डिप्रेशन से कैसे उभरे? तो चलिए जानते है, की कैसे आप डिप्रेशन से निकल सकते है, या कैसे अपने आप को इसमें जाने से बचा सकते है?

डिप्रेशन से कैसे उभरे, यह जानने के साथ जाने यह होता क्या,कैसे, और क्यों है
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में, इंसान करना तो बहुत कुछ चाहता है, लेकिन वह सब की होड़ में अपने इंट्रेस्ट को जगह न देकर, सफलता की अंधी दौड़ में दूसरों की देखा देखी भागने में लगा है जिसके कारण वह जिस काम में भी हाथ डालता है, वह नौकरी से संबंधित हो सकता है, बिजनेस से संबंधित हो सकता है, प्यार से संबंधित हो सकता है,
उसे हर जगह सफलता का ही मुंह देखना पड़ता है, डिप्रेशन कोई भगवान की बनाई हुई बीमारी नहीं है, डिप्रेशन हमारी अपनी क्रिएट की हुई, एक मानसिक बीमारी है, जिसके जिम्मेदार हम खुद होते हैं, क्योंकि हम अपनी रोटियों के विपरीत काम करते हैं, हम काम करते हैं, अपने स्टेटस के लिए, ना कि अपने स्वभाविक गुण के आधार पर, धीरे-धीरे जब हमें किसी फील्ड में मनचाही सफलता नहीं मिलती, हम असफल होते चले जाते हैं, तो डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
कुछ लोग तो डिप्रेशन(अवसाद) और उदासी में फर्क भी महसूस नहीं कर पाती, हमारी छोटी-छोटी इच्छाओं के पूरे ना होने पर हमें उदासी होती है, जिसे हम डिप्रेशन कहने लगते हैं, जबकि ऐसा नहीं है, एक काम पूरा ना होने के कारण उदासी होती है, कोई दूसरा काम पूरा हो जाने पर हमें खुशी होती है, इसे डिप्रेशन नहीं बोल सकते, डिप्रेशन की स्थिति में इंसान हर तरफ से मायूस हो जाता है, उसे जो चिंता रहती है, उसके सिवाय उसे कुछ अच्छा नहीं लगता, वह अपनी चिंता में अपना एक समाज तैयार कर लेता है,
जो उसे सभी मिलने वाले और समाज से दूर कर देता है, इंसान बार-बार अपनी कल्पनाओं में घूमता रहता है, अपनी असफलताओं का दुख मनाता रहता है, बहुत सारे केसों में ऐसा भी होता है, कि डिप्रेशन का शिकार इंसान आत्महत्या तक कर लेता है।
जबकि उदास व्यक्ति किसी दूसरे सफलता को लेकर पहले असफलता की उदासी को भूल जाता है डिप्रेशन व्यक्ति की वह मानसिक स्थिति होती है जिसमें उसका मानसिक संतुलन बिल्कुल बिगड़ जाता है वह केवल किसी एक बात को लेकर ही उसी के इर्द-गिर्द अपना दायरा समेट लेता है।
Important:- Direction को हिंदी में अवसाद भी कहते है
डिप्रेशन से कैसे उभरे, यह जानने के साथ जाने, अवसाद के मुख्य लक्षण कौन-कौन से हैं?
1- अवसाद में व्यक्ति सामाजिक दूरी बना लेता है।
2- गैर जिम्मेदाराना व्यवहार जैसे दूसरों की परवाह न करना।
3- मनोरंजन या खुशी के कामों में ज्यादा रुचि ना लेना।
4- जा तो बहुत अधिक भोजन करना जब भूख बिल्कुल भी ना लगना यह भी और स्वाद का एक लक्षण है।
5- स्वभाव में अत्यधिक चिड़चिड़ापन होना।
6- छोटी-छोटी बातों में झगड़े पर उतरना तथा गाली गलौज करना।
7- किसी का तंजिया मजाक बिल्कुल भी सहन न करना।
8- बिना बताए लोगों से के बीच से उठकर चले जाना किसी की बात को ध्यान देकर नहीं सुनना।
9- धूम्रपान शराब आदि नशे का आदी हो जाना।
10- बहुत अधिक सोना या रात रातभर जागना।
11- अकेले में बैठ कर रोना तथा किसी से बात ना करना।
12- व्यवस्थित दिनचर्या।
13- चाह कर भी ध्यान केंद्रित ने करवाना हर समय सर में दर्द रहना।
14- बार-बार आत्महत्या का विचार मन में आना।
15- आत्महत्या करने की कोशिश करना या दूसरे की हत्या का प्लान करना।
डिप्रेशन/ अवसाद के मुख्य कारण
1- कई बार ना चाहते हुए भी या फिर अनजाने में माता-पिता भी अपने बच्चों के डिप्रेशन का कारण बन जाते हैं जैसे – बच्चे की रुचि जाने बगैर उससे अधिक अपेक्षाएं रखना भी बच्चों को डिप्रेशन में पहुंचा देता है।
2- बार-बार माता-पिता का बच्चे को टॉर्चर करना किन नंबर कम क्यों आए, तो पड़ता क्यों नहीं है, या पड़ोसी का बच्चा तुझसे अच्छा है, इस तरह की बातें बच्चे में अक्सर हीन भावना को जन्म देती है जिनके कारण बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है।
3- कई नौजवानों को प्रेम में मिली असफलता भी अवसाद का कारण बन जाती है।
4- अच्छे नंबर लाने के बावजूद, काबिलियत होने के बावजूद भी जब किसी को असफलता मिलती है तो यह निराशा भी अवसाद का रूप ले लेती है।
5- परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर होना भी डिप्रेशन का एक बन सकती है।
6- पति-पत्नी के संबंधों के बीच विश्वास ना हो ना या विश्वास का टूट जाना भी अवसाद को जन्म देता है।
7- सामाजिक प्रतिष्ठा खत्म होने का डर भी इंसान को डिप्रेशन का शिकार बना देता है।
8- नौकरी जाने का भय भी कई बार व्यक्ति को डिप्रेशन में पहुंचा देता है।
9- बहुत प्रिय वस्तु को न्याय मिले ना या मिलकर खो जाना इस स्थिति का मुख्य कारण हो सकता है।
10- एचआईवी और यौन जनित गंभीर बीमारी भी व्यक्ति में अवसाद भर देती है।
हमें यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए डिप्रेशन का इलाज दवाइयों से कम और आप से मेल मिलाप एक दूसरे को समझने एक दूसरे को समझाने, तथा एक दूसरे की परिस्थितियों का आकलन करने से हो सकता है, यदि कोई व्यक्ति अवसाद का शिकार है तो हमें चाहिए कि उसकी परिस्थितियों को ठीक से समझे और उनका आकलन करें, क्योंकि डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारी के लिए दवाइयों से कहीं ज्यादा काम रोगी को हमारी सहानुभूति की जरूरत होती है। हमारा नैतिक दायित्व भी बनता है कि हम अपने करीबी को अवसाद जैसी भयंकर बीमारी से निजात दिलाने में उसकी सहायता करें!
अवसाद से निपटने के लिए कुछ उपाय।

1- डिप्रेशन दूर करने के लिए सबसे अच्छा इलाज योग एवं प्राणायाम है। जो व्यक्ति निर्मित रूप से योग एवं प्राणायाम करता है उसको डिप्रेशन कभी नहीं हो सकता।
2- मेडिटेशन के द्वारा भी अवसाद को पूर्णता खत्म किया जा सकता है।
3- अवसाद को दूर करने के लिए शांतिपूर्ण वातावरण में जैसे हिल स्टेशन और घूमने से फायदा मिलता है।
4- डिप्रेशन का सबसे बड़ा उपचार परिवार और सगे संबंधी होते हैं, यदि रोगी को सही देखभाल और सूझबूझ से उसकी बातों को समझा जाए, तो इस स्थिति से निकलने में उसकी काफी हद तक सहायता की जासकती है।
5- मित्रों का योगदान तो इस स्थिति से पेशेंट को बचाने में परिवार से भी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होता है।
6- डिप्रेशन के पेशेंट को सुबह-सुबह नंगे पाव हरी-हरी घास पर घूमना चाहिए।
7- चार अखरोट के गिरी रात को दूध में भिगो दें सुबह उठकर उनको चबाकर खाने यह दिमाग को काफी ताकत देती है।
8- भांग की कुल 4 पत्तियां चबाकर खाएं फिर एक गिलास ताजा पानी पी ले, यह डिप्रेशन की अचूक औषधि है। याद रहे यह औषधि रात को सोने से पहले ही लेनी है नोट :- भांग की 4 से ज्यादा पत्तियां नहीं लेनी।
9- दूध के साथ एक चम्मच गुलकंद सुबह एक चम्मच गुलकंद शाम को लेने से अवसाद में बहुत आराम मिलता है।
10- अवसाद के रोगी को ज्यादा से ज्यादा दही मिश्री मिलाकर खिलाएं।
11-अवसाद से ग्रसित व्यक्ति को उसकी रूचि के अनुरूप काम सौंपा जाना चाहिए।
अवसाद पूर्णत: स्व: जनित समस्या है इसका इलाज किसी तरह की दवाइयों की अपेक्षा रोगी के साथ सहानुभूति एवं उसकी जरूरतों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखकर उसका सहयोग करना ज्यादा उचित है।