अश्वगंधा के फायदे, इतने सारे फायदे वो भी बिना किसी डॉक्टर की साहयता के, करो जायदातर बीमारी का इलाज अपने घर पर ही, अब हिंदी में?

अश्वगंधा के फायदे

अश्वगंधा के फायदे जानने से पहले चलिए इसके बारे में जानते हैं?

अश्वगंधा बहुत ही सुलभता से पाई जाने वाली पर है उसकी है जो हमारे खेत खलियान, हमारे आसपास, खाली पड़ी जगह, कूड़े करकट के ऊपर, पहाड़ियों पर, रेगिस्तान में, जहां पानी की अधिकता है वहां पर, अगर यह कहा जाए कि अश्वगंधा हर जगह पर सुलभता से पाई जाने वाली औषधि है तो गलत नहीं होगा, अश्वगंधा कितनी आसानी से मिल जाती है,

इतनी आसानी से हमारे शरीर के रोगों को दूर करके, हमारे शरीर में बहुत सारे लाभ पहुंचाती है, अश्वगंधा के गुणों के बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं ।क्‍या आप जानते हैं कि मोटापा घटाने, बल और वीर्य विकार को ठीक करने के लिए अश्वगंधा का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा अश्वगंधा के फायदे और भी हैं।अश्‍वगंधा के कुछ खास औषधीय गुणों के कारण यह बहुत तेजी से प्रचलित हुआ है।

आइए आपको बताते हैं आप अश्वगंधा का प्रयोग किन-किन बीमारियों में और कैसे कर सकते हैं। अश्वगंधा के प्रयोग से पहले इसके विषय में जान लेते हैं, यह कैसा होता है इसकी पहचान कैसे करें, तथास्तु प्रयोग करने की विधियों के बारे में, हम इस विशेष आर्टिकल में विस्तार पूर्वक समझाने की कोशिश करेंगे ।

अश्वगंधा के फायदे जानने से पहले चलिए जानते हैं? अश्वगंधा की पहचान क्या है

अश्वगंधा का पेड़ ज्यादा बड़ा नहीं होता यह सौदा होता है झाड़ियों के जैसा, इसके पत्ते हरे रंग के लगभग 2 इंच से 3 इंच के होते हैं इसके फल पहले हरे और फिर लाल हो जाते हैं, क्या आपको पता है अलग-अलग देशों में अश्‍वगंधा कई प्रकार की होती है, लेकिन असली अश्वगंधा की पहचान यदि करनी हो तो,

इसकी पहचान करने के लिए इसके पौधों की पत्तियों को मसलने पर घोड़े के पेशाब जैसी गंध आती है। सामान्यता अश्वगंधा की ताजी जड़ में यह गंध अधिक तेज आती है। यदि हम गुणवत्ता की बात करते हैं तो वन में पाए जाने वाले पौधों की तुलना में खेती के माध्‍यम से उगाए जाने वाले अश्‍वगंधा की गुणवत्‍ता अच्छी होती है। लेकिन यदि अश्वगंधा के तेल के विषय में बात करें तो तेल निकालने के लिए वनों में पाया जाने वाला अश्‍वगंधा का पौधा ही अच्‍छा माना जाता है।

अश्वगंधा के फायदे जानने से पहले, चलिए जानते है, की अश्वगंधा को अलग-अलग क्षेत्रों में
अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है,

अश्वगंधा के फायदे जानने से पहले, चलिए जानते है, की अश्वगंधा को अलग-अलग क्षेत्रों में 
अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है,

आइए जानते हैं, भारत समेत अन्य जगहों पर अश्वगंधा के विभिन्न नामों को दिल के माध्यम से हम इसको लेने में भ्रान्ति ना हो ।*

* *Hindi (ashwagandha in hindi)* –असगन्ध,अश्वगन्धा,पुनीर,नागोरी असगन्ध,अक्षण्ड.

* *इंग्लिश में* –Winter cherry (विंटर चेरी), पॉयजनस गूज्बेर्री (Poisonous gooseberry)

* *संस्कृत में*– वराहकर्णी,वरदा,बलदा,कुष्ठगन्धिनी,अश्वगंधा.

* *उड़िया में* – असुंध (Asugandha)

* *उर्दू में* – असगंधनागोरी (Asgandanagori)

* *कन्नड़ में* – अमनगुरा (Amangura), विरेमङड्लनागड्डी (Viremaddlnagaddi)

* *गुजराती में*– आसन्ध (Aasandh), घोडासोडा (Ghodasoda), असोड़ा (Asoda)

* *Tamil *– चुवदिग (Chuvdig), अमुक्किरा (Amukkira),अम्कुंग (Amkulang)

* *तेलुगु में*– पैन्नेरुगड्डु (Panerugaddu),आंड्रा (Andra),अश्वगन्धी (Ashwagandhi)

* *Bengali* – अश्वगन्धा (Ashwagandha)

* *पंजाबी में*– असगंद (Asgand)* *मलयालम में* – अमुक्कुरम (Amukkuram)

* *मराठी में*_ असकन्धा (Askandha),टिल्लि (Tilli)

* *अरबी में*_ तुख्म-ए-हयात (Tukhme-hayat)

*अश्वगंधा की तासीर कैसी होती है?*
अश्वगंधा गर्म तासीर होने कारण शरीर में गर्मी उत्पन्न करता है। इसे अन्य जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर ही लेना चाहिए जिससे शरीर में ज़्यादा गर्मी उत्पन्न ना हो पाए। 

*क्या अश्वगंधा से पित्त बढ़ता है :*

आयुर्वेद की माने तो, अश्वगंधा से पित्त (शरीर में बदलाव लाने वाला दोष) बढ़ता है और कफ दोष (शरीर में संचयन करने वाला दोष) और वात दोष (शरीर में बहाव लाने वाला दोष) को कम कर देता है। शरीर में किसी भी प्रकार का विकार आने के कारण इन तीनो मुख्य दोषों में बदलाव का आना संभव है। जैसे, यदि कम पित्त होने के कारण चयापचय कमज़ोर हो जाता है, अपच, शरीर में दूषित पदार्थों का इकठ्ठा होना शुरू हो जाता है और यादाश्त का कमजोर होना भी या याददाश्त भी जा सकती है।

अश्वगंधा के फायदे इस प्रकार हैं?

अश्वगंधा के फायदे इस प्रकार हैं?

* अश्वगंधा तनाव और चिंता को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

* अश्वगंधा जोड़ों के दर्द को कम करने में भी बहुत प्रभावी है, विशेष रूप से गठिया के दर्द को अश्वगंधा के द्वारा समाप्त किया जा सकता है।

* अश्वगंधा का सेवन कामेच्छा बढ़ाने और यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

* अश्वगंधा त्वचा को साफ करने और बढ़ती उम्र के शुरुआती लक्षणों से बचाने में भी बहुत लाभदायक है।

* अश्वगंधा पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने के लिए बहुत ही कारगर औषधि है।

* अश्वगंधा की तासीर गर्म होती है, जिसकी वजह से यह शरीर में गर्मी उत्पन करता है।

* आयुर्वेद में, यह पित्त बढ़ाने के लिए अश्वगंधा को सबसे प्रमुख औषधि माना जाता है।

कुछ बेहद खतरनाक रोग निवारण हेतु अश्वगंधा के फायदे?

गर्भ धारण होने में हो रही समस्याओं के निवारण हेतु अश्वगंधा के फायदे-
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे गर्भधारण करने में हो रही समस्या में भी मिलते हैं। असगंधा चूर्ण को गाय के घी में मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करे। मासिक-धर्म स्‍नान के बाद हर दिन गाय के दूध के साथ या ताजे पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन लगातार एक माह तक सुबह खाली पेट करें। यह गर्भधारण में बहुत ही सहायक होता है।

* अश्वगंधा और सफेद कटेरी की जड़ बराबर मात्रा में लें। इन दोनों के 10-10 मिलीग्राम रस का पहले महीने से पांच महीने तक की गर्भवती स्त्रियों को यदि नियमित रूप से सेवन कराया जाए तो इसके सेवन करने से अकाल गर्भपात नहीं होता है।

*दुर्बल लिंग में अश्वगंधा के फायदे-
अश्वगंधा की जड़ को कूटकर इसका चूर्ण बना लें तथा इस चूर्ण को कपड़े से छान कर (कपड़छन चूर्ण) उसमें उतनी ही मात्रा में पुरानी खांड मिलाकर रख लें। एक चम्मच की मात्रा में लेकर गाय के ताजे दूध के साथ सुबह खाली पेट भोजन से तीन घंटे पहले नियमित रूप से सेवन करें।यह बहुत ही कम समय में लिंग की दुर्बलता को दूर करता है।

* अश्‍वगंधा की जड़ को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, अब इस चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह से घोंटकर एक डब्बे में भरकर रख लें, रात को सोने से पहले लिंग के ऊपर लगाने से लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर करता है।

* असगंधा, दालचीनी और कूठ को बराबर मात्रा में लें इनको कूट छानकर एक जगह मिला लें। इसे गाय के मक्खन में मिलाकर सुबह और शाम शिश्‍न (लिंग) के आगे का भाग छोड़कर शेष लिंग पर लगाएं। थोड़ी देर बाद लिंग को गुनगुने पानी से धो लें। इससे लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर होती है। सम्भोग करते समय याद रखें सम्भोग करने से कम से कम दो घंटे पहले यह क्रिया करें।

*शारीरिक कमजोरी में अश्वगंधा के फायदे-
3 ग्राम अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण ताजे कच्चा दूध (कच्चा/धारोष्ण) के साथ पित्त प्रकृति वाला व्यक्ति सेवन करें तथा वात प्रकृति वाला शुद्ध तिल के साथ सेवन करें और कफ प्रकृति का व्‍यक्ति गुनगुने पानी के साथ लगातार तीन महीनों तक सेवन करें। इससे शारीरिक दुर्बलता एवं कमोजरी दूर होती है और 62 प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है।

* अश्वगंधा की जड़ और चिरायता को बराबर भाग में लेकर अच्‍छी तरह कूट छानकर एक जगह मिलाकर रख लें। अब इस चूर्ण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दूध के साथ खाली पेट सेवन करने से शरीर की दुर्बलता कुछ ही दिनों में पूरी तरह समाप्त हो जाती है।

*गंजापन रोकने में अश्वगंधा के फायदे-         
बालों के झड़ने की समस्या बहुत आम हो चुकी है, बहुत ही कम उम्र में सर के बाल झड़ने लगते हैं और इंसान गंजा हो जाता है, लेकिन डरने की कोई बात नहीं यदि आप अश्वगंधा का इस्तेमाल करते हैं तो यह आपके गंजेपन को रोक सकता है, 250 ग्राम जैतून का तेल ले, इसमें 50 ग्राम अश्वगंधा का पका हुआ फल मिला ले, इसको 15 दिन कांच के बर्तन में बंद करके रखा रहने दें , 15 दिन बाद अब इसको बहुत धीमी आंच पर पकने दें,

जब अश्वगंधा का फल तेल में तलकर जल जाए, तो इसको निकाल कर फेंक दें ( अब इस तेल को कपड़े में छान लें। प्रयोग विधि :- सबसे अच्छा प्रयोग इसका सर पर उस्तरा लगाने के बाद माना जाता है, सर पर उस्तरा लगवा कर सुबह शाम तेल से सर पर मालिश करें, 1 महीने में चार बार उस्तरा जरूर लगवाएं, आप देखेंगे कि 1 महीने बाद आपके बाल झड़ने और टूटने की समस्या बिल्कुल खत्म हो जाएगी, और सर का गंजापन भी दूर होगा ।

*TB रोग में अश्वगंधा के फायदे –            
अश्‍वगंधा की जड़ का चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 ग्राम लें और इसमें 1 ग्राम बड़ी पीपली का चूर्ण, 5 ग्राम देसी गाय का घी और 5 ग्राम देसी मधुमक्खी का शहद मिला लें। इसका सेवन करने से टीबी (क्षय रोग) में लाभ होता है। यह प्रयोग नियमित रूप से पांच से छह महीने करना अनिवार्य है ।TB रोग के जीवाणु हमारे शरीर से आसानी से नहीं जाते हैं, इनको नष्ट करने के लिए लंबे उपचार की बहुत आवश्यकता होती है, TB के उपचार हेतु बहुत धैर्य की आवश्यकता होनी चाहिए, क्योंकि यदि आप धैर्य नहीं रखते तो आपकी यह बीमारी लाइलाज हो सकती है।

*खांसी में अश्वगंधा के फायदे-       
असगंधा की 50 ग्राम जड़ों को कूट लें,50 ग्राम काला बासा का तना पत्ती सहित इसमें 50 ग्राम मिश्री मिलाकर 500 ग्राम पानी में पकाएं। जब इसका आठवां हिस्सा रह जाए तो आंच बंद कर दें। इसे 2-2 चम्मच दिन में 4 बार पिलाने से कुकुर खांसी या वात से होने वाले कफ की समस्या में अविश्वसनीय लाभ होता है।

*निमोनिया बुखार मैं अश्वगंधा के फायदे –       
अश्वगंधा की जड़ 50 ग्राम, बड़ी टिप्पणी 10 ग्राम, बड़ी इलायची 10 ग्राम, गुड़ 50 ग्राम, इन सभी को कूटकर 500 ग्राम पानी में धीमी आंच पर पानी का आधा रह जाने तक पकाएं। प्रयोग विधि :- दो-दो चम्मच दिन में चार बार 5-5 घंटे के अंतराल पर गुनगुने दूध के साथ सेवन करें। मात्र 2-3 दिन में निमोनिया पूरी तरह ठीक हो जाता है, रात को सोते समय सीने पर गर्म तिल के तेल की मालिश जरूर करें।

*फोड़ा हो जाने पर अश्वगंधा के फायदे –   
फोड़ा हो जाने पर अश्वगंधा के ताजा हरे पत्ते लें, फूल पत्तों के ऊपरी हिस्से पर सरसों का तेल लगा कर, तवे पर हल्का गर्म कर लें, अब इन कुछ गर्म कहने का मतलब है गुनगुने पत्तों को फोड़ के ऊपर इस तरह से रखे कि फोड़ा पूरी तरह कवर हो जाए, फोड़े को पूरी तरह से पत्तों से कवर करके इसके ऊपर पट्टी बांध देनी चाहिए जिससे पत्ते अपनी जगह से खिसके नहीं, मात्र 2-3 दिनों में ही फोड़ा पककर फूट जाता है, फोड़ा फूटने के बाद भी इस प्रयोग को तब तक करते रहे, जब तक वह फोड़ा बिल्कुल ठीक नहीं हो जाता। मात्र 1 सप्ताह के अंदर अंदर थोड़ा पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।

*सेक्स पावर बढ़ाने के लिए अश्वगंधा के फायदे –    
अश्वगंधा की जड़, तना, पत्ती और फल सभी को छाया में सुखाकर कोर्ट कर पाउडर बना लीजिए, एक चम्मच पाउडर रात को सोने से पहले दूध के साथ नियमित रूप से सेवन करने से, शीघ्रपतन, इंद्रिय में ढीलापन, वीर्य में पतलापन, आदि समस्याओं को दूर कर, सेक्स संबंधी विकारों को समाप्त करता है, एवं मानसिक शक्ति को बल प्रदान करता है।

*कमर दर्द में अश्वगंधा के फायदे –         
अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण और गाय का घी-2 ग्राम असगंधा चूर्ण को सुबह और शाम गर्म दूध के साथ इस्तेमाल करने से कमर का दर्द समाप्त हो जाता है, इस गुनगुने दूध में एक चम्मच गाय का घी भी डाल लें, नियमित सेवन करने से कमर का दर्द पूरी तरह ठीक हो जाता है।

*चेहरे की फुंसीया खत्म करने और सुंदरता बढ़ाने के लिए अश्वगंधा के फायदे –     
यदि किसी के चेहरे पर फुंसियां बहुत होती हो तो उसके लिए, अश्वगंधा एक अमृत तुल्य औषधि है, जिन व्यक्तियों के चेहरे पर फुंसियां होती हैं, उन लोगों को चाहिए कि वह अश्वगंधा की ताजी पत्तियां वे और उन पतियों को पत्थर की शिला पर बारीक पीसकर चटनी बना लें, रात को सोने से पहले इस चटनी को हल्का सा गुनगुना करके चेहरे पर लेप कर ले,

इसलिए को चेहरे पर एक से डेढ़ घंटा लगे रहने दे, कोशिश करें लेप को सूखने ना दें, उसके बाद ताजा पानी से चेहरे को धो लें, मात्र 15 दिन में चेहरे की सारी फुंसीया समाप्त हो जाएंगी, चेहरे पर कमाल की चमक आएगी, इसके नियमित इस्तेमाल से चेहरे पर दाग धब्बे भी जड़ से खत्म हो जाते हैं।विशेष :- जब तक यह प्रयोग करें तब तक किसी प्रकार की क्रीम का इस्तेमाल चेहरे के ऊपर न करें। सुबह के समय मुंह धोते समय हल्के गुनगुने पानी में चार बूंद तिल के तेल की डाल सकते हैं, यह आपके चेहरे पर लालिमा प्रदान करेगा।