कोरोना के बाद 2021 में होने वाले प्रभाव, के बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से बताया गया है, और कैसे आप इसके होने वाली हानि से बच सकते है, यह भी इसमें बताया गया है,

कोरोना के बाद होने वाले प्रभाव, अच्छे होंगे या बुरे,
कोरोना के बहुत से प्रभाव पड़े है, विश्व पर, आज पूरा विश्व कोरोना नामक भयंकर वायरस से लड़ रहा है, पूरे विश्व में कोरोना का संक्रमण बहुत तेजी से फैला, लेकिन अब धीरे-धीरे यह काबू में होता नजर आ रहा है, इसके लिए सबसे अधिक श्रेय जाता है भारत के आयुर्वेद दर्शन को, यदि भारत की आयुर्वेद पद्धति ना होती तो शायद कोरोना और अधिक तबाही मचाता, जिस करो 9 पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया भारत समेत विश्व के लगभग सभी देशों में करोड़ों लोगों को कुछ ही महीने में अपना ग्रास बना लिया, वही करो ना भारत में आने के बाद में जैसे अपना दम ही तोड़ गया, इसका श्रेय जाता है,
सारा, भारत की आयुर्वेद पद्धति को, और करोना के विरुद्ध की गई यहां पर सामूहिक जंग को, आज करो ना पूरे विश्व में समाप्त होने के कगार कगार पर पहुंच चुका है, इस बात में कोई दो राय नहीं है, कि आज करोना बहुत हद तक अपना प्रभाव हो चुका है एवं अपनी शक्ति को भी कम कर चुका है, लेकिन करो ना के कारण होने वाले बहुत से साइड इफेक्ट जो है वह धीरे धीरे कर सामने आने लगे हैं, कोरोनावायरस के चलते बहुत सारी गंभीर बीमारियां भारत समेत संपूर्ण विश्व को मिलने वाली है, जिन्हें हम अनदेखा नहीं कर सकते, क्योंकि यदि हम उन बीमारियों के बारे में, पूर्वाभास नहीं लगाते तो हम बहुत गंभीर समस्या में गिर सकते हैं,
कोरोना से लड़ने के लिए अपनाई जाने वाली अंधाधुन आयुर्वेद के नुस्खे, देसी, अंग्रेजी, यूनानी, तथा होम्योपैथिक दवाइयों का इस्तेमाल कहीं ना कहीं किसी न किसी रूप में हम लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित जरूर करेगा, यह आलेख उसी के ऊपर लिखा जा रहा है कि हम किस तरह से करो ना के साइड इफेक्ट से बचें, क्योंकि विज्ञान का नियम है एक्शन के साथ रिएक्शन होना, कोरोना के साथ लड़ने में एक्शन पर जो रिएक्शन होने वाला है उसका सामना करने के लिए हम सभी को तैयार रहना चाहिए।
क्या हो सकती हैं कोरोना से होने वाली हानियां?

कोरोनावायरस शायद जड़ से खत्म नहीं होगा लेकिन इसका प्रभाव जरूर कम और बहुत कम हो जाएगा, लेकिन यह भी सच है कि कोरोनावायरस के बाद आने वाली कुछ बीमारियां बहुत तेजी के साथ बढ़ेंगी, जो हमारे स्वास्थ्य, हमारे शरीर, हमारे समाज, एवं हमारी आर्थिक स्थिति के लिए बहुत ही नुकसान हुई थी होगी, कोरोनावायरस के साइड इफेक्ट हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को काफी हद तक हानि अवश्य पहुंचाएंगे, क्योंकि कोरोनावायरस से लड़ने के लिए हमने जिन दवाओं का प्रयोग किया है उनके साइड इफेक्ट हमारे शरीर में देखने को मिलने लगे हैं, आइए बात करते हैं उन्हीं साइड इफेक्ट की दिन की शुरुआत मानव शरीर पर होने लगी है,
* त्वचा संबंधित रोग-
कोरोनावायरस से बचने के लिए सविनय सैनिटाइजर का अंधाधुंध इस्तेमाल किया है, सैनिटाइजर का इस्तेमाल हाथों के साथ-साथ शरीर के अन्य भागों पर भी अंधाधुन किया गया है, जिसके कारण चमड़ी पर होने वाले विभिन्न संक्रमणो को नकारा नहीं जा सकता, अंधाधुन सैनिटाइजर के प्रयोग से मानव शरीर की त्वचा पर खुश्की हो जाने की संभावना प्रबल बन जाती हैं, दाद खाज एवं खुजली पहले की अपेक्षा अधिक मात्रा में हो सकती है,
* कोरोना के बाद श्वास संबंधित रोग –
कोरोना के बाद श्वास संबंधित रोग भी बढ़ने के आसार बहुत अधिक हो गए हैं क्योंकि हर समय नाक और मुंह के ऊपर मास्क लगा रहने के कारण हम अपने शरीर में, प्राणवायु के रूप में ली जाने वाली हवा को पूरी तरह से एक्सचेंज नहीं कर पाते, हम शरीर में नाक के द्वारा ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं, लेकिन हर समय मुंह पर मस्त लगा रहने के कारण कार्बन डाइऑक्साइड ही ले रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड ही छोड़ रहे हैं, जिसका हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव होगा, और यह श्वास रोग बढ़ने का एक मुख्य कारण रहेगा। कोरोना के बाद श्वास संबंधी रोगों में वृद्धि का होना संभव है।
* कोरोना के बाद बवासीर के मरीजों मैं वृद्धि होना संभव –
डॉक्टर्स का मानना है कि कोरोना के बाद बवासीर के मरीजों की संख्या बहुत तेजी के साथ बढ़ेगी, क्योंकि कोरोना और करोना काल के दौरान सभी लोगों ने हल्दी अदरक जैसी गरम दवाइयों से बने काढ़े का अंधाधुंध प्रयोग किया है, क्योंकि सभी का लक्ष्य था कि खुद को कोरोनावायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखें, कोरोनावायरस से खुद को सुरक्षित रखने के चक्कर में हम लोग यह भूल गए, कि जिन कारों का इस्तेमाल हम आवश्यकता से अधिक कर रहे हैं, भविष्य में उनके क्या दुष्परिणाम होंगे? क्योंकि हमारे द्वारा इस्तेमाल किए गए काढ़े जिनका तासीर बहुत अधिक गर्म हैं, इन काढ़ो के इस्तेमाल से शरीर में बवासीर होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं ।
* कोरोना के बाद मोटापा-
जैसा कि कोरोना के चलते लोक डाउन के दौरान सभी लगभग एक साल तक अपने-अपने घरों में कैद रहे, जिसका परिणाम हमें अपने शरीर में मोटापा देखने को मिला, शरीर में आया हुआ मोटापा जिस तेजी के साथ आता है वह उस तेजी के साथ वापस खत्म नहीं होता, क्योंकि मोटापा खत्म करने के लिए शारीरिक मेहनत के साथ साथ खानपान पर भी कंट्रोल रखना होता है, जो आज के परिवेश में संभव नहीं है,
* कोरोना के बाद मधुमेह का विस्तार –
क्योंकि कोरोना कॉल में लोक डाउन के दौरान शारीरिक गतिविधियां लगभग समाप्त हो चुकी थी, जिनके चलते लोग अपने घरों में कैद रहे, और खाने-पीने पर कंट्रोल समाप्त हो गया, लोग घरों में बैठकर तरह-तरह के पकवान तरह-तरह के व्यंजन बनाकर खाते रहे, जिनके कारण शरीर में मोटापा और मधुमेह के दुष्परिणाम देखने को मिले, क्योंकि यदि कोई बीमारी शरीर में एक बार आ जाती है तो वह आसानी से जाती नहीं है, इसलिए कोरोना के बाद मधुमेह जैसी बीमारियों में वृद्धि देखने को मिल रही है।
* कोरोना के बाद मानसिक संतुलन –
कोरोना के चलते लोक डाउन एवं कोरोनावायरस का भय, नौकरी छूट जाने की चिंता, बिजनेस ठप हो जाने का शॉक, रिश्तो के बीच मनमुटाव, घर से बाहर ना जाने के कारण लोगों में मानसिक विकार पहले की अपेक्षा काफी बड़े हैं, और यह वृद्धि दिन पर दिन अधिक होती जा रही है, जो कोरोना के बाद लगातार बढ़ेंगे ।
* कोरोना के बाद पंखे की अविश्वास की भावना –
कोरोनावायरस के चलते लोगों में एक दूसरे को सपोर्ट करने की परवर्ती लगभग खत्म हो चुकी थी, कोरोना के बाद अब लोगों में एक दूसरे को लेकर अर्थात संबंधों में अविश्वास की भावना प्रबल हो जाएंगी, क्योंकि कोरोना कॉल के दौरान लोगों का एक दूसरे के प्रति नकारात्मक व्यवहार भविष्य में एक दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना को बल देगा।
* कोरोना के बाद आर्थिक तंगी-
कोरोनावायरस के चलते कोरोना वॉरियर्स को छोड़ लगभग सभी की जॉब चली गई थी वह बिजनेसमैन हो या कोई नौकरी करने वाला, लोक डाउन के दौरान सरकार एवं विभिन्न NGO’s ने दिल खोल कर लोगों को सहयोग दिया, लेकिन अब लोग ना उनसे बात यह सारा सहयोग बंद हो चुका है, बहुत सारे लोगों की जॉब जा चुकी है, बहुत सारे लोगों के बिजनेस ठप हो चुके हैं, जिसके चलते लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
कोरोना के बाद होने वाली समस्याओं के समाधान हेतु कुछ उपाय ?

कोरोना के बाद होने वाली समस्याओं के बारे में विचार करके हमें इन समस्याओं के निवारण हेतु विचार करना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि यह समस्या है शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं सामाजिक सभी प्रकार की हैं, यदि हम धैर्य रखकर एवं विशेषज्ञों की सलाह लेकर, एक सुनियोजित ढंग से इन समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करें, तो हम सफल हो सकते हैं, इस आलेख में हम कोरोना के बाद होने वाली समस्याओं के समाधान हेतु कुछ कुछ विचार एवं परामर्श दे रहे हैं, जिनके आधार पर हम अपने जीवन को कई आने वाली बड़ी मुश्किलों से बचा सकते हैं।
कोरोना के बाद होने वाली परेशानी से बचने के लिए आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपाय के साथ-साथ कुछ सावधानियां एवं परामर्श*
* कोरोना के बाद त्वचा संबंधित रोगों से कैसे बचे –
कोरोना के बाद होने वाली त्वचा संबंधित रोगों से बचने के लिए हम आयुर्वेद के प्रयोग द्वारा खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, कोरोना के चलते मार्केट में उपलब्ध है विभिन्न प्रकार के केमिकल युक्त शुद्ध और मिलावटी हैंड सेनीटाइजर के प्रयोग द्वारा होने वाले त्वचा संबंधित संक्रमण से निजात पाने के लिए नारियल तेल और मिंट का प्रयोग नियमित रूप से प्रतिदिन अवश्य करें, नारियल तेल और मिंट का प्रयोग हमारी त्वचा पर होने वाले संक्रमण को समाप्त करता है, क्योंकि नारियल और मिंट दोनों ही मैं एंटी एलर्जी और एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो हमारे त्वचा के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं । प्रयोग विधि :- पूरे परिवार के लिए 500 ग्राम नारियल तेल में 10 ग्राम मिंट मिलाकर रख लीजिए, इसे सुबह के समय नहाने के बाद, एवं रात को सोते समय पूरे शरीर पर लगाइए,
* कोरोना के बाद श्वास से संबंधित रोग से बचने के उपाय –
कोरोना के बाद श्वास से संबंधित रोगों से बचने के लिए चाय पत्ती के साथ अर्जुन की छाल का पाउडर भी नियमित रूप से प्रयोग करें, अर्जुन की छाल में श्वास से संबंधित रोगों को खत्म करने की शक्ति होती है, यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर या चाय पत्ती के साथ मिलाकर इसे इस्तेमाल करता है तो यह अस्थमा रोग को शरीर में नहीं होने देती। क्योंकि कोरोना के बाद श्वास से संबंधित रोग होने के आसार बढ़ गए इसलिए हमें चाहिए कि अर्जुन की छाल को चाय की तरह अपने दैनिक आवश्यकता में शामिल कर ले, अर्जुन की छाल का शरीर पर किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है।
* कोरोना के बाद बवासीर से बचने के लिए उपाय –
कोरोना के बाद बवासीर नामक बीमारी में होने वाली बीमारी से बचने के लिए, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पेट में कब्ज की शिकायत बिल्कुल नहीं होने पाए, क्योंकि यदि कब्ज की शिकायत हो गई तो यह भविष्य होने की संभावनाको बढ़ा देगी, क्योंकि काढ़ो के अंधाधुंध इस्तेमाल से मलद्वार की खुजली ले वृद्धि देखने को मिली है, ज्यादातर लोगों को मलद्वार के रास्ते में खुजली की शिकायत हो रही है, जिसका मतलब यह है कि आने वाले समय में यदि किसी इंसान को कब्ज की समस्या होती है तो इसे बवासीर होने में अधिक समय नहीं लगेगा।इसीलिए हमें चाहिए कि हम अपने शरीर में कब्ज ना होने दें, तथा रात को सोते समय दूधिया पानी के साथ त्रिफला का इस्तेमाल करें! गुनगुने दूध में नींबू का रस डालकर की है यह नुस्खा कब्ज की समस्या को दूर पड़ता है, और बवासीर से भी बचाता है ।
* कोरोना के बाद होने वाली मोटापा की समस्या का समाधान –
कोरोना के बाद मोटापे की समस्या बढ़ रही है, क्योंकि यदि किसी इंसान को मोटापा की समस्या बढ़ रही है तो उसे इसके साथ-साथ शरीर में और भी बीमारियां होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती है, विभिन्न बीमारियों से बचने के लिए मनुष्य को चाहिए कि वह प्रतिदिन सुबह के समय नियमित रूप से खाली पेट दो गिलास गुनगुना पानी शौचालय जाने से पहले घूट-घूटकर पिये, यह प्रयोग मोटापे की समस्या को भी दूर करेगा और शरीर में होने वाले विभिन्न बीमारियों से भी शरीर की रक्षा करेगा। नियमित रूप से व्यायाम करना अपनी आदत में शामिल करें, क्योंकि मोटापा होने के कारण शरीर में बहुत सारी बीमारियां अपने आप ही लगने लगती हैं, जिनसे बचाव के लिए हमारा जागरूक रहना बहुत आवश्यक है।
* कोरोना के बाद बड़े हैं मधुमेह के रोगी –
मधुमेह एक विकट समस्या है जो हमारे समाज में पहले से ही विद्यमान हैं, लेकिन कोरोना के बाद यह समस्या और अधिक बढ़ चुकी है, मधुमेह से बचने के लिए, हमें आयुर्वेद का सहारा लेना बहुत ही आवश्यक हो जाता है, क्योंकि यदि समय रहते हम इसका आयुर्वेदिक उपचार करते हैं तो यह समस्या गंभीर होने से पहले ही नियंत्रित की जा सकती है।
* कोरोना के बाद बिगड़ता मानसिक संतुलन किस प्रकार करें संतुलित –
जैसा कि सभी को पता है कोरोना के चलते सभी अपने घरों में कैद होकर रह गए थे, जिसके कारण पारिवारिक कलह में भी वृद्धि हुई है, कोरोनावायरस से भय के कारण भी मानसिक संतुलन अस्थिर हुआ है, अपने मानसिक संतुलन को स्थिर रखने के लिए हमें एक दूसरे के ऊपर विश्वास करना चाहिए, अपनी दिनचर्या में व्यायाम एवं मैडिटेशन को विशेष जगह देनी चाहिए, अपनी समस्याओं के समाधान हेतु काउंसलर्स एवं अनुभवी मनोचिकित्सक से परामर्श अवश्य करना चाहिए । भरपूर नींद लेना भी मानसिक संतुलन को बनाने के लिए बहुत उपयोगी होती है।
* कोरोना के बाद रिश्तो में बढ़ते हुए अविश्वास को खत्म करना बेहद जरूरी –
कोरोना काल के दौरान एक दूसरे का सपोर्ट समाज में एक दूसरे व्यक्तियों को न मिलना कहीं ना कहीं एक दूसरे के प्रति अविश्वास की भावना को बल देता है, इसे समाप्त करने के लिए हमें यह सोचना बहुत जरूरी है कि, यदि सामने वाला इंसान वह चाहे कोई भी है यदि उसे कोरोना का संक्रमण होता तो क्या हम उसकी हेल्प करते या हमने किसी को रोना पॉजिटिव व्यक्ति की इमानदारी से मदद की, इस प्रस्तुति में जो व्यवहार हमारा रहा दूसरों के प्रति, वही व्यवहार दूसरों का भी हमारे प्रति ही रहा, क्योंकि यह एक आपातकाल था और आपातकाल में सभी को केवल अपनी फिक्र होती है, जो पूर्णता गलत भी नहीं है, इसीलिए हमें सोचना चाहिए कि हम अपने विश्वास को पहले की तरह कायम रखें, जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक की भी सलाह ली जा सकती है ।
* कोरोना के बाद आर्थिक तंगी के समाधान–
जब जागो तभी सवेरा वाले सिद्धांत को याद रखते हुए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि हमारा कोई नुकसान हो जाए तो उसके साथ हमारा जीवन खत्म नहीं हो जाता, जीवन चलता रहेगा और उसे सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें आगे नए प्रयोग भी करने होंगे, और अपने विचारों को नई दिशा भी देनी होगी, क्योंकि जहां पर रास्ते बंद होते हैं वहीं पर यदि हम रुक जाते हैं तो हम इस तर हो जाते हैं, लेकिन यदि वहां पर हम रुकने की अपेक्षा नवीन सर्जन के बारे में सोचते हैं एवं उसके अनुसार प्रयास करते हैं, तो यह हमारी आशाओं एवं उम्मीदों को को बल देता है, यही मौका होता है जो हमें नए कीर्तिमान स्थापित करने के लिए बल देता है। इस कठिन वक्त में हमें जरूरत होती है एक दूसरे को सहयोग देने की और एक दूसरे का सहयोग लेने की।
विशेष :-
एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए नवीन सृजन के लिए प्राचीन का नष्ट होना आवश्यक होता है?