता है। बलगम वाली खांसी में हमारे फेफड़ों एवं गले में बलगम का जमाव होना शुरू हो जाता है, जिसके कारण हमारा स्वसन तंत्र काफी प्रभावित होता है, यदि समय रहते इसका उचित उपचार न किया जाए तो यह भविष्य में बहुत बड़ी परेशानी दे सकती है।
बलगम वाली खांसी के लक्षण-

वैसे तो खांसी के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे हैं जिनके बारे में सभी को जानकारी नहीं होती उनके बारे में जानकारी कोई वैद्य, हकीम या डॉक्टर ही दे सकता है,आइए जानते हैं खांसी के उन लक्षणों के बारे में भी जिन्हें हम अनदेखा कर देते हैं, और समय बीतने पर हमें बहुत ही गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन यदि समय रहते हम लक्षणों के बारे में ध्यान रखें तो हम भविष्य में होने वाली कई गंभीर परेशानियों से अपने आप को बचा सकते हैं, आइए बात करते हैं, खांसी के लक्षणों के विषय में।
* नाक से पानी आना-
जब किसी व्यक्ति को लगातार नाक से पानी आ रहा हो और इसके साथ साथ गले में भी काफी खरास महसूस हो रही हो तो यह लक्षण सामान्य न होकर खांसी होने का संदेश हो सकता है। वैसे तो अक्सर जुकाम में भी नाक से पानी आता है लेकिन यह 2 से 3 दिन में बिल्कुल ठीक भी हो जाता है, परंतु यदि नाक से बहने वाला यह पानी कम नहीं हो रहा है और गले में भी खराश है तो हमें सावधान हो जाने की जरूरत है।
* बुखार-
जब किसी व्यक्ति को बुखार आया हुआ हो और यह बुखार 15 दिन से अधिक रह जाए तथा बुखार के बाद या बुखार आते समय सीने में दर्द और जकड़न रहती हो तो यह हमारे फेफड़ों का संक्रमण भी हो सकता है जिसके कारण बलगम वाली खांसी का हो जाना कोई बड़ी बात नहीं होती ।
* साइनस में दर्द का होना-
नाक के ऊपर अंदर की तरफ जब दर्द महसूस होता हो एवं ऐसा लगता हो जैसे हमारे नाक में ऊपर की ओर कुछ जमाव हो रहा है, और कोशिशों के बावजूद भी हम खरास करके भी इससे छुटकारा पाने में असमर्थ हो, धीरे धीरे यह परेशानी नाक से होकर 3 से 4 दिनों में गले तक पहुंच जाती है इसके बाद हमें धीरे-धीरे, कभी-कभीखांसी महसूस होने लगती है, क्योंकि नाक से यह इंफेक्शन गले से होता हुआ फेफड़ों तक पहुंच जाता है, और फेफड़ों में बलगम इकट्ठा होने लगती है, जिसके कारण सांस लेने में भी परेशानी होने लगती है, और फिर बलगम के साथ आने वाली खासी अपना रंग दिखाने लगती है।
* छाती और गले में दर्द का होना-
हवा लगने की वजह से या ठंड लगने की वजह से जब हमारे सीने और गले में दर्द रहता हो तथा बैठे-बैठे पसीना आ जाता हो तो संभव है यह खांसी होने का एक प्रबल लक्षण है।
* बलगम निकलना-
जब हंसते हुए या थूकते हुए मुंह से बलगम आने लगे और गले में भारीपन भी रहने लगे तो समझने में यह देर नहीं करनी चाहिए कि व्यक्ति को बलगम वाली खांसी के लक्षण आ रहे हैं।
* खाँसते संजय उल्टी की इच्छा होना-
खाते समय उल्टी की इच्छा होना या उल्टी हो जाना बलगम वाली खांसी का संकेत है।
* साँस लेने में घरघराहट की आवाज-
सांस लेते समय जब व्यक्ति को घर-घर आर्ट की आवाज महसूस होने लगे, और सीने में दर्द भी महसूस होने लगे, तो यह सीने में बलगम जमने की वजह से हो रहा है जो बलगम वाली खांसी का विशेष लक्षण है।
* खाँसते हुए कफ का निकल जाना –
जब हल्की सी खासी होने पर भी उस खांसी के साथ बलगम आने लग जाए, तो हमें समझ जाना चाहिए कि उक्त व्यक्ति को बलगम वाली खांसी का संक्रमण हो चुका है।
* सीने में जकड़ाहट और दर्द –
खांसी के समय जब सीने में जकड़न और दर्द अधिक महसूस होने लगे तो हमें सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि सीने में जकड़न और दर्द सीने में बलगम के जमाने का संकेत हैं ।
* बलगम वाली खांसी होने के कारण-
बलगम वाली खांसी होने के बहुत सारे कारण हैं, जब तक हमें इन कारणों का पता नहीं लगता तब तक हम खांसी के उपचार में सफल नहीं होंगे, आइए पता करते हैं, उन कारणों का जिनकी वजह से बलगम वाली खांसी होती है। क्योंकि यदि हमें उन कारणों के बारे में सही जानकारी होगी जिन कारणों की वजह से सीने में बलगम जमकर हमें बलगम वाली खांसी होती है, तो हम समय रहते सावधानियां बरतकर इसके होने के खतरे को कम कर सकते हैं।
बलगम वाली खांसी होने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
* वायरल संक्रमण –
फेफड़ों में वायरल का संक्रमण हो जाने के कारण फेफड़ों के छिद्र भर जाते हैं, जिनके कारण फेफड़ों को स्पंज करने में परेशानी होने लगती है, और इनकी स्पंज करने की क्षमता कम हो जाती है, इसका परिणाम यह होता है, कि वायरल के संक्रमण से फेफड़ों में बलगम इकट्ठे होने लगती है, इस बलगम को बाहर निकालने के लिए शरीर का आंतरिक सिस्टम खांसी उत्पन्न करता है, ताकि इस बलगम रुपए गंदगी को शरीर से बाहर निकाला जाए, ज्यादातरहमारा आंतरिक सिस्टम इसमें कामयाब भी हो जाता है, लेकिन कभी-कभी संक्रमण इतना अधिक होता है, कि हमारे शरीर की अंदरूनी प्रतिरोधक क्षमता इसका मुकाबला नहीं कर पाती, जिसके कारण हमें खांसी बहुत अधिक बढ़ जाती है, और यह हमारे लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन जाती है।
* सर्दी या फ्लू –
अक्सर सर्दी के चलते छोटे बच्चों और वृद्धों को अक्सर यह परेशानी हो जाया करती है, जिसके कारण सर्दी के मौसम में बलगम वाली खांसी होने के आसार सामान्य की अपेक्षा अधिक होते हैं।
* प्रदूषण और धूल-मिट्टी –
बलगम वाली खांसी होने का प्रमुख कारण प्रदूषण और धूल मिट्टी भी है, क्योंकि प्रदूषण और धूल मिट्टी के चलते हवा में तैर रहे विषाणु सांस के जरिए हमारे गले और फेफड़े तक पहुंच जाते हैं, और वहां पहुंचकर यह अपना संक्रमण शुरू कर देते हैं, और देखते ही देखते कुछ ही दिनों में यह केवल एक संक्रमण ने रहकर किसी बड़ी बीमारी का रूप भी ले सकता है।
अधिक धूम्रपान करने के कारण-
धूम्रपान करना भी इस प्रकार की खासी होने की एक बहुत बड़ी वजह है, क्योंकि धूम्रपान हमारे गले के साथ-साथ हमारे फेफड़ों को भी संक्रमित करता है, फेफड़ों में संक्रमण होने के बाद फेफड़े अपना काम पूरी तरह से नहीं कर पाते और शरीर में बलगम जमने के कारण हमें बलगम वाली खांसी हो जाती है।
*टीबी या दमा रोग होने के कारण-
टीवी या दमा रोग अधिकतर गले और फेफड़ों में जम रहे बलगम के कारण ही होता है, क्योंकि जब फेफड़ों के आसपास और गले में बलगम जम जाता है, तो हमारे फेफड़ों को स्पंदन करने में परेशानी होती है, और यह बलगम बाहर नहीं निकाल पाता जिसके कारण खांसी जो हमारी बलगम को निकालने के लिए प्राथमिक क्रिया है, जिसे शरीर अपने आप नहीं कर पाता यह बलगम वाली खांसी का रूप ले लेती है।
बलगम वाली खांसी के आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

आयुर्वेद में बलगम वाली खांसी को समाप्त करने के लिए बहुत सी औषधियां उपलब्ध है, जो इसके ऊपर शत प्रतिशत कारगर हैं, इसके साथ साथ हमारे घर में हमारे रसोई के अंदर भी बहुत सी ऐसी औषधियां उपस्थित होती हैं, जिनका हम संतुलित मात्रा में उपयोग करके इस रोग को जड़ से खत्म कर सकते हैं, उसके लिए आवश्यकता होती हमें सही जानकारी की, सही मार्गदर्शन की तो आइए आज बात करते हैं, हमारे घर के अंदर हमारे रसोई में और हमारे आसपास उपस्थित उन औषधियों के बारे में जो हमें बलगम वाली खांसी से छुटकारा दिलाने में बहुत ही कारगर हैं।
* गोमूत्र-
कफ वाली खांसी के लिए गोमूत्र एक विशेष औषधि है, यदि हम नियमित रूप से सुबह के समय खाली पेट आधा कप गोमूत्र का सेवन करते हैं, तो मात्र 3 से 5 दिन के अंदर बलगम वाली खांसी पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
*पीपली –
एक पीपली का पाउडर बनाकर, एक गिलास दूध में धीमी आंच पर उबाल ले इस दूध में उबलते समय 8 से 10 मुनक्का भी डालें रात को सोते समय इसका सेवन करें, कितनी भी बलगम वाली अधिक से अधिक खांसी क्यों ना हो 3 से 5 दिन के अंदर अंदर जड़ से खत्म हो जाती है, तथा फेफड़ों और गले में जमा हुआ बलगम भी साफ हो जाता है।
* कच्ची हल्दी और अदरक –
कच्ची हल्दी और अदरक 10-10 ग्राम बराबर मात्रा में लें, इसे अच्छी तरह कोटकर 100 ग्राम गुड़ में धीमी आंच पर पका लें रात को सोते समय गर्म पानी या गर्म दूध के साथ सेवन करें कुछ ही समय में सीने की बलगम को शरीर से बाहर निकाल देता है, और कफ को नियंत्रित कर आपको स्वस्थ करता है।
* फिटकरी-
फिटकरी को तवे पर भून लें बोलते समय यह फिटकरी पहले तरल रूप लेगी फ्री है, पाउडर फॉर्म में आ जाएगी फिटकरी के इस पाउडर को एक शीशी में भरकर रख लें, सुबह नींद से जागने के बाद और रात को सोने से पहले एक चुटकी आधा गिलास पानी में डालकर गरारे करने से गले में जमी हुई बलगम दो ही दिन में पूरी तरह साफ हो जाती हैं।
* हल्दी पावडर –
एक चम्मच हल्दी पाउडर ले और इस हल्दी को सीधा गले के अंदर डाले और जितनी देर तक बैठ सकते हैं, उतनी देर तक ऐसे ही बैठे रहे, थोड़ी देर बाद गर्म पानी पी ले मात्र एक ही खुराक में आपकी बलगम वाली खांसी को बिल्कुल ठीक कर देगी, लेकिन यह प्रयोग नियमित रूप से 3 दिन तक करना है लगातार तीन दिन तक प्रयोग करने से परिणाम यह होगा कि सीने में जमी हुई सारी बलगम भी, थूक और मल के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाएंगी ।
* गुड-
100 ग्राम गुड के साथ एक चम्मच अजवाइन अच्छी तरह कूटकर मिला लीजिए इसमें से आधा सुबह और आधा रात को सोते समय दूध के साथ या गर्म पानी के साथ सेवन करें मात्र 3 दिन में कितनी भी पुरानी जमी हुई बलगम होगी पूरी तरह शरीर से बाहर निकल जाएगी और आपकी खांसी को पूर्ण दे ठीक कर देगी।
* काला बांसा-
काला बांसा के 20 पत्तो को कूटकर उन्हें 2 चम्मच शहद में मिलाकर एक चम्मच सुबह के समय और एक चम्मच रात को सोते समय सेवन करें मात्र दो ही दिन में कितनी भी पुरानी और कितनी भी खतरनाक खांसी हो जड़ से खत्म हो जाएंगी ।
* गिलोय-
गिलोय, काला बांसा और काला नमक (स्वादानुसार) धीमी आंच पर पानी में उबालें तथा सुबह और शाम दोनों समय लगातार पांच दिन तक आधा कप पीने से किसी भी प्रकार की खासी को जड़ से खत्म कर देता है।
बलगम वाली खांसी के बचाव में कुछ सावधानियां
*बर्फ या बर्फ से बने हुए पदार्थों का सेवन बिलकुल निषेध है।
* तेल एवं अन्य चिकनाई से बना भोजन जब तक खांसी है, तब तक प्रतिबंधित रखें।
* ठंडे पानी के प्रयोग से बचें।
* रात को सोते समय गले में कपड़ा लपेटकर सोए।
* अनानास छोड़कर सभी तरह के फल प्रतिबंधित है।
* चाइनीस एवं फास्ट फूड का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
* इस दौरान दूध में पीपल डालकर या चाय की पत्ती डालकर ही प्रयोग करें।
* सुबह शाम दोनों समय गुनगुने पानी से गरारे जरूर करनी चाहिए।
* यदि सीने में जकड़न और दर्द अधिक है तो सिकाई जरूर करें।
* पीड़ा के दौरान जवाब दवाइयों का प्रयोग कर रहे हैं, तो जरूरी हो जाता है, कि इसके साथ साथ परहेज का भी विशेष ध्यान रखें, क्योंकि जितना काम औषधि करती हैं, रोग को खत्म करने में उतना ही योगदान हमारे द्वारा किए गए परहेज का भी होता है।