गले की समस्या का इलाज, वो भी घरेलु और फ़ास्ट एवं रामबाण इलाज?

गले की समस्या का इलाज जानने के साथ, जाने यह होता क्यों है?
गले की समस्या शायद ही इस दुनिया में, कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे कभी गले का कोई रोग नहीं हुआ हो, अक्सर देखा गया है, कि जैसे ही मौसम बदलता है, सबसे पहले असर हमारे गले के ऊपर दिखने लगता है, ज्यादातर गले का दर्द मौसमी होता है, जो कुछ गर्म चीजें खाने से स्वता ही ठीक हो जाता है, लेकिन कभी-कभी परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती है, कि यह गले का दर्द हमें खांसी कर देता है, जिसका एक बड़ा कारण हमारे गले में बैक्टीरियल इनफेक्शन का हो जाना होता है,
सांस के जरिए हमारे गले में बैक्टीरिया पहुंच जाते हैं, जो हमारे फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं, जिनके कारण हमारे फेफड़ों में बलगम बनने लगता है, खांसी हो जाती है, और कभी-कभी यह खांसी 8 दिन से ज्यादा रहने पर एक गंभीर बीमारी का रूप भी ले लेती है, जिसे हम तपेदिक के रूप में जानते हैं, कभी-कभी यह भी होता है, कि गले के रोग के कारण ही, हमें सांचौर दमे की शिकायत बनने लगती है, जो हमारे फेफड़ों के ऊपर गहरा आघात करती है,
जिसके कारण हमारे फेफड़ों में कैंसर या टीबी हो जाने के चांसेस बहुत ही ज्यादा हो जाते हैं। यदि हमारे गले में संक्रमण है ऐसी स्थिति में हम कुछ आवश्यकता से अधिक ठंडा खाना खा लेते हैं या ठंडी चीजों का प्रयोग कर लेते हैं तो हमारे गले में टॉन्सिल फूल जाते हैं सही समय पर इनका उपचार न कराने के कारण यह टॉन्सिल कैंसर का रूप धारण कर लेते हैं, जो एक लाइलाज समस्या के रूप में हमारे सामने आती है।
गले के इन्फेक्शन को हम साधारणतया बहुत ही आसान तरीके से ठीक कर सकते हैं, जलते हुए मौसम में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने के कारण हम खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, कुछ गर्म चीजों के इस्तेमाल से अपने गले के इन्फेक्शन को आसानी से ठीक किया जा सकता है, लेकिन यदि सही समय पर उपचार न मिले तो यह एक गंभीर बीमारी के रूप में हमारे सामने एक बहुत बड़ी समस्या पैदा कर देता है।
इससे बचने के लिए हमें आवश्यकता होती है अपने स्वास्थ्य के प्रति अपना चिंताजनक व्यवहार करने की, यदि हम अपने गले में हो रहे परिवर्तनों एवं संक्रमण रोग के लक्षणों के बारे में ध्यान दें तथा उनको पहचानकर उनके कारणों का पता लगाएं, तो हम कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं।
गले की समस्या का इलाज जानने के साथ, इसके लक्षण क्या-क्या हैं?
* गले में खराश हो जाना, जो अक्सर मौसम के बदलने पर हो जाया करती है।
* आवश्यकता से अधिक ठंडा खाने पर गले में खुजली जैसा महसूस होना गले के संक्रमण की पहचान है।
* सुखिया बलगम वाली खांसी होना।
* गले में जलन रहना।
* तेज बोलते ही खांसी उठ जाना।
* गले तथा कानों में खुजली रहना।
* जुकाम हो जाना।
* सर्दी लगना भी इसका एक लक्षण है।
* गर्दन की ग्रंथियों में सूजन का आ जाना।
* थूक के साथ खून आना।
* गले में टॉन्सिल फूड जाना तथा दर्द रहना।
* खाना निगलने में परेशानी होना।
* गला बैठ जाना या बोलने में परेशानी होना।
उपरोक्त लक्षणों पर हम ध्यान देकर तथा इन्हें पहचान कर इन के कारणों का पता लगा सकते हैं जिसके तहत हम अपने गले के उपचार कर सकते हैं। लेकिन जब हम कारणों के बारे में बात करते हैं तो गले रोगों का सबसे बड़ा कारण मौसम का परिवर्तित होना होता है, जिसके तहत गले में बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाने के कारण हमारा गला खराब हो जाता है या संक्रमित हो जाता है।
आइए जान लेते हैं गले के संक्रमित होने के अन्य विभिन्न कारणों के बारे में
* एलर्जी के कारण भी गले में इंफेक्शन हो जाता है।
* मौसम के बदलने पर गले में इन्फेक्शन होना एक आम बात है।
* ज्यादा ठंडी चीजों का सेवन भी गले में संक्रमण होने का कारण बनता है।
* आवश्यकता से अधिक गर्म भोजन या गर्म पेय पदार्थ अक्सर हमारे गले में मुलायम स्किन को नुकसान पहुंचाते हैं जिसके कारण गले में घाव बन जाते हैं।
* खांसी भी गला रोग का एक बहुत मुख्य कारण है।
* गले की ग्रंथियां फूल जाना जिनके कारण गले में टॉन्सिल कैंसर का खतरा बन सकता है।
* आवश्यकता से अधिक जोर लगाकर चिल्लाना भी गले के लिए बहुत ही नुकसानदायक सिद्ध होता है।
* पेट में गैस होने के कारण भी कई बार गला रोग के लिए घातक सिद्ध हो जाता है।
* नॉन वेज या मांसाहार के सेवन से भी अक्सर गले लोगों की समस्याएं सामने आती है।
* गले के रोग अवसरवादी बीमारियों के कारण भी होते हैं जब हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का ह्रास होता है तब यह रोग होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं।
जब हमें गले रोग के लक्षणों और कारणों के बारे में मालूम हो जाता है तब हमें इससे संबंधित रोगों का उपचार करने में अधिक परेशानी नहीं होती क्योंकि यदि हमें कारणों के बारे में मालूम है तो हम अपने गले के इन रोगों को आसानी से घरेलू उपचार एवं आयुर्वेदिक दवाइयों द्वारा ठीक कर सकते हैं। हमारे घर एवं आसपास बहुत सारी ऐसी जड़ी बूटियां एवं रसोई में प्रयोग होने वाली आयुर्वेदिक दवाइयां जिन्हें हम मसाले के रूप में प्रयोग करते हैं विभिन्न बीमारियों को ठीक करने में हमारे लिए बहुत सहायक होती है। आइए जानते हैं हमारी रसोई में उपस्थित उन औषधियों के बारे में जो हमारे गले का उपचार करने के लिए तथा हमारे गले को रोगमुक्त करने के लिए लाभदायक है।
आयुर्वेदिक एवं घरेलू उपचार

1- गोमूत्र:-
गले की किसी भी परेशानी के लिए यदि ताजा गोमूत्र से गरारे किए जाएं तो यह गले के किसी भी संक्रमण के लिए रामबाण औषधि के रूप में काम करता है।
नोट :- गले के संक्रमण के लिए गोमूत्र कुवारी गाय का ही होना चाहिए।
2- हल्दी:-
कच्ची हल्दी को कूटकर पानी में उबाल लीजिए और इसके गरारे करें गले में किसी भी तरह का संक्रमण यदि है तो मात्र एक बार गरारे करने से ठीक हो जाता है, लगातार 8 दिन तक रात को सोते समय यदि गरारे करके सो जाएं तो गले के हर रोग को जड़ से खत्म कर देता है।
कैंसर के रोगियों के लिए यह अवधि 35 से 40 दिन की हो जाती है।
4- अजवाइन:-
अजवाइन को पानी में उबालकर, इस उबले हुए पानी को गुनगुना करके इसके गरारे करने से गला रोग खत्म हो जाता है।
5- मेथी दाना:–
मेथी दाने को रात को पानी में भिगो दीजिये सुबह इस पानी को उबाल लीजिए और इस पानी के गरारे कीजिए गले का हर रोग जड़ से खत्म हो जाएगा चाहे वह कैंसर ही क्यों ना हो।
6- लॉन्ग का तेल:-
एक गिलास गुनगुने पानी में चार बूंद लॉन्ग का तेल डालकर उसके गरारे यदि किए जाएं तो गले का हर प्रकार का रोग खत्म होता है।
7- दालचीनी:-
दालचीनी पाउडर में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से गले के सभी संक्रमण पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।
8- फिटकरी:-
इस संक्रमण के लिए फिटकरी का प्रयोग भी बहुत लाभकारी होता है क्योंकि फिटकरी एक बैक्टीरिया रोधी तत्व है इसलिए फिटकरी के पानी के गरारे करने से गले के तमाम संक्रमण चुटकियों में ठीक हो जाते हैं।
9- पीपली:-
पीपली को कूटकर दूध में उबाल लें रात को सोते समय इस दूध को पी लें गले रोग के लिए बहुत ही लाभकारी है।
10- अमरूद:-
अमरूद का प्रयोग वैसे तो गले के लिए नुकसानदायक होता है लेकिन यदि अमरुद को गर्म करके या भूनकर खाया जाए, तो भुना हुआ अमरुद गले के लिए बहुत ही लाभकारी औषधि के रूप में कार्य करता है