अर्क या आक के फायदे जनलोगे तो सायद ही कभी डॉक्टर की जरुरत पड़े, घर पर ही कर पाओगे बहुत सी बिमारिओं का इलाज?

आक के फायदे क्या है, और कैसे इसका औसधी के रूप में प्रयोग करें:-
मदार का औषधी के रूप में प्रयोग समय एक बात का विशेष ध्यान रखें कि इसकी उचित एवं सही मात्रा का मिश्रण होना अति आवश्यक है, क्योंकि इसकी अधिकता परिणामों को परिवर्तित कर सकती है।
मधुमेह रोगी के लिए मदार या आक के फायदे एवं प्रयोग :-
जब किसी मधुमेह रोगी का शुगर लेवल अधिक बढ़ जाए तों रोगी को चाहिए की मदार के दो बड़े पत्ते पैरों के तालवो के नीचे रखकर मौजे पहन लें, यह पत्ते 8 से 10 घंटे पैरों के तलवों पर चिपके रहने चाहिए, बेहतर यह होगा कि रात को सोते समय मदार के 2 पत्ते पैरों के तलवे में रखकर ऊपर से जुराब पहन ले और लेट जाएं, सुबह नींद से जागने के बाद कुछ देर नंगे पांव पैदल चलना आवश्यक है ऐसा करने से आप पाएंगे कि आपका शुगर लेवल काफी हद तक कंट्रोल हो जाएगा। शुगर के किसी भी मरीज को यह प्रयोग सप्ताह में कम से कम एक बार जरूर करना चाहिए, इस प्रयोग को नियमित रूप से करते रहने पर शुगर लेवल कंट्रोल रहता है।
अंडकोष में सूजन लिए आक आक के फायदे एवं प्रयोग :-
जिन पुरुषों अंडकोष में सूजन जापानी उतर आने की समस्या हो गई है उनके लिए आक का प्रयोग बहुत लाभकारी सिद्ध होता है, आक के पत्ते के सीधी और तिल का तेल लगा कर इसको गर्म तवे पर हल्का गुनगुना गर्म कर लीजिए और रात को सोने से पहले अंडकोष के चारों ओर गर्म पत्ते को लपेटकर लंगोट बांध लीजिए, रात भर इसको बंधा रहने दे, सुबह उठकर इसे खोल कर पत्ते को फेंक दीजिए नहाने के बाद दूसरा लंगोट बांध लीजिए, पत्ता केवल रात को सोते समय ही बांधे दिन में लंगोट बिना पत्ते के ही बांधना है, लगभग 15 दिन के इस प्रयोग से अंडकोष का पानी एवं सूजन पूरी तरह समाप्त हो सकती है।
अंडकोष की चमड़ी का आवश्यकता से अधिक मोटी हो जाना :-
जिन पुरुषों की अंडकोष की चमड़ी मोटी हो चुकी है उनको चाहिए कि वह 10 ग्राम मदार की छाल को कांजी के साथ पीसकर मोटी हुई चमड़ी पर लेप करें धीरे – धीरे कुछ ही दिनों में आप देखेंगे की आपकी मोटी हुई चमड़ी सामान्य होती चली जाएगी। यह नुस्खा बहुत ही कारगर हैं तथा इसका कोई दुशप्रभाव भी नहीं हैं।
पीलिया रोग के लिए आक के फायदे एवं प्रयोग :-
यदि किसी को पीलिया की शिकायत हैं तों आक के पौधे की सहायता से आप इसको बहुत कम समय में अपने आप ही ठीक कर सकते हैं आक या मदार की एक कोपल सुबह के समय खाली पेट बिना कुछ खाए पिये पान के एक पत्ते में रखकर चबाकर लगातार तीन दिन तक खाने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
मदार की जड़ की छाल डेढ़ ग्राम 10 जोड़े काली मिर्च 5 ग्राम साटा (पुनर्नवा)की जड़ पानी के साथ घोटकर सुबह-शाम रोगी को पिलाया जाए तों 5-7 दिनों में पीलिया रोग पूरी तरह ठीक हो जाता हैं। रोगी को गर्म एवं गर्म तासीर वाली चीजे खाने को ना दें, तेल,खटाई, और लाल मिर्च का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दें।
बवासीर में आक/खरक का प्रयोग :-
यदि किसी व्यक्ति को बवासीर की शिकायत हैं तों आक के पत्ते को तोड़कर उसका दूध केवल तीन बूँद केले को चीरकर उसके अंदर लगाकर खाए सुबह के समय खाली पेट, यह प्रयोग मात्र आठ दिन करने से बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।
दूसरा प्रयोग :- शौच क्रिया से निपटने के बाद यह प्रयोग करें, आक के छोटे आकर के ताजे पत्ते जिनके ऊपर रुई जैसा पदार्थ अधिक मात्रा में हो ऐसे 4 पत्ते तोड़कर मलद्वार ( गुदा) पर रगड़े लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रहे की गुदा एवं मस्सो पर आक का दूध ना लगने पाए, केवल पत्तों के ऊपर लगी सफ़ेद मुलायम पर्त ही लगे, इस प्रयोग से बवासीर में आश्चर्यजनक आराम मिलता हैं।
दाद में आक/आकन्द का प्रयोग :-
यदि किसी को दाद की शिकायत हैं तों आप आक/मदार के पत्ते को तोड़कर उसका दूध दाद पर लगाकर रगड़ दीजिये कुछ जलन जरूर होंगी लेकिन दाद शतप्रतिशत ठीक हो जाएगा, अधिक जलन होने पर आप देशी शहद कुछ देर बाद लगा लीजिये इससे जलन ठीक हो जाएगी, मात्र 3-4 दिन में ही दाद पूरी तरह ठीक हो जाएगा।

खाज में मदार का प्रयोग :-
आकड़ो/अर्क का फूल या पत्ता तोड़कर दूध निकाल लीजिये इस दूध में नारियल या सरसों का शुद्ध तेल बराबर मात्रा में अच्छी तरह मिलाकर खाज के ऊपर लगा लीजये, चमत्कारी ढंग से खाज कुछ ही दिनों में गायब हो जाएगी।
घाव जल्दी भरने में आक/तूलफल का प्रयोग :-
यदि कोई घाव आसानी से ठीक नहीं हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में तूलफल फल का प्रयोग बहुत उपयोगी होता है तूलफल या आक के पत्तों को छाया में सुखाकर तथा इनको कोट-छानकर पुराने से पुराने घाव पर चुटकी की माध्यम से बुरकना है, आप देखेंगे कि पुराने से पुराना घाव भी तेजी से भरने लगता है।
जली हुई त्वचा पर मदार/गिड़ा का प्रयोग :-
जले हुए पर गिड़ा/आक के फल के अंदर से रुई निकालकर इस रुई को सुखाकर जला लीजिये, जली हुई रुई की राख को एक कांच की डब्बी में डाल लीजिये, जली हुई त्वचा के ऊपर नारियल का तेल लगाकर उसके ऊपर चुटकी के माध्यम से आक की जली हुई रुई बुराक दीजिये, कुछ ही दिनों में जली हुई त्वचा को पूरी तरह से ठीक कर देगा, और कमाल की बात यह है कि जले हुए का निशान भी त्वचा के ऊपर नहीं रहेगा।
कुष्ठ रोग में आक/ पेल्लेरुक्कू का प्रयोग :-
अर्क या पेल्लेरुक्कू का 125 मिलीग्राम दूध 250 मिलीग्राम शुद्ध शहद में मिलाकर रोजाना दिन में 3 बार जीभ से चाटकर सेवन करें, ऐसा करने से मात्र कुछ ही दिनों में कुष्ठ रोग पूर्णतया ठीक हो जाता है।
मलेरिया में आक/क्षीरपर्ण का प्रयोग :-
बिगड़े हुए मलेरिया में आक का प्रयोग रामबाण औषधि के रूप में काम करता है, चार बूंद आंख के दूध में 10 बूंद कच्चे पपीते का दूध या रस, 15 बूँद चिरायता का रस मिलाकर दिन में तीन बार एक कप गोमूत्र के साथ सेवन करने से बिगड़ा हुआ मलेरिया भी 3 दिन में पूर्ण से ठीक हो जाता है।
पारा का विष समाप्त करने में अर्क/आखा का प्रयोग :-
सफ़ेद फूल वाले आक के पौधे की लकड़ी का कोयला बना लीजिये इस कोयले को बारीक़ पीसकर पाउडर बना लीजिये अब इसमें बराबर मात्रा में मिश्री का पाउडर मिलाकर एक कांच के या चीनी मिट्टी के बर्तन में भरकर रख लीजिये। हर रोज लगभग 10 ग्राम मिश्रण दूध के साथ सेवन करने से शरीर में जमा पारे को मूत्र के रास्ते धीरे-धीरे बाहर निकाल देता हैं।
पेट दर्द में आक के फायदे एवं प्रयोग:-
अर्क के फूलों को तोड़कर छाया में सूखा लीजिये और इनको कूटकर पाउडर बना लीजिये अब अर्क के ताज़ा पत्तों का रस निकाल लीजिये और इसमें अर्क के फूलों का पाउडर मिलाकर लगभग 3 दिन तक रखा रहने दें 3 दिन बाद इन्हे अच्छे से खरल कर लें तथा इसमें सौप और अजवायान बराबर मात्रा में मिला लीजिये तथा इस मिश्रण की हाजमोला की गोली के आकर की छोटी-छोटी गोली बना लीजिये, चाहे कितना भी गंभीर पेट का दर्द हो या उदर शूल हो देखते ही देखते सेकेण्ड में दूर हो जाएगा।
घुटनों या जोड़ो के दर्द में आक के फायदे एवं प्रयोग:-
घुटने का दर्द हो या शरीर के किसी प्रकार के जोड़ों का दर्द हो उसके लिए एक्के के पत्ते रामबाण औषधि का काम करते हैं, अर्क के पत्तों को तिल या आरंडी का तेल लगाकर गर्म तवे पर सेककर हल्के गर्म कहने का मतलब हैं गुनगुने,दर्द वाले स्थान पर बाँध लीजिये, एक्के के पत्तों का यह प्रयोग जोड़ो के दर्द को बिलकुल ख़त्म कर देता हैं।
नपुंसकता एवं शीघ्रपतन के उपचार हेतू आक/आखा का प्रयोग :-
250 ग्राम बड़े छुवारे के अंदर की गुठली निकालकर इस खाली स्थान में आक का दूध भर लीजिये अब इसको आटे में लपेटकर आँच पर पका लीजिये जब ऊपर का आटा जल जाए, कहने का मतलब हैं की जब आटे के अंदर बंद छुवारे पक जाए याद रहे ये जलने नहीं चाहिए, अब इन छुवारों को कूटकर इनकी चने के दानों के बराबर छोटी-छोटी गोली बना लीजिये, रात को सोने से पहले 2 गोली ठंडे दूध के साथ सेवन करनी चाहिए, यह नपुंसकता एवं शीघ्रपतन की समस्याओ को जड़ से समाप्त करती हैं।* विशेष :- इस प्रयोग के शुरू करने पर 2 माह तक शारीरिक सम्बन्ध स्थापित ना करें!
एक बात का विशेष स्मरण रहे की आक/आखा का पौधा विषैला होता हैं, इसका प्रयोग आयुर्वेद के जानकर के संरक्षण में ही करें क्योकि इसकी अधिक मात्रा आपको हानि भी पंहुचा सकतज हैं। यदि इसके प्रयोग से किसी तरह का कोई दुष्परिणाम सामने आए तो दूध, घी, दही या छाछ के प्रयोग से इस नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता हैं।