टी.बी. का इलाज के साथ जाने, यह क्यों, कब, और कहाँ होता है, और इसके लक्षण, इलाज क्या है,(What is tuberculosis (T.B), why, when, and where does it occur, and what are its symptoms,)

टी.बी. का इलाज के साथ जाने/ तपेदिक(T.B) क्या है
टी.बी. का इलाज जानने से पहले यह जानना जरुरी है! की यह क्या होती है, कैसे होती है टीवी पेशेंट को किस तरह से शारीरिक एवं मानसिक नुकसान पहुंचाती है, हमारे देश में टीवी को एक बहुत खतरनाक बीमारी के रूप में जाना जाता है, और सच कहीं तो वास्तव में टीवी है. भी 1 खतरनाक बीमारी, टीबी का पूरा नाम ट्यूबरक्लोसिस है। यह यह एक बहुत ही गंभीर संक्रामक बीमारी है।
यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक बैक्टीरिया से फैलती है, यह मुख्यतः फेफड़ों को नुकसान पहुंचाया करती है, शुरुआत में इसका बैक्टीरिया बहुत ही धीमी गति से काम करता है, लेकिन बाद में यह जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है, तो यह पूरी तरह से पूरे शरीर के ऊपर, अपना कब्जा कर लेती है, मुख्य रूप से यह फेफड़ों के ऊपर अटैक करती है, क्योंकि इसके प्रकृति हवा के साथ अधिक काम करती हैं। यही कारण है, कि ज्यादातर टीवी फेफड़ों की टीबी होती है, फेफड़ों की टीबी को पलमोनरी टीवी कहा जाता है।
संक्रमित व्यक्ति के खासने, छींकने, बोलने, चिल्लाने, कपड़ो का इस्तेमाल करने, एवं साथ खाना खाने से टीवी का संक्रमण स्वस्थ व्यक्ति में भी आसानी से चला जाता है।
अकेले भारत में, हर वर्ष लाखों लोगों की मौत केवल टीबी की वजह से ही हो जाती है।
टीबी मुख्यतः दो प्रकार की होती है
1- पलमोनरी टीवी (pulmonary TB)
2- एक्स्ट्रा पलमोनरीटीबी(extrapulmonary TB)
टीवी का संक्रमण मुख्यतः उन लोगों को होता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम या बिल्कुल नष्ट हो जाती है हो जाती है, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो जाती है, उनको सबसे पहले लगने वाला संक्रमण टीवी ही होता है,
टी.बी. का इलाज के साथ जाने! इसके के लक्षण कौन-कौन से हैं?
TB के मुख्य लक्षण:-
1- 1 सप्ताह से ज्यादा खांसी टीवी का प्रमुख लक्षण है।
2- खांसी के साथ मुंह से खून का आना टीवी का गंभीर लक्षण है।
3- 1 महीने से ज्यादा बुखार भी क्षय रोग के प्रमुख लक्षणों में से एक है।
4- टाइफाइड होने पर ज्यादातर लोगों को टीवी हो ही जाती है।
5- सांस फूलना एवं सीने में दर्द रहना फेफड़ों में खिंचाव भी टीवी का प्रमुख लक्षण है।
6- भूख ना लगना और चिड़चिड़ापन रहने के साथ-साथ, एक महीने में 10% तक वजन कम हो
जाना भी टीवी का एक लक्षण है।
7- रात के समय पसीना बहुत आना, और बेचैनी होना भी TB. का एक लक्षण है।
8- लगातार दस्त रहना तपेदिक हो सकता है।
9- सीने में लगातार जकड़न और दर्द रहना बी टीवी का लक्षण है।
10- हड्डी और जोड़ों में निरंतर दर्द रहना भी टीवी का लक्षण है।
11- गुदा, योनि के संक्रमण में भी टीवी पाई जाती है।
12- बाल और नाखूनों को छोड़कर, शरीर के किसी भी हिस्से में टीवी हो सकती है।
अस्पताल में विभिन्न जांचों द्वारा टीवी का पता लगाया जाता है :- जैसे- एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट, बलगम टेस्ट आदि।
लेकिन अच्छा नाड़ी वैद्य भी TB को बगैर किसी टेस्ट के ही बता सकता है
टी.बी. का इलाज के साथ जाने! T.B. कारण
1- टीवी संक्रमित लोगों के खांसने, छींकने,थूकने, उनके साथ खाना खाने या उनके कपड़े पहनने से टीवी हो सकती है।
2- पोस्टिक आहार न लेना, अथवा फास्ट फूड का ज्यादा इस्तेमाल भी, इस बीमारी के होने का एक प्रमुख कारण है।
3- अपने खाने पीने का ध्यान रखना, तथा भूखा रहना इस बीमारी के संक्रमण को बढ़ावा देता है।
4- बुखार आने पर लापरवाही करना, विशेष तौर पर टाइफाइड होने के बाद ज्यादातर लोगों को तपेदिक की बीमारी हो जाती है।
5- खांसी होने पर हम अपनी खांसी को गंभीरता से नहीं लेते, जिसके कारण वह खासी आगे चलकर टीबी का रूप ले लेते हैं।
6- बवासीर की समस्या से ग्रस्त लोगों में भी, ज्यादातर को भी यह रोग देखने को मिलता है।
7- यदि घर में कोई इस रोग का संक्रमित व्यक्ति है, तो हम उसके साथ रहते हुए लापरवाही बरतते हैं, जिसके कारण घर के दूसरे सदस्यों को भी यह रोग हो जाता है।
8- संक्रमित व्यक्ति इधर-उधर थूक देता है, वह थोक जूते चप्पल और पैरों में लगकर हमारे घर तक चला जाता है, जिसके कारण संक्रमण फैल जाता है।
9- गांव की अपेक्षा शहर के लोगों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है, क्योंकि शहर में छोटे-छोटे बहुत ही कन्जेस्टेड मकान होते हैं, जिसके कारण यह इंफेक्शन एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलते देर नहीं लगती।
10- जो लोग शक्तियों में प्रेस में काम करते हैं, जहां पर थिनर आदि का प्रयोग होता है, या डस्ट उड़ती है, इस प्रदूषण के कारण फेफड़े इनफेक्टेड बताते हैं, और इंसान TB का शिकार हो जाता है।
तपेदिक के कारण होने वाली दूसरी बीमारियां:-
जिन इंसानों को तपेदिक होती है, उन इंसानों को दूसरी बहुत सी बीमारियां लगने के अवसर बहुत
बढ़ जाते हैं, जिनमें से कुछ बीमारियां इस प्रकार हैं। दमा/ अस्थमा गले में टॉन्सिल पीठ दर्द और
अकड़न, किडनी की समस्याएं, लीवर की समस्याएं, फेफड़ों की समस्याएं, कब्जी की
समस्याएं, दिमागी बुखार हृदय की पंपिंग कम हो जाना, घबराहट हो जाना TB ठीक होने के बाद भी,
दूसरी, तीसरी, चौथी या MDR TB. का हो जाना।
नोट :- MDR-TB तपेदिक का बिगड़ा हुआ रूप होता है, यदि किसी को MDR-TB हो जाए, तो उसको जिंदा रहने के चांसेस बहुत कम रह जाते हैं। इसलिए जरूरी है कि टीवी का इलाज जब भी कराएं पूरा कराएं टीवी का इलाज कभी भी बीच में नहीं छोड़ना चाहिए, बीच में छोड़ा गया इलाज बाद में लाइलाज हो जाता है।
क्षय रोग का का आयुर्वेदिक इलाज:-
एलोपैथिक डॉक्टर ने आम आदमी की यह धारणा बना दी है, कि शेरों का कोई आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट नहीं है जबकि यह पूर्णता गलत है, आयुर्वेद में छह रोग का सटीक और प्रमाणिक उपचार है।
आइए जानते हैं क्षय रोग के आयुर्वेदिक इलाज:-

1- गोमूत्र :-
गौ मूत्र का नाम सुनते ही कुछ लोगों की नाक और भवे चढ़ने लगती हैं, जबकि प्रमाणित हो चुका है, कि गोमूत्र इंसानों में पाई जाने वाली 50 बीमारियों का सटीक ट्रीटमेंट है, यदि हर रोज सुबह खाली पेट एक कप गोमूत्र का सेवन नियमित रूप से किया जाए, तो मात्र ढाई से 3 महीने में ही क्षय रोग को पूरी तरह से खत्म कर देता है, क्षय रोग के साथ-साथ इसके द्वारा होने वाली विभिन्न बीमारियों जैसे अस्थमा, फेफड़ों की कमजोरी, किडनी की कमजोरी, को भी गोमूत्र 100% ठीक करता है।
2- मिश्रण:-
गोदंती भस्म 20 ग्राम। मूंगा भस्म 10 ग्राम। कीकर/बबूल की गोंद 10 ग्राम। देशी बांस के पत्तों का कपड़छान पावडर 20 ग्राम । सब को एक जगह मिलाकर कांच के बर्तन में( बर्तन ढक्कन वाला होना चाहिए) भरकर रख लें।
सेवन विधि:-
आधा ग्राम यानी 4 रत्ती सुबह खाना खाने के 1 घंटा बाद और शाम को सोते समय गाय के दूध के साथ ले। विशेष:- दूध को पुराने गुड़ से मीठा करें।
3- कच्ची हल्दी :-
गीली हल्दी 200 ग्राम (सब्जी वाले की दुकान से लेकर आए)। इसे छाया में सुखाकर बारीक पाउडर बना लें तथा इसमें आक का दूध मिला लें। *याद रहे यदि खून की उल्टियाँ भी मरीज को होती हो तो इसकी जगह बड़ (बरगद ) का दूध मिलाएँँ, और कांच के बर्तन में भरकर रख लें।
सेवन विधि:-
इस 2-2 रत्ती की मात्रा में शहद के साथ सुबह खाली पेट तथा रात के सोते समय नियमित रूप से लें।
4- दालचीनी और शहद :-
100 ग्राम दालचीनी को सुखाकर उसका पाउडर बना लीजिए, उसमें 100 ग्राम शहद भी मिलाकर एक कांच के बर्तन में भरकर रख लीजिए। एक गिलास दूध में एक पीपली( पीपली को मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है यह शहतूत के जैसी काले रंग की सूखी लकड़ी जैसी होती है) कूटकर उबालें।
सेवन विधि:- आधा चम्मच सुबह खाली पेट तथा आधा चम्मच शाम को पीपली मिले दूध के साथ नियमित रूप से 3 महीना लेना चाहिए। नोट :- सुबह और शाम की दवाई में लगभग 12 घंटे का अंतर जरूरी है।
5- गिलोय :-
गिलोय हल्दी और तुलसी के पत्तों का काढ़ा दिन में सुबह दोपहर और शाम तीन बार पीने से तपेदिक के लोगों को काफी राहत मिलती है।
ऊपर वर्णित नुस्खे आप एलोपैथिक दवाइयों (DOTS) के साथ-साथ भी कर सकते हैं, इन आयुर्वेदिक नुस्खों का कोई साइड इफेक्ट नहीं है, यह नुस्खे से रोगी के लिए रामबाण का काम करते हैं।
टीबी के रोगी क्या खाएं:-
1- भरपूर मात्रा में प्रोटीन।
2-आयरन युक्त तरीदार हरी सब्जियां।
3-गुड और भुने हुए चने।
4-अंकुरित दालें।
5- सेब, चीकू, नाशपति और पपीताविशेष रूप से खाने योग्य फल।
6-ताजा दही।
7-आयुर्वेद का काढ़ा।
8- दूध और दूध से बने हुए पदार्थ जैसे- दही, पनीर, खोया, चीज़ आदि।
9- ग्रीन टी का भी 7 दिन में दो बार जरूर करें।
10- सब्जी में सेंधा नमक और हरी मिर्च का इस्तेमाल जरूरी है।
परहेज:–

1- फास्ट फूड का परहेज करें।
2- कोल्ड ड्रिंक न पिये ।
3- शराब का इस्तेमाल ना करें।
4- लाल मिर्च एवं खटाई का बिल्कुल बंद करें।
5- आइसक्रीम एवं ठंडी वस्तुए ।
6- मैदे से बनी हुई नहीं खानी चाहिए।
7 -खट्टे फलों को ना खाए तो अच्छा है।
8- ठंडे चावलों का प्रयोग बिल्कुल मना है।
9- ठंडे या बासी भोजन बिल्कुल ना करें।
10- बीड़ी, सिगरेट, धूम्रपान बहुत हानिकारक है।
यह बिल्कुल सही है कि टीबी बहुत ही गंभीर बीमारी है, लेकिन यदि सही समय पर इसका सही इलाज और नियमितता के साथ इलाज कराया जाए तो यह बिल्कुल ठीक हो सकती है।
नोट :- एक बार TB होने के बाद इंसान को कभी भी दूसरी, तीसरी,या चौथी बार भी TB हो सकती है।