मेनोपॉज(मासिक धर्म) का समय रहते इलाज कैसे करें, साथ में जाने इसके लक्षण, कारण और इलाज अपने घर पर ही?

मेनोपॉज(menopause) की समस्या एवं समाधान

मेनोपॉज(menopause) क्या है?

मासिक धर्म का बंद होना मेनोपॉज कहलाता है, सामान्य तौर पर तो 50 साल की उम्र के बाद, महावारी यानी के मासिक धर्म का बंद हो जाना, एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन कभी-कभी हमें कुछ केस ऐसे भी देखने को मिलते है, कि मेनोपॉज यानी पीरियड्स का बंद होने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, यह एक स्वाभाविक शारीरिक बदलाव न होकर अस्वाभाविक या स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है,

यदि पीरियड्स समय से पहले ही बंद  हो जाए, तो ऐसा होने की कुछ वजह जरूर रहती है, ऐसे समय में हमें जरूरत होती है, उन कारणों का पता लगाने की जिन कारणो से यह हुआ है, कुछ महिलाओं को 35 से 45वर्ष के बीच में मेनोपॉज की स्थिति आ जाती है। इस स्थिति को प्री-मेनोपॉज कहते हैं। जय स्थिति समय पूर्व मेनोपॉज बाहरी तत्वों जैसे कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, सर्जरी, ऑटो-इम्यून बीमारी, अनुवांशिक बीमारियों, धूम्रपान और जेनिटल टीबी की वजह से भी हो सकती है।

आमतौर पर महिलाओं को 13-15 की उम्र से लेकर 45 से 50 वर्ष की आयु तक पीरियड्स होते हैं। लेकिन कभी-कभी कुछ महिलाओं को समय पूर्व यानी 35 से 40 वर्ष की आयु के बीच में ही, बच्चेदानी निष्क्रिय हो जाने के कारण पीरियड बंद होने की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं। जिसके बाद महिला में गर्भधारण करने की क्षमता खत्म हो जाती है।

मेनोपॉज अलग-अलग उम्र में हो सकता है। यह भी हो सकता है, कि 50 साल के बाद भी 60 की आयु तक भी आपको मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति न हो ऐसा भी संभव है। हां यह बात करते हैं, उन लक्षणों के बारे में समय से पहले मासिक धर्म बंद होने के संकेत देते हैं, जिन्हें हम जानकारी के आधार पर समय रहते पहचान कर, उनके कारणों का पता लगाकर सही समय पर उचित उपचार कर सकें।

मासिक धर्म बंद होने के संकेत

मासिक धर्म बंद होने के संकेत

* अनियमित पीरियड्स-         
समय से पहले पीरियड बंद होने का सबसे मुख्य लक्षण जो हमारे शरीर में हमें स्पष्ट दिखाई देता है वह है पीरियड का नियमित रूप से होने बंद हो जाना होता है, यह साफ संकेत होता है कि आप की स्थिति मेनोपॉज की तरफ जा रही हैं। ऐसी स्थिति में पीरियड का कोई निश्चित समय या कोई मासिक चक्र नहीं रहता। इतना ही नहीं, पीरियड के दौरान ब्लीडिंग भी बहुत ही कम होने लगती है। यदि यह अनियमितता मासिक धर्म में आ जाए तो इसकी वजह से गर्भाशय में अंडों का बनना भी बंद हो जाता है और धीरे-धीरे बच्चेदानी निष्क्रिय हो जाती है। यदि समय रहते इसका सही उपचार न कराया जाए तो यह बांझपन हो सकती है।

*बहुत गर्मी लगना-     
सामान्य की अपेक्षा जिस महिला में पीरियड की अनियमितता हो और उसको बिना किसी कारण के बार-बार बहुत अधिक गर्मी का एहसास होने लगे, शरीर में बेचैनी होने लगे, तथा बुखार के बिना ही शरीर का तापमान बढ़ने लगे और फिर थोड़ी देर बाद एकदम से ठंड लगने लगे, ये सब मेनोपॉज के शुरुआती लक्षण हैं। ऐसी स्थिति में अक्सर रात के दौरान बहुत पसीना आना, मूड स्विंग हो जाना, हर समय थकान का रहना आदि समस्याएं महिला को घेर लेते हैं।

* सेक्स की इच्छा में कमी-       
महिलाओं में सेक्स की इच्छा की कमी का होनाजो सेक्स की इच्छा बिल्कुल खत्म हो जाना, ना चाहते हुए भी सेक्स करना और सेक्स करते वक्त लुब्रिकेंट्स का ना आना इस दौरान बहुत अधिक दर्द होना यह सभी लक्षण प्रीमेनोपॉज के स्पष्ट लक्षण है।

*अवसाद रहना-         
प्रिमेनोपॉज की स्थिति में महिला को कई सारी अकारण चिंताएं घेरने लगती है, अवसाद रहने लगता है, मन की इच्छा है घुटने लगती है, तनाव और उदासी तथा स्वस्थ होते हुए भी एक अजीब सा डर खुद के और अपने स्वास्थ्य के प्रति बना रहता है।

* पेशाब पर नियंत्रण की कमी-               
पेशाब पर नियंत्रण की कमी मेनोपॉज से पहले की स्थिति है, इस स्थिति में महिला का अपने पैसों पर नियंत्रण नहीं रहता,बहुत जल्दी-जल्दी उसे बाथरूम जाना पड़ता है, खुलकर पेशाब नहीं आना, बूंद बूंद पेशाब आना, कभी कभी बैठ कर खड़े होते समय अभी पेशाब की बूंद का से कहीं निकल जाना आदि लक्षण मेनोपॉज के शुरुआती लक्षण है।

उपरोक्त लक्षणों के आधार पर हमें इस बात का अनुमान लगाने में आसानी हो जाती है, कि कहीं हमें असमय मेनोपॉज की गंभीर समस्या का सामना तो नहीं करना पड़ रहा,यदि किसी को उपरोक्त समस्याएं सता रही है तो जरूरत है समय रहते अपने डॉक्टर से परामर्श लेने की। क्योंकि समय से पहले पीरियड का रुक जाना किसी भी महिला के लिए आगे चलकर परेशानी का कारण बन सकता है लेकिन यदि समय रहते हम लक्षणों पर ध्यान देकर इसका उपचार कराएं तो हम भविष्य में आने वाली समस्या से बच सकते हैं।

मेनोपॉज के कारण

मेनोपॉज के कारण

आइए जानते हैं उन कारणों के विषय में जिनकी वजह से समय से पहले ही मेनोपॉज की समस्या उत्पन्न होती है क्योंकि समय से पहले मेनोपॉज की समस्या उत्पन्न हो जाना कई प्रकार के गंभीर बीमारियों का संकेत होता है इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि समय रहते कारणों का पता लगाकर खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित होने से बचाएं।

* डिप्रेशन-     
समय से पहले मैनोपोज होने का मुख्य कारण डिप्रेशन को माना जाता है, अक्सर देखा गया है कि कामकाजी महिलाओं में यह समस्या अधिक पाई जाती है, क्योंकि काम का दबाव और समाज का दबाव दोनों मिलकर महिला को डिप्रेशन का शिकार बना देते हैं, जिसके कारण उसके शरीर में कई प्रकार के बदलाव देखने को मिलते हैं, मानसिक तनाव और डिप्रेशन के चलते, समय से पहले ही मेनोपॉज जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है।

* रेडियोथैरेपी तरंगे-       
रेडियोथैरेपी तरंगे भी समय से पहले मेनोपॉज होने की समस्या के प्रमुख कारणों में से एक है यदि किसी की बार-बार रेडियोथैरेपी की जा रही है तो इस दौरान रेडियोथैरेपी तरंगों के संपर्क में आने के कारण उस महिला को समय से पहले ही मैंने पोस्ट की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह समस्या पेशेंट के साथ साथ रेडियोलॉजी टेक्निशियन और डॉक्टर्स के साथ भी अक्सर होती है।

* कीमो थेरेपी-         
कीमोथेरेपी के बाद इस समस्या का उत्पन्न हो जाना बहुत ही स्वाभाविक है, कीमो थेरेपी के दौरान शरीर पर पड़ने वाले रेडिएशन के कारण,शरीर में इनका बहुत नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है,जिनमें से असमय मेनोपॉज की समस्या का उत्पन्न हो जाना प्रमुख है।

* धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन-   
       
ग्रामीण परिवेश की अपेक्षा, मेनोपॉज की समस्या मेट्रो सिटी में बहुत अधिक देखने को मिलती है,क्योंकि कामकाजी होने की वजह से महिलाओं का स्वच्छंद घूमना, उन्हें कई प्रकार की बुरी लतों में सम्मिलित कर लेता है,जिनमें से धूम्रपान करना और अल्कोहल का सेवन मुख्य है, धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन समय से पहले मेनोपॉज का प्रमुख कारण बन जाता है।

* हारमोंस-         
विशेषज्ञों की मानें तो तनाव का सीधा असर हारमोंस के ऊपर पड़ता है महिलाओं में उपस्थित एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन पाए जाते हैं जिनके असंतुलित होने पर समय से पहले मेनोपॉज की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

* थायराइड-       
थायराइड की समस्या के कारण भी महिलाओं में पीरियड का संतुलन प्रारंभ से ही असंतुलित रहता है जिसके कारण आगे चलकर भविष्य में समय से पहले मैनोपोज होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है,

* पोस्टिक आहार की कमी-         
खाने में पौष्टिक आहार की कमी भी इस समस्या को जन्म देती है, क्योंकि यदि हमारे भोजन में पौष्टिक आहार नहीं होंगे तो हमारे शरीर को आवश्यक खनिज एवं विटामिंस की बनी रहेगी इसके कारण इस समस्या का होना स्वभाविक है।

* खून की बहुत अधिक कमी-       
देखा गया है जिन महिलाओं में खून की बहुत अधिक कमी होती है कहने का मतलब है कि जो महिलाएं एनीमिया का शिकार होती है ऐसी महिलाओं को अधिकतर समय से पहले ही मेनोपॉज की समस्या का सामना करना पड़ता है।

आइए यह जानने की कोशिश करते हैं, कि डॉक्टर कैसे निर्धारित करते हैं, कि मेनोपॉज हुआ है, या मेनोपॉज होने की संभावनाएं हैं ?

वैसे तो सामान्यत:-
पीरियड्स के बंद हो जाने पर मालूम हो ही जाता है, कि मेनोपॉज हो चुका है। लेकिन समय से पहले बंद हुई पीरियड की समस्या के अन्य कारणों के विषय में मालूम करना तथा इसकी पुष्टि करना कि वे कौन से कारण रहे हैं, जिनके कारण मेनोपॉज की समस्या समझ से पहले ही देखने को मिली। पीड़ित महिला की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखकर डॉक्टर ब्लड टेस्ट करने की सलाह भी दे सकते हैं,
जैसे-

* थॉयरायड फंक्शन टेस्ट ।

* ब्लड लिपिड प्रोफाइल ।

* लीवर फंक्शन टेस्ट्स ।

* किडनी फंक्शन टेस्ट्स ।

*टेस्टास्टेरान टेस्ट।

* प्रोजेस्टेरोन टेस्ट।

* प्रोलैक्टीन टेस्ट।

* एस्ट्राडायल टेस्ट।

* कोरियोनिक टेस्ट।

* गोनाडोट्रोपीन (एचसीजी) टेस्ट।


*पेल्विक अल्‍ट्रासाउंड आदि।

मेनोपॉज के दौरान बरते ये सावधानियां

* मीनोपॉज के दौरान महिलाओं को हॉटफ़्लैश की समस्या होती है, इससे बचने के लिए महिलाओं को तेज मसालेदार भोजन, तली हुई चीजे, तेलयुक्त भोजन , तीखे भोजन और फास्ट फूड
जैसे- चाऊमीन,बर्गर, पिज़्ज़ा, अन्य बहुत से खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।

* मीनोपॉज के दौरान इंफेक्शन (Infection) का खतरा भी अक्सर बहुत अधिक बढ़ जाता है। इसके संक्रमण से बचने के लिए शरीर में पानी की कमी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए अर्थात इस दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।

* आयुर्वेद की मानें तो मीनोपॉज की अवस्था में कुछ खाने की वस्तु जैसे कि भिण्डी, आलू, ग्वारफली, मटर,चना, तथा गोभी का सेवन नही करना चाहिए। क्योंकि इनके सेवन से हमारे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।

* धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों का  सेवन उन महिलाओं के लिए बहुत ही हानिकारक है जिनको समय से पहले मेनोपॉज की समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इस प्रकार के पदार्थों का सेवन आपको और आपके स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है।से बचना चाहिए।

मेनोपॉज की समस्या के लिए आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

मेनोपॉज की समस्या के लिए आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

* मैथी दाना –         
आपके शरीर में एस्ट्रोजेन की मात्रा बढ़ाने में यह जरूर मददगार होगा। इसे ताउम्र लेने पर फायदा मिलता रहेगा।प्रयोग विधि :- दो चम्मच मेथी दाना को धोकर, रात मे एक गिलास पानी में भिगो दें,  सुबह उठकर इस मेथी दाने को मुंह में डालकर बिना चबाए,उसी पानी के साथ निगल लेना चाहिए, जिस पानी में इसे रात में भिगोया गया था। मेथी में एस्ट्रोजन बहुत अधिक मात्रा में होता है जो हमारे शरीर में एस्ट्रोजन की कमी को बहुत तेजी के साथ पूरी करता है। इस प्रयोग को नियमित रूप से करते रहिए, यह मेनोपॉज की समस्या के साथ-साथ हड्डियों को मजबूत करता है, और लीवर को भी दुरुस्त रखता है।

* अजवायान – 
     
मेनोपॉज में अजवाइन का सेवन भी बहुत कारगर साबित होता है दोपहर के खाने में अजवाइन का इस्तेमाल किसी भी रूप में करने से मेनोपॉज के दौरान हुई समझता हूं मैं बहुत आराम मिलता है।

*मेनोपॉज होने पर महिला को विटामिन सी, विटामिन डी, विटामिन ई और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन बहुत आवश्यक हो जाता है । जिसमें फल, अंकुरित अन्न, सब्जियां, ड्राईफ्रूट अधिक मात्रा में हो। क्योंकि यदि इस दौरान इन पोषक तत्वों की कमी शरीर मे हो जाए तो अन्य कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

* मेनोपॉज की समस्या में तिल का करे प्रयोग-         
एक चम्मच तिल को दूध में भिगोकर 4 घंटे के लिए रख दें फिर इस तिल का पेस्ट बनाकर दूध के साथ उबालने पर रात को सोने से पहले सेवन करें मेनोपॉज से होने वाली समस्याओं के लिए यह एक अचूक औषधि है।

* मेनोपॉज की समस्या में चूना का करें इस्तेमाल-         
जिन महिलाओं को मेनोपॉज की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए एक विशेष औषधि है चुना, मेनोपॉज की समस्याओं के दौरान चूना का इस्तेमाल बहुत लाभकारी सिद्ध होता है, एक गेहूं के दाने के बराबर चूना किसी भी रूप में, कहने का मतलब है कि सब्जी में या दूध या चाय आदि में मिलाकर हर रोज लेना चाहिए यह मेनोपॉज की समस्या में बहुत गुणकारी औषधि है। विशेष- जिन महिलाओं की किडनी में पथरी है, वे महिलाएं इसका उपयोग न करें।

* सफेद मूसली –         
मेनोपॉज की समस्या से जूझ रही महिलाओं को चाहिए, कि वह सफेद मूसली का इस्तेमाल आज ही से शुरू कर दें,क्योंकि सफेद मूसली में वह गुण होते हैं, जो एस्ट्रोजन की कमी को तेजी के साथ पूरा कर सकते हैं। प्रयोग विधि- आधा चम्मच सफेद मूसली पाउडर रात को बिस्तर पर जाने से आधा घंटा पहले गुनगुने दूध के साथ सेवन करें।

* गौधृत (गाय का घी ) –       
मेनोपॉज की समस्या के दौरान होने वाली परेशानियों से बचने के लिए प्रचुर मात्रा में गाय के घी का इस्तेमाल बहुत ही गुणकारी होता है। इसे हर रोज खाने में किसी भी रूप में इस्तेमाल करें लाभ देगा। रात को सोते समय नाक में एक-एक बूंद गाय का घी डालने से अवसाद, हिस्टीरिया, डिप्रेशन, एवं माइग्रेन जैसी समस्याओं को 100% ठीक कर देता है।

* अश्वगंधा का प्रयोग – 
       
अश्वगंधा के पंच तत्व अर्थात जड़, तना, पत्ती, फूल, और फल को एक साथ कूटकर पाउडर बना लें तथा इस पाउडर को सुबह और शाम दोनों समय एक एक चम्मच लगातार नियमित रूप से लेने पर मेनोपॉज के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं को पूर्ण रूप से कुछ ही दिनों में ठीक करता है।